योगी कैबिनेट में बदलाव एवं नये भाजपा अध्यक्ष की भी सुगबुगाहट
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भारतीय जनता पार्टी के लिये उत्तर प्रदेश हमेशा महत्वपूर्ण रहा है। सबसे अधिक सांसद और राज्य के तौर पर सबसे अधिक विधायक देने वाला उत्तर प्रदेश इस समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तेजतर्रार राजनीति के कारण हिन्दुत्व की प्रयोगशाला बन गया है। बीजेपी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में योगी के नेतृत्व में शानदार प्रदर्शन किया था। हालांकि इसके बाद 2024 के आम चुनाव में बीजेपी को यहां से करारा झटका भी लगा था। यूपी में 70 सीटें जीतने का दावा कर रही बीजेपी गठबंधन को मात्र 36 सीटों पर जीत हासिल हुई थी जबकि समाजवादी पार्टी कांग्रेस गठबंधन को 42 एवं आजाद समाज पार्टी को एक सीट पर जीत हासिल हुई थी। और कांग्रेस ने छह सीटों पर जीत हासिल की थी। इससे योगी की छवि पर काफी बुरा असर पड़ा। अखिलेश पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) का दम भरने लगे परंतु विधान सभा के उपचुनाव में योगी फिर से मुखर होकर उभरे उन्होंने समाजवादी पार्टी को पूरी तरह से चित कर दिया।इसके बाद अयोध्या की चर्चित मिल्कीपुर विधानसभा के उपचुनाव में भी बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के पीडीए की हवा निकाल दी। मिल्कीपुर के मतदाताओं ने जाति बिरादरी से ऊपर बीजेपी को वोट किया। कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव 2024 के बाद यूपी की सियासत में काफी बदलाव आ चुका है। उस पर महाकुंभ सोने पर सुहागा साबित हुआ जहां जाति—पात से ऊपर उठकर 66 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई। पूरा प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश भी हिन्दूमय हो गया। इन बदलावों के बाद अब योगी कैबिनेट में भी बदलाव की चर्चा हो रही है। उम्मीद जताई जा रही है कि नवरात्रि में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी कैबिनेट में बदलाव कर सकते हैं। वहीं यूपी में बीजेपी अध्यक्ष के नाम की घोषणा के साथ संगठन में भी फेरबदल हो सकता है। इस बात के कयास तब से लगना शुरू हुए जब दिल्ली में प्रधानमंत्री से योगी की मुलाकात हुई।
बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते 9 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। इस दौरान योगी ने पीएम से अप्रैल में जेवर एयरपोर्ट के लिए उद्घाटन का समय मांगा लेकिन दोनों ही नेताओं के बीच करीब 1 घंटे तक चली मुलाकात के बाद यूपी मंत्रिमंडल विस्तार से लेकर संगठनात्मक बदलाव तक के कयास लगाए जाने लगे हैं। बता दें कि महाकुंभ आयोजन के बाद सीएम योगी दो दिवसीय दौरे पर दिल्ली आये थे। प्रधानमंत्री से मुलाकात से एक दिन पूर्व सीएम योगी ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात की थी।
बता दें कि यूपी में बीजेपी के नये प्रदेश अध्यक्ष को लेकर लम्बे समय से मंथन चल रहा है। वहीं योगी कैबिनेट में 6 मंत्री पद भी खाली हैं। ऐसे में जेपी नड्डा और पीएम मोदी से सीएम योगी की मुलाकात को सरकार और संगठन में बदलावों पर सहमति बनाने के रूप में देखा जा रहा है। होली के बाद बीजेपी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिलना तय है लेकिन सवाल यह उठता है कि योगी सरकार में भी फेरबदल होगा।
गौरतलब हो कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भले ही अभी दो साल बाकी हो लेकिन हर समय चुनाव के लिये तैयार रहने वाली बीजेपी ने अभी से 2027 के यूपी विधान सभा चुनाव के लिये सियासी बिसात बिछाना शुरू कर दी है। बीजेपी के सामने चुनौती विपक्ष इंडिया गठबंधन, खासकर सपा के पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए पॉलिटिक्स की है। 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा के पीडीए पॉलिटिक्स की नैया पर सवार अखिलेश यादव ने बीजेपी को यूपी में तगड़ा झटका दिया। बीजेपी का सवर्ण-पिछड़ा-दलित वोट बैंक वाला समीकरण कमजोर हुआ तो प्रदेश का राजनीतिक दृश्य ही बदल गया था।
