5 वर्षीय साहस सिंह की पहल: वन्यजीवों की रक्षा और प्रकृति की सुरक्षा

जौनपुर। आज के समय में तेलंगाना सरकार का विकास वन्यजीवों के अस्तित्व के लिए संकट बन चुका है। सभी पशु पक्षियों में त्राहिमाम मचा हुआ है। सोशल मीडिया पर जीवों की सुरक्षा के लिए अब तेलंगाना ही नहीं बल्कि पूरे देश की जनता वन्य जीवों की दुर्दशा को देख तिलमिला उठी है। लोग अपने घरों से अब जीव जंतुओं के घरों को न उजड़ने देने के लिए हल्ला बोल करना शुरू कर दिए है। आक्रोश अपने चरम पर है।एक तरफ सरकारें पेड़-पौधों को लगाने का संकल्प लेती है और जैवविविधता के लिए आदर्शवादी उपदेश देती हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।अब जबकि माननीय उच्चतम न्यायालय ने हैदराबाद का फेफड़ा कहे जाने वाले कांचा गचीबावली जंगल की कटाई को स्वयं संज्ञान में लेते हुए रोक लगा दी है इससे हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्र छात्राओं के विरोध प्रदर्शन को बल मिला है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प रहेगा कि ये वन्य जीव जो किसी पार्टी के वोट बैंक नहीं है उन्हें जन समर्थन और न्यायपालिका की सक्रियता के बल पर कैसे न्याय मिलता है ?अगर वन्य जीवों के साथ न्याय होता है तो भविष्य में कोई भी सरकार इतनी क्रूरता के साथ जंगलों को काटने और वन्य जीवों का आशियाना उजाड़ने से पहले एक बार नहीं सौ बार सोचेगी।

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