बार काउंसिल यूपी का वायरल हो रही इस आदेश ने कलेक्ट्रेट बार के चुनाव में बढ़ाई गर्मी

सोशल मीडिया में वायरल आदेश ने दी हवा

अध्यक्ष बोले मेरे पास नही आया कोई लिखित आदेश 



जौनपुर। उत्तर प्रदेश बार काउंसिल ने कलेक्टेªट अधिवक्ता समिति के अध्यक्ष और महामंत्री का रजिस्टेªशन निलंबित कर दिया गया है। इन लोगों पर आरोप है कि कोरोनाकाल में बार काउंसिल द्वारा दी गयी धनराशि का हिसाब किताब नही दिया गया तथा एक अधिवक्ता द्वारा सहायता मांगे जाने के बाद भी  नही दिया गया। अध्यक्ष और महामंत्री के खिलाफ हुई कार्रवाई की खबर सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रही है। उधर इस मामले पर अपना पक्ष रखते हुए आरोपी अध्यक्ष मनोज मिश्रा ने कहा कि मुझे सोशल मीडिया में वायरल होने बाद पता चला कि मेरे खिलाफ कोई कार्रवाई हुई लेकिन अभी तक मेरे पास कोई लिखित पत्र नही आया है। रही बात कोविड कॉल में प्राप्त हुई 27 लाख रूपये आज भी बार के खाते में सुरक्षित है। 

सोशल मीडिया में उत्तर प्रदेश बार काउंसिल का तेजी से वायरल हो रहा एक पत्र ने कालेक्टेªट अधिवक्ता समिति का हो रहे चुनाव में गर्माहट ला दिया है। इस पत्र में वर्तमान अध्यक्ष और महामंत्री सदस्यता समाप्त करने का आदेश है। 

पत्र के अनुसार बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश द्वारा कोरोना कोविड-19 के संक्रमण काल में अधिवक्ताओं के वितरण हेतु प्रदेश की समस्त बार संघों को सहायता राशि वितरण प्रदान की गयी थी। उक्त सहायता राशि वितरण के सम्बन्ध में कलेक्ट्रेट अधिवक्ता समिति, जौनपुर के अधिक्ताओं द्वारा अवगत द्वारा उक्त सहायता राशि का वितरण नहीं किया गया हैं तथा प्रकरण की जांच प्रारम्भ की गयी। दौरान जांच अध्यक्ष/मंत्री, कलेक्ट्रेट अधिवक्ता समिति, जौनपुर द्वारा आश्वस्त किया गया कि 04 माह के भीतर उक्त धनराशि का वितरण कर दिया जायेगा, यदि वितरण नहीं किया गया तो धनराशि बार काउंसिल को वापस कर दी जायेगी। उसके बाद से न तो आज तक उक्त धनराशि वितरित की गयी और न ही बार कांउसिल को वापस की गयी। इसके अतिरिक्त श्री संतोष उपाध्याय, एडवोकेट ने एक प्रार्थना पत्र दिनांकित 06.01.2025 प्रेषित करते हुए अवगत कराया गया है कि उन्होंने कोरोना काल में वितरित की जाने वाली धनराशि की मांग की तो उसे भी अपशब्दों का प्रयोग करते हुए भगा दिया और धनराशि नहीं दी गयी। उपरोक्त समस्त तथ्यों से अवगत होते हुए कलेक्ट्रेट अधिवक्ता समिति, जौनपुर के वर्तमान अध्यक्ष  मनोज कुमार मिश्र व वर्तमान महामंत्री का अधिवक्ता पंजीकरण तत्काल प्रभाव से अग्रिम आदेश तक के लिये निलम्बित किया जाता है तथा प्रकरण की सुनवाई पूर्व निर्धारित माननीय जांच समिति द्वारा की जायेगी। अगली नियत तिथि को उपरोक्त दोनों अधिवक्ता उपस्थित हों और कारण बतायें कि क्यो न उसके इस कृत्य के लिये उनका अधिवक्ता लाइसेंस सदैव के लिये अनुशासन समिति की कार्यवाही प्रचलित करके निरस्त कर दिया इस मामले पर शिराज ए हिन्द डॉट ने अध्यक्ष मनोज मिश्रा से बात किया तो उन्होने साफ कहा मुझे सोशल मीडिया के माध्यम से पता चला कि मेरे खिलाफ बार काउंसिल ने कोई कार्रवाई किया है लेकिन अभी तक मेरे पास कोई लिखित आदेश नही आया है। 

उन्होने अपना पक्ष मजबूती से रखते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी काल में 27 लाख रूपये बार काउंसिल ने भेजा था जिसे तत्कालीन कार्यवाहक अध्यक्ष सुरेन्द्र श्रीवास्तव और महामंत्री आनंद मिश्रा ने बार के खाते में जमा करा दिया था। उसके बाद 2022 के कलेक्टेªट अधिवक्ता समिति के चुनाव में मैं अध्यक्ष चुना गया।

इसी बीच एक संतोष उपाध्याय नामक अधिवक्ता ने मुझसे पैसे मांगा वे अधिवक्ता है या नही यह मुझे नही मालूम। जबकि पैसा मांगने का अधिकार दीवानी न्यायालय के अध्यक्ष महामंत्री और पांचो तहसीलों के पदाधिकारियों का है। बार काउंसिल द्वारा भेजा गया गया 27 लाख रूपये आज भी कलेक्टेªट अधिवक्ता समिति के खाते में पड़ा है। 


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