ड्रैगन फ्रूट की खेती पर अब अनुदान हुआ 2.70 लाख रूपया
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जौनपुर। जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि जनपद मे नवाचार की राह पर कदम बढ़ाते हुए ड्रैगन फूट की खेती शुरू की गयी है। ड्रैगन फूट को इजराइल, वियतनाम जैसे देशों में उगाई जाने वाले इस फसल को जनपद के विकास खंड मछलीशहर, बदलापुर, मुफ्तीगंज के किसानों ने अपनाया है। इस फसल में कम लागत व अधिक मुनाफा होने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक होती है। ड्रैगन फूट के पौधे को आवारा पशु भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। ड्रैगन के पौध एक बार लगाने से 25 से 30 साल तक उत्पादन मिलता है। यह इम्यूनिटी बूस्टर का अच्छा विकल्प माना जाता है। एक ड्रैगेन फूट की कीमत बाजार मे 100 से 150 रू0 तक पहुंचती है। मछलीशहर ब्लाक के ग्राम घिसुआ खुर्द के प्रतीक गुप्ता विकास खंड बदलापुर ग्राम तियरा के कृषक तिलकधारी और विकास खंड मुफ्तीगंज ग्राम पसेवा के कृषक मोर्टसन मेसी एवं विकास खंड बदलापुर के ग्राम तियरा के किसान बृजेश यादव ने 1195 लाल गुदा वाले पौध लगाकर जनपद मे नवाचार का उदाहरण पेश किया है। उन्होंने गुजरात से पौध खरीदी और अप्रैल में यह खेती शुरू किया। बृजेश यादव पिछले 1 वर्षों से ड्रैगेनफूट की खेती कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त अन्य कई किसान प्रयोग के तौर पर छोटे पैमाने पर ड्रैगेन फूट लगा रहे हैं। इस फसल से जून से लेकर दिसम्बर तक उत्पादन होता है। ड्रैगन फूट की खेती कम लागत और अधिक मुनाफे का उदाहरण बन रही है। कमलम की खेती हेतु उद्यान विभाग एक हेक्टेयर पर 30 हजार रूपये का अनुदान भी दे रहा था। ड्रैगेन फूट की खेती पर अधिक लागत देखते हुए केन्द्र सरकार ने 2025 से सब्सिडी की राशि बढ़ाकर प्रति प्रति हे0 2.70 लाख रू० कर दिये हैं। प्रति पिलर पर 4 पौधे लगाये जाते हैं। इस पर करीब 800 सौ रूपये खर्च आता है तथा 15 से 20 टन प्रति हेक्टेयर फल निकलता है। ड्रैगेन फुट की खेती व्यवसायिक बन रही है, क्योंकि मार्केट मे इसका अच्छा दाम मिलता है जिससे ड्रैगेन फूट की खेती करके किसान भाई अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इससे ना केवल फल, बल्कि इसकी कटिंग करके ड्रैगनफूट की नर्सरी भी तैयार कर सकते हैं। यह पहल अन्य कृषकों को भी इस फसल के तरफ आकर्षित एवं प्रेरित कर रही है। इच्छुक कृषक आधार कार्ड, बैंक पासबुक, खतौनी व फोटो लेकर जिला उद्यान अधिकारी कार्यालय में प्रभारी मिशन जशपाल सिंह 9455112600 से सम्पर्क कर योजना का लाभ ले सकते हैं।