वरिष्ठ साहित्यकार एकलव्य को कवियों एवं शायरों ने गीत—गजलों से दी स्वरांजलि

 


जौनपुर। जब मैंने सुना एक गांव बढकर शहर हो गया। लगा गाय का ताजा दूध जहर हो गया। जैसी रचना से समाज मे व्यंग की एक विधा प्रस्तुत किया। देश के नामचीन व्यंगकारों में सुमार कृष्णकान्त एकलव्य का 86वां जन्म जयन्ती उनके आवास शास्त्री नगर रुहट्टा पर कवि गोष्ठी आयोजित करके श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। 


इस मौके पर वरिष्ठ कवि रामजीत मिश्र ने बताया कि एकलव्य जी जैसे कवि दुनिया में अकेले पैदा होते हैं। इनके जैसा कोई दूसरा नहीं होगा। इन्होंने अपनी रचना भूलने के लिये कह रहे हो, मगर जी भी सकता। नहीं भूल जाऊं। अगर से अपनी स्वरांजलि दी। तैरते कागज की नाव निकले दादुर शुरू चुनाव व्यंग से अशोक मिश्र ने भी श्रद्धांजलि दी। गिरीश कुमार गिरीश ने उमड़ती हवा में नहीं है ख्यालों में चारों की महफिल जमी है न बहुत खूब सूरत है मौसम सुहाना, चले आइये आपकी ही कमी है। एकलव्य जी को श्रद्धांजलि दी। डा. संजय सिंह सागर ने दिल के तारों को ऐसे ना छेडा करो, मन की भदिरा अभी ये छलक जायेगी। सुमित श्रीवास्तव झूमे झूलवा झकोर पिया जाए चित चोर, पड़े ठण्डी सी कुहार झूमे अमवा की डोर से श्रोताओं का मन मोहा। अध्यक्षता कर रहे अन्सार जौनपुरी ने लिखा है वक्त के माथे पे जो कुछ पढ़ रहा हूं मैं मगर यह झूठ की बातें कोई नादान क्या समझे, अपनी स्वरांजलि दी। संचालन वरिष्ठ कवि अशोक मिश्र ने किया। घन्यवाद एवं आभार ज्ञापन एकलव्य फाउण्डेशन के प्रबन्धक सरोज श्रीवास्तव ने दिया। इस अवसर पर बाबा धर्मपुत्र अशोक, श्याम रतन श्रीवास्तव, संजय अस्थाना, इन्द्रजीत मौर्या, प्रशांत विक्रम सिंह, मनोज गुप्ता, जय आनन्द, के.के. दूबे फौजी, क्षितिज श्रीवास्तव, विवेक श्रीवास्तव, विनय श्रीवास्तव, मुन्ना जगमग, केदारनाथ, राज श्रीवास्तव, इं. पुनीत श्रीवास्तव, डा. अपूर्व श्रीवास्तव सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।

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