निकिता और उसकी मां ने पैसे के लिए हम लोगों को बर्बाद कर दिया,पोते को कभी गोद में नहीं लिया!

 अधिवक्ता बोले: हाई कोर्ट का रास्ता अतुल के लिए खुला था 

निकिता के ताऊ सुशील ने कहा: मेरा परिवार दोषी नहीं 

हिमांशु श्रीवास्तव एडवोकेट 


जौनपुर-मृत इंजीनियर अतुल के पिता पवन से फोन पर वार्ता हुई तो वह फफक कर रोने लगे और कहे कि हम लोग बर्बाद हो गए। बंगलौर से वह बिहार पहुंच चुके हैं।उन्होंने बताया कि निकिता ने केवल पैसे के लिए मेरे बेटे से शादी किया। पैसा ही उसके लिए सब कुछ था।वह केवल एक दिन हम लोगों के साथ बिहार समस्तीपुर में रही। दूसरे दिन पति के साथ बेंगलुरु चली गई। इस पूरी घटना में निकिता,उसकी मां व उसके ताऊ का प्रमुख रोल है। उसके पिता बहुत सीधे थे।वह बीमार थे।शादी के कुछ दिन बाद उनकी मृत्यु भी हो गई थी। शादी के 2 साल बाद ही निकिता ने हम लोगों पर कई झूठे मुकदमे कर दिए। हमने अपने पोते को एक दिन भी गोद में नहीं खिलाया है। बेंगलुरु से कई बार बेटा अतुल और यहां से हम लोग कोर्ट जाते थे। कोर्ट के चक्कर काट-काट कर बेटा थक चुका था। उसे न्याय की कोई उम्मीद नहीं थी। कोर्ट से ₹40,000 भरण पोषण के आदेश के बाद भी निकिता ने हाई कोर्ट में अपील कर रखा था। वहां भी बेटे को बैंगलोर से दौड़ कर जाना पड़ता था। हत्या व अन्य गंभीर धाराओं का मुकदमा निकिता ने किया था जिसे बाद में वापस ले लिया। दहेज उत्पीड़न के मुकदमे की तारीख के बारे में पूछने पर बताया कि 12 दिसंबर को तारीख है लेकिन हमने अपने वकील साहब से कह दिया है कि लंबी तारीख ले लें।हम लोग आ नहीं पाएंगे।निकिता और उसकी मां ने हम लोगों को बर्बाद कर दिया।


निकिता के ताऊ सुशील कुमार ने कहा कि मीडिया के जरिए मुझे पता चला कि मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है जबकि इस मामले से मेरा कोई लेना-देना नहीं है।हम लोग तो यहां जौनपुर में बैठे हुए हैं।3 साल से हम लोगों का मुकदमा चल रहा है। हम लोगों से उनकी कोई भेंट या मुलाकात भी नहीं हुई। कोर्ट में केस चल रहा है। यह अचानक कैसे और क्यों हो गया। इसके लिए हम या हमारा परिवार दोषी नहीं है।


मृत इंजीनियर अतुल के मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश मिश्रा ने अतुल के सुसाइड को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।कहा कि उसकी तनख्वाह करीब 84 हजार रुपए प्रतिमाह थी। निकिता भी अच्छी जॉब करके प्रतिमाह तनख्वाह पाती थी। कोर्ट ने निकिता के पक्ष में कोई आदेश नहीं किया। अतुल के बेटे को ₹40,000 प्रतिमाह देने का आदेश दिया जो बिल्कुल सही आदेश था क्योंकि पत्नी तो स्वयं कमा रही थी। कोर्ट के ऊपर जो भी आरोप लगाया गया है वह बिल्कुल गलत और निराधार है।हम लोग रोज इसी कोर्ट में काम करते हैं।ऐसी कोई बात नहीं है। भरण पोषण का मुकदमा जुलाई में ही डिसाइड भी हो चुका था। अगर अतुल उससे पीड़ित था तो उसे हाई कोर्ट में अपील करनी चाहिए थी कि धनराशि कम की जाए लेकिन ऐसा कदम उठाना नहीं चाहिए था।हो सकता है बीच में लड़की या उसके परिवार वालों ने अतुल से कोई अन्य मांग किया हो जिससे वह परेशान हुआ हो और यह कदम उठाया हो।कोर्ट में जब वह आता था तो बिल्कुल सामान्य तरीके से रहता था। ऐसा कोई अननेचुरल बिहेवियर उसका नहीं था।

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