हालांकि विधानसभा उपचुनाव आते-आते सीएम योगी के नेतृत्व में बीजेपी ने एक बार फिर समाजवादी पार्टी को चारों खाने चित कर दिया था तभी सीएम योगी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने यूपी चुनाव 2027 की रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है। इसको लेकर लगातार बीजेपी जमीन पर काम करती दिख रही है। पीएम मोदी से मुलाकात के बाद माना जा रहा है कि नवरात्रों में योगी आदित्यनाथ अपने मंत्रिमंडल में बड़ा बदलाव कर सकते हैं। 2024 लोकसभा चुनाव के बाद से लगातार योगी सरकार में बदलाव की संभावना जताई जा रही है। योगी सरकार में मंत्री रहे जितिन प्रसाद ने लोकसभा सांसद बनने के बाद इस्तीफा दे दिया था। बीजेपी के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी की जगह नए अध्यक्ष का चुनाव होना है। ऐसे में भूपेंद्र चौधरी की योगी कैबिनेट में वापसी हो सकती है, क्योंकि संगठन की बागडोर संभालने से पहले मंत्री रहे हैं।
मालूम हो कि योगी सरकार में फिलहाल 54 मंत्री हैं जबकि अधिकतम 60 मंत्री हो सकते हैं। इस तरह यूपी सरकार में 6 मंत्री पद खाली हैं। इस तरह से योगी मंत्रिमंडल का विस्तार काफी दिनों से प्रस्तावित है। इसके अलावा योगी सरकार ने पिछले दिनों में अपने कई मंत्रियों के कार्य और जमीन पर उनके असर की समीक्षा की थी। इस आधार पर योगी मंत्रिमंडल में बदलाव की संभावना जताई जा रही है।
माना जा रहा है कि नवरात्रि में योगी मंत्रिमंडल में बड़ा बदलाव हो सकता है। योगी मंत्रिमंडल विस्तार को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2027 की तैयारी को लेकर महत्वपूर्ण समझा जा रहा है। बीजेपी कैबिनेट विस्तार के जरिए अपनी रणनीति को अमली जामा पहना सकती है। सपा की बात की जाय तो समाजवादी पार्टी जिस तरह पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक का जिताऊ फॉर्मूला तैयार कर रही है, उसे मंत्रिमंडल के चेहरों से काउंटर करने की रणनीति पर विचार किया जा रहा है। इसके अलावा जमीन पर पकड़ रखने वाले नेताओं को योगी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। इसके जरिए कार्यकर्ताओं को एक बड़ा संदेश देने की रणनीति है।
उत्तर प्रदेश में जल्द ही नए प्रदेश अध्यक्ष का भी ऐलान हो सकता है। बीजेपी के संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया प्रदेश में चल रही है। मंडल अध्यक्षों के बाद अब जिला अध्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया को पूरा करने में पार्टी जुटी हुई है। जिला अध्यक्ष की सूची में कुछ पेंच की वजह से अभी तक जारी नहीं की जा सकी है। ऐसे में सीएम योगी ने बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा और पीएम मोदी से मुलाकात के दौरान पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष के साथ संगठन के बदलाव पर चर्चा कर सहमति बनाने का फार्मूला निकाला होगा।
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी की जगह पार्टी की कमान कौन संभालेगा, इसे लेकर भी कई नामों पर कयास लगाये जा रहे हैं। बीजेपी के लिए यूपी काफी अहम है, इसलिये अध्यक्ष के चुनाव में कई चीजों का ध्यान रखा जा रहा है। 2022 में जब भूपेंद्र चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया तो उनकी सीएम योगी से ट्यूनिंग का ख्याल रखा गया था। अब नये प्रदेश अध्यक्ष में भी इस बात का ख्याल रखा जाना तय माना जा रहा है। माना जा रहा है कि होली के बाद नये प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा की जा सकती है। साथ ही उत्तर प्रदेश के वर्ष 2027 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव की दिशा और दशा का भी निर्धारण हो जायेगा।
बीजेपी संगठन में फेरबदल कर विपक्षी सपा के पीडीए समीकरण को ध्वस्त करने की पूरी रणनीति पर काम किया जा रहा है। बीजेपी के संगठन में जिला स्तर पर भी पिछड़ा और दलित वर्ग को विशेष तरजीह दी जा रही है। बीजेपी यादव जाति के नेताओं को भी संगठन में जिम्मेदारी दे रही है। लोकसभा चुनाव में सपा पीडीए को साधने के फेर में एक बड़े वर्ग को छोड़ती दिखी थी लेकिन बीजेपी 80 फीसदी वोटों को साधने की रणनीति पर काम कर रही है।
यूपी संगठन बीजेपी की रणनीति तमाम जातियों को जगह देकर जमीनी स्तर पर सामाजिक समीकरण को साधने की है। सीएम योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि यूपी में लड़ाई 80-20 की होने वाली है। मतलब समझाते हुए वे कहते हैं कि बीजेपी 80 फीसदी भाग पर कब्जा जमाएगी और अन्य दलों के पाले में महज 20 फीसदी सीटें आने वाली हैं। इस तरह बीजेपी की नजर 2027 में सत्ता की हैट्रिक लगाने की है जिसके लिए ही सियासी ताना बाना बुना जाने लगा है। ऐसे में कैबिनेट विस्तार से लेकर संगठन में बदलाव कर एक मजबूत सियासी आधार तैयार करने की रणनीति है?
अजय कुमार
वरिष्ठ पत्रकार उत्तर प्रदेश
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