जौनपुर में एचआईवी पॉजिटिव मरीजों के संघर्ष एवं उम्मीद की कहानियां

जौनपुर। एचआईवी पॉजिटिव मरीजों के लिए समाज में भेदभाव और अस्वीकार्यता बड़ी चुनौतियां हैं लेकिन जनपद में ‘जौनपुर नेटवर्क फॉर एचआईवी पॉजिटिव पीपुल लिविंग विथ एड्स सोसाइटी’ ऐसी संस्था है जो इन चुनौतियों का सामना कर रहे मरीजों के लिए उम्मीद की किरण बन रही है। इस संस्था ने न केवल मरीजों को सही इलाज मुहैया कराया है, बल्कि उनके अधिकारों और सम्मान के लिए भी संघर्ष कर रही है।



कुसुमलता: संघर्ष से उम्मीद तक का सफर

जौनपुर के एक छोटे से गांव की रहने वाली कुसुमलता (काल्पनिक नाम) की जिंदगी में मुश्किलें तब बढ़ गईं जब 3 साल पहले उनके पति की मौत हो गई। पति एचआईवी पॉजिटिव थे और कुसुमलता भी इस संक्रमण से ग्रस्त पाई गईं। पति की मौत के बाद उनकी सेहत भी लगातार गिरने लगी। हालात तब और खराब हो गए जब उनके बेटे की शादी के बाद बहू ने उनके प्रति भेदभाव करना शुरू कर दिया। बहू ने खाना दूर से देना, कपड़े न छूना जैसे बर्ताव किये जो कुसुमलता के लिए मानसिक और शारीरिक तौर पर बेहद कठिन थे। कुसुमलता ने यह बात संस्था से साझा की। जफरुल खान के साथ संस्था के अन्य सदस्यों ने उनके घर जाकर बहू को समझाया कि एचआईवी छूने, साथ रहने या खाना खाने से नहीं फैलता। यह जागरूकता बहू के व्यवहार में बदलाव लेकर आई। अब कुसुमलता का परिवार सामान्य तरीके से जीवन जी रहा है। संस्था की मदद से उनका इलाज शुरू हुआ जिससे अब वह व्हीलचेयर के बिना भी चल सकती है।


आशा: शिक्षा और हिम्मत से मिली नयी राह

सिर्फ 30 साल की उम्र में आशा (काल्पनिक नाम) के पति की एचआईवी के कारण मौत हो गई। स्नातक तक पढ़ी-लिखी आशा खुद भी एचआईवी पॉजिटिव थीं और ससुराल वालों ने उन्हें घर से अलग कर दिया। अपने दो छोटे बच्चों के साथ उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। संस्था की मदद से उनका इलाज शुरू हुआ। आशा ने दिल्ली जाकर नौकरी शुरू की और अब अपने बच्चों की परवरिश के साथ अपना इलाज भी जारी रख रही हैं। यह कहानी बताती है कि शिक्षा और आत्मनिर्भरता किसी भी परिस्थिति से उबरने का माध्यम बन सकती है।

जौनपुर में एचआईवी मरीजों की स्थिति
जौनपुर के जिला अस्पताल में स्थित एआरटी (एंटी-रेट्रोवायरल थैरेपी) सेंटर के प्रभारी डा. सफीक खान के अनुसार जिले में लगभग 3700 एचआईवी पॉजिटिव मरीज हैं जिन्हें नियमित दवा मिल रही है। हालांकि मरीजों की पहचान गोपनीय रखने की सख्त गाइडलाइन्स हैं।


संवेदनशीलता एवं सरकारी सहायता की जरूरत
जौनपुर नेटवर्क के प्रदेश सचिव दिनेश यादव का कहना है कि समाज में एचआईवी पॉजिटिव मरीजों को भेदभाव झेलना पड़ता है। खास तौर पर ऐसी महिलाएं, जिनके पति की मौत हो चुकी है, उन्हें घर से निकाल दिया जाता है या अपमान का सामना करना पड़ता है। उनका सुझाव है कि राजस्थान, उत्तराखंड और बिहार की तरह यूपी में भी एचआईवी पॉजिटिव महिलाओं के लिए पेंशन योजना शुरू होनी चाहिए। मुफ्त इलाज और दवाएं मिल जाती हैं लेकिन समाज से मिलने वाले अस्वीकार्यता के दंश का कोई ठोस समाधान नहीं दिखता।


गरिमापूर्ण जीवन जीने का हक दिलाने का अवसर
विश्व एड्स दिवस सिर्फ बीमारी के बारे में जागरूकता का दिन नहीं है, बल्कि यह समाज को संवेदनशील बनाने और एचआईवी पॉजिटिव लोगों को गरिमापूर्ण जीवन जीने का हक दिलाने का भी अवसर है। जौनपुर की इन कहानियों से यह स्पष्ट है कि सही दिशा, जागरूकता और संवेदनशीलता से एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की जिंदगी को बेहतर बनाया जा सकता है।

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