निकिता ने हाईकोर्ट में अतुल पर दाखिल किए थे 5 मुकदमे

 दहेज उत्पीड़न के मुकदमे की त्वरित सुनवाई व 40,000 रुपए भरण पोषण की राशि बढ़ाने के लिए भी किया था मुकदमा

हिमांशु श्रीवास्तव एडवोकेट 

जौनपुर। सुसाइड करने वाले इंजीनियर अतुल सुभाष किस मानसिक हालत से गुजरे होंगे, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पत्नी निकिता सिंघानिया ने उनके खिलाफ दीवानी न्यायालय में हत्या, अप्राकृतिक दुष्कर्म,विवाह विच्छेद (दोनों बाद में वापस लिया)दहेज उत्पीड़न,भरण पोषण,घरेलू हिंसा के अलावा पांच मुकदमे इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल कर रखे थे। पति की मौत के बाद अग्रिम जमानत के केस को भी अगर जोड़ दिया जाए तो निकिता ने पिछले करीब दो सालों में हाईकोर्ट में छह मुकदमे दाखिल किए हैं। इनमें से कुछ मुकदमे अभी कोर्ट में पेंडिंग है जबकि कुछ निस्तारित किए जा चुके हैं।


निकिता सिंघानिया द्वारा दाखिल अग्रिम जमानत याचिका पति अतुल सुभाष की मौत हो जाने के बाद औचित्यहीन हो गई है। क्योंकि पुलिस ने सुनवाई के पहले ही निकिता, उसकी मां व भाई को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।


निकिता सिंघानिया ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहला मुकदमा 28 सितंबर 2022 को दाखिल किया था। इसमें पति अतुल सुभाष और ससुराल वालों के खिलाफ दाखिल मुकदमे से जुड़े दीवानी न्यायालय के 2 जुलाई 2022 के फैसले को चुनौती दी गई थी। यह मुकदमा अभी पेंडिंग है।


निकिता ने दूसरा मुकदमा 28 जुलाई 2023 को दाखिल किया था।यह मुकदमा अनुच्छेद 227 के तहत दाखिल किया गया था। हाईकोर्ट ने 24 अगस्त 2023 को इस मुकदमे को निस्तारित कर दिया था।इसमें अर्जी में कुछ संशोधन किए जाने की मांग की गई थी।


निकिता ने एक अन्य मुकदमा 8 नवंबर 2023 को दाखिल किया था।इस मुकदमे में 2022 में कोतवाली में पति अतुल व ससुराल वालों पर दर्ज कराए गए दहेज उत्पीड़न के मुकदमे का ट्रायल जल्द से जल्द पूरा कराए जाने की गुहार लगाई गई थी।अदालत ने ट्रायल कोर्ट को एक वर्ष के अंदर केस की सुनवाई पूरा करने को कहा था।


निकिता ने हाईकोर्ट में एक अन्य मुकदमा आदेश का पालन करने के लिए दाखिल किया था। सिंगल बेंच ने इस मुकदमे में इसी वर्ष 2 अप्रैल को आदेश जारी किया और एक दिसंबर 2022 के फैसले पर अमल किए जाने को कहा।


निकिता ने पांचवा मुकदमा इसी वर्ष 5 सितंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल  किया था. इस मुकदमे में भरण पोषण के लिए पति अतुल से गुजारा भत्ता बढ़ाए जाने की अपील की थी।निकिता ने इस मुकदमे के जरिए परिवार न्यायालय कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है।

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