पुण्यश्लोका रानी अहिल्याबाई ने भारत के सांस्कृतिक गौरव की पुर्नप्रतिष्ठा स्थापित की
मुख्य वक्ता डॉ रंजना श्रीवास्तव सह प्रांत कार्यवहिका राष्ट्र सेविका समिति काशी प्रांत ने उनके जीवन एवं कार्यों के संबंध में विस्तार से प्रकाश डाला। उनका जन्म 31मई 1725 को अहमदनगर महाराष्ट्र में हुआ था।उनका वैवाहिक जीवन बहुत ही संघर्ष में बीता, उन्हें अपने पति एवं पुत्र की असामयिक मौत का सामना करना पड़ा ।राज्य की बिगड़ती दशा को देखते हुए वे11 दिसंबर 1767 को इंदौर राज्य की शासिका बनी। अपने 28 वर्ष के शासनकाल में उन्होंने जन कल्याणकारी राज्य का आदर्श प्रस्तुत किया। बद्रीनाथ से लेकर रामेश्वरम तक और द्वारिका से लेकर पुरी तक अपनी राज्य की सीमाओं से परे जाकर मंदिरों एवं तीर्थ स्थान का पुनर्निर्माण, नदी घाटों का निर्माण,अन्न क्षेत्र का निर्माण,जल एवं सिंचाई की व्यवस्था,पर्यावरण एवं कृषि तथा उद्योग के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए। महेश्वर राजधानी का निर्माण और महेश्वर में वस्त्र उद्योग की स्थापना उनके द्वारा ही हुआ। उन्होंने न्याय परकएवं लोक कल्याणकारी शासन का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया। विश्व प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर में शिवलिंग की स्थापना, मंदिर का पुनर्निर्माण,गंगा जी के किनारे घाटों का निर्माण उनके द्वारा ही गया किया।13 अगस्त 1795 को उनका परलोक गमन हो गया। विपरीत परिस्थितियों में जैसा कार्य उनके द्वारा किया गया उसे हम सभी को सीख लेने की आवश्यकता है।संगोष्ठी के पश्चात ललित कला विभाग काशी विद्यापीठ के सहयोग से संगत महाविद्यालय के 22 छात्रों द्वारा माता अहिल्याबाई के जीवन पर आधारित नाटिका की मनमोहक तरीके से प्रस्तुति की गयी। इस अवसर पर आयोजन समिति के अध्यक्ष डा सत्य प्रकाश सिंह प्रधानाचार्य टीडी इंटर कॉलेज, सुश्री शारदा जी संयुक्त क्षेत्र प्रचरिका उत्तर प्रदेश,उत्तराखंड,, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक प्रमुख काशी प्रांत रामचंद्र जी, सह विभाग संघचालक डॉक्टर अविनाश , डा.नितेशजी विभाग कार्यवाह , विभाग प्रचारक अजीत जी, जिला संघचालक डॉक्टर सुभाष, जिला प्रचारक रजत जी, जिला प्रचारक मछली शहर प्रभात जी, राष्ट्र सेविका समिति की विभाग कार्यवहिका नीतू जी, जिला कार्यवाहिका अंजू एवं अन्य स्वयंसेविका बहने, संघ परिवार के अनेक स्वयंसेवक, विद्यालय परिवार के शिक्षक एवं छात्र-छात्राएं और शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। संगोष्ठी का संचालन डॉक्टर सीमा सिंह द्वारा एवं अध्यक्षता इंद्रापालजी बाल विकास परियोजना अधिकारी सिरकोनी द्वारा किया गया।