संभल के बाद जौनपुर में भी लगने वाले गाजी मियां के मेले पर संशय
योगी सरकार के कड़े रुख को देख कदम पीछे खींच रहे हैं मुजावर और दफाली
सरकार ने अगर लगाई है रोक तो लेनी होगी अनुमति,डिप्टी एसपी
रिपोर्ट- इन्द्रजीत सिंह मौर्य
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File Photo |
जौनपुर।यूपी के संभल में सालार मसूद गाजी मियां की याद में लगने वाले मेले पर रोक के बाद जौनपुर में भी इसका खासा असर देखने को मिल रहा है। योगी सरकार के कड़े तेवर को
देखते हुए खेतासराय कस्बे में लगने वाले गाजी मियां के मेले को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई है।
जौनपुर जिला प्रशासन के साथ ही एलआई यू के अधिकारी भी इस पूरे मामले की गहराई से छानबीन में जुट गए हैं।
अधिकारी यह जानना चाहते हैं कि इस पूरे मेले का मुख्य कर्ताधर्ता कौन और किस कमेटी के लोग शामिल हैं।
सूबे की सियासत में सुर्खियों पर आए संभल जिले में सैयद सालार मसूद गाजी की याद में लगने वाले मेले पर इस बार प्रदेश शासन ने रोक लगा दिया है। पुलिस ने मेला आयोजित करने पर मुकदमा दर्ज करने की चेतावनी भी दी है।
वहाँ के एएसपी ने कहा कि सालार मसूद गजनवी का सेनापति था, उसने लूटपाट और हत्याएं की थीं। इतिहास में इस बात का जिक्र है।
लिहाजा पुलिस ने नेजा मेला लगाए जाने की अनुमति देने से इन्कार कर दिया है। कहा है कि जिस सैयद सालार मसूद गाजी की याद में यह आयोजन किया जाता है वह मोहम्मद गजनवी का सेनापति था। उसकी याद में यह मेला उचित नहीं है।
पूर्वी यूपी के सियासी पृष्ठभूमि में जनपद जौनपुर का अपना खास मुकाम है। सैयद सालार मसूद गाजी मियां का मेला इसी जिले के नगर पंचायत खेतासराय क्षेत्र में प्रत्येक वर्ष गुरुवार के दिन लगता है।
इस बार आठ मई को यह मेला प्रस्तावित है।
मेले से सवा महीने पहले मेले की लगन रखी जाती है।
मेले का लगन रखने के लिए खेतासराय के दफ़ाली शुकरुल्ला, मोछू ही अपनी पुरानी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
बुधवार को मेला लगाए जाने के संबंध में उनसे जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि जब प्रदेश सरकार मेला लगाने की अनुमति नहीं दे रही है तो हम भी इस बार किसी प्रकार का रिस्क नहीं उठाना चाहते हैं। जौनपुर प्रशासन अनुमति देगा तो मेला लगेगा, नहीं देगा तो नहीं लगेगा। उक्त दोनों मुजावर उर्फ दफाली के इस रिकॉर्ड बयान से खेतासराय में लगने वाले गाजी मियां के मेले को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई है।
वैसे गाजी मियां के इस मेले को हिंदू संप्रदाय के लोग राष्ट्रवीर सुहेलदेव विजय दिवस के रूप में भी मानते हैं।
इस संबंध में शाहगंज के डिप्टी एसपी अजीत सिंह चौहान से बात हुई तो उन्होंने कहा कि शासन के निर्देशों के अनुसार ही सारा कार्य होगा। किसी नई परंपरा का आदेश नहीं दिया जाएगा।
बिना अनुमति के नहीं होगा कोई कार्य
जौनपुर। उप जिलाधिकारी शाहगंज राजेश चौरसिया ने कहा कि शासन से अगर किसी भी प्रकार के कार्यक्रम चाहे सैयद सालार मसूद गाजी मियां का मेला हो। अथवा अन्य कोई मेला को लेकर गाइडलाइन जारी होती है। तो उसके संबंध में मेला लगाने वाले कमेटी और संस्था के लोगों को अनुमति लेना होगा। बिना अनुमति के कोई भी कार्य नहीं होगा। जिससे कानून व्यवस्था को लेकर अड़चन आये।
गाजी मियां मेले में आते हैं हजारों लोग
इस मेले में पूर्वांचल के विभिन्न अंचलों से करीब 10 हजार से अधिक लोग शामिल होने आते हैं। इसे सैयद सालार मसूद गाजी मियां का मेला अथवा गुरखेत का मेला भी कहा जाता है ।
मेला क्षेत्र में अब काफी रिहायशी मकान, आबादी हो जाने से जगह कम है लिहाजा मेला खेतासराय से शुरू होकर गोरारी बाजार तक तीन किलोमीटर के दायरे में रहता है।
मेला शुरू होने से डेढ़ महीना पहले ही चिड़ियाघर, झूला, सर्कस, चरखी के साथ तरबूज, खरबूज और मिठाई के बड़े दुकान दार यहां आते हैं वह लोग दो महीना पहले ही अपने लिए जमीन की बुकिंग कर लेते हैं। इस बार संभल में उठे विवाद और प्रदेश सरकार के सख्त रवैया के चलते मेले के लिए कोई बुकिंग अभी तक नहीं हुई।
ऐसे करते हैं गाजी मियां की कनूरी
गाजी मियां के नाम पर पूजा पाठ यानी कनूरी करने के लिए लकड़ी के बनाए गए निशान पर 100 ₹50 रुपये की मन्नत को कपड़े में लपेटकर बांधा जाता है। फिर गाजी मियां के पुजारी दफाली, मुजावर के माध्यम से मिट्टी के बर्तन में चने की दाल, बैगन, चावल और बाटी को बनाकर पहले उन्हें चढ़ाया जाता है। मुर्गा वह अन्य जंतुओं की बलि भी दी जाती है।
मुजावर पैसे को यह बताते हैं कि वह बहराइच में लगने वाले बड़े मेले में ले जाकर उनके नाम पर चढ़ाएंगे। जबकि उस पैसे हुआ चढ़ाए गए अन्य सामान को मुजावर अपनी जेब में रखकर घर चले आते हैं।
जौनपुर का ये मेला तो फसल की कटाई से जुड़ा है फसल काटने के बाद पहली फसल
जवाब देंहटाएंका ये मेला होता है
अब मेले ठेले पर भी सायसत होने लगी जिसमें सिर्फ और सिर्फ गरीब तबके के लोग 4 पैसा कमा लेते हैं
अब ग़रीब उसे भी गया
राजनीति अपनी जगह और मेला ठेला अपनी जगह होनी चाहिए
जौनपुर का ये मेला तो फसल की कटाई से जुड़ा है फसल काटने के बाद पहली फसल
जवाब देंहटाएंका ये मेला होता है
अब मेले ठेले पर भी सायसत होने लगी जिसमें सिर्फ और सिर्फ गरीब तबके के लोग 4 पैसा कमा लेते हैं
अब ग़रीब उसे भी गया
राजनीति अपनी जगह और मेला ठेला अपनी जगह होनी चाहिए