मौत के बाद भी अतुल को न्याय की है उम्मीद
हिमांशु श्रीवास्तव एडवोकेट
जौनपुर । अतुल नेआत्महत्या जैसे कदम के - लिए अपने माता-पिता व भाई से माफी मांगी है।अदालत से निवेदन किया कि उसके माता-पिता और भाई को को मुकदमों से - बरी कर दे। पेशकार माधव के खिलाफ = जांच की मांग करते हुए कहा कि न्यायालय के भ्रष्टाचार की शिकायत हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट से ईमेल के जरिए करने की बात सुसाइड वीडियो में कहा।- कहा कि उनकी अस्थि तब तक विजर्सित न की जाए जब तक - आत्महत्या के लिए मजबूर करने वालों - को सजा नहीं मिल जाए। अगर ऐसा नहीं होता तो अस्थियां आदालत के - सामने गटर में विसर्जित कर दी जाएं।
• अतुल को केस के लिए बेंगलुरु से जौनपुर आने-जाने में दो दिन लगते थे।
उन्होंने कहा है कि साल में 23 छुट्टियां मिलती थीं। अधिकतर डेट पर कुछ नहीं होता था। कई बार जज नहीं आतीं या वकील का हड़ताल पर होते, कंडोलेंस हो जाती। नहीं तो सामने वाला वकील ही अगली तारीख मांग लेता था।
• पत्नी ने पिता की मौत के लिए अतुल, उनके माता-पिता और भाई पर हत्या का केस दर्ज कराया था। जबकि उनकी मौत बीमारी से हुई थी। छह महीने बाद इस केस को वापस भी ले लिया।
• अदालत ने बच्चे के भरण-पोषण के लिए 20 हजार रुपये देने का अंतरिम आदेश दिया था। अतुल का आरोप कि उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया।
• अदालत ने अपने फैसले में बच्चे के भरण-पोषण के लिए 40 हजार रुपये प्रतिमाह देने का आदेश दिया, जिसे उसकी दो साल की आयु से देना था।
इस तरह एरियर जोड़कर रकम 80 हजार रुपये प्रतिमाह हो गई।
• अतुल के अनुसार उनकी पत्नी जौनपुर में नहीं रहती थी। इसके बावजूद मुकदमे को जौनपुर में दर्ज कराया गया ताकि वह परेशान हो। भरण पोषण का मुकदमा वापस लेने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था, लेकिन सीधे फैसला आया।
• पत्नी ने अतुल के साथ-साथ उनके माता-पिता और भाई पर भी घरेलू हिंसा का मुकदमा कराया था। वह शादी के बाद सिर्फ दो दिन के लिए बिहार के समस्तीपुर स्थित घर गई थी और वहीं पिता व भाई से मुलाकात हुई थी।
• अतुल ने बताया कि पत्नी से उसकी मुलाकात शादी डाट काम पर हुई थी। शादी के बाद पता चला कि वह शादी नहीं करना चाहती, लेकिन परिवार के कहने पर कर लिया था।