यूपी की नौ विधान सभा सीटों पर उप चुनाव: बसपा के मैदान में आने से लड़ाई हुई त्रिकोणीय
-बसपा के अस्तित्व का निर्धारण करेगा यह चुनाव, लोकसभा चुनाव में सपा को मिली ऐतिहासिक जीत के स्थायित्व का पैमाना भी तय करेगा दलित व मुस्लिम जनाधार l
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-कैलाश सिंह-
राजनीतिक संपादक
लखनऊ, (तहलका विशेष)l इस साल हुए लोकसभा चुनाव में खासकर उत्तर प्रदेश में मिली ऐतिहासिक जीत से समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव सातवें आसमान पर पहुँच गए l उनके स्थान पर किसी भी क्षेत्रीय दल का नेता होता तो उसका भी हाल ऐसा ही होताl जो गलत नहीं है, लेकिन प्रदेश की दस में से ( एक मिल्कीपुर सीट का मामला अदालत में है) तो नौ सीटों पर होने जा रहे उप चुनाव में पहली बार मायावती के आने से अब यह लड़ाई त्रिकोणीय होने जा रही है, जो अखिलेश यादव के पीडीए का पसीना छुड़ाने के लिए काफी है l
यह उप चुनाव भारतीय जनता पार्टी के लिए 2027 में होने वाले फाइनल मुकाबले में पहुँचने का जहाँ संकेत देगा वहीं समाजवादी पार्टी की लोकसभा में हुई जीत के स्थायित्व का पैमाना भी गढ़ेगा l जबकि बहुजन समाज पार्टी के लिए तो यह चुनाव उसके अस्तित्व का निर्धारण करेगा l इसीलिए बसपा सुप्रीमों सुश्री मायावती जो सत्ता में रहने या न रहने के दौरान कभी उप चुनावों को महत्व नहीं देती थींl लेकिन अबकी वह पहली बार पूरी ताकत से मैदान में उतर रहीं हैं l इनके आने से अखिलेश यादव को सातवें आसमान से नीचे उतरना पड़ रहा है l क्योंकि बसपा सुप्रीमों के मैदान में होने से खिसका दलित जनाधार 'जो कथित तौर पर संविधान बदलने और आरक्षण खत्म करने' के लोकसभा चुनाव में बनाए गए मुद्दे की कलई भी उतारेगा, वहीं सपा के फार्मूला पीडीए की ताकत घटने - बढ़ने को भी दर्शाएगा l
दरअसल बसपा प्रमुख को सेकुलर वोट खासकर मुस्लिम जनाधार भी मिलता रहा है जो सपा प्रमुख के लिए यह बंटवारा खतरे की घंटी साबित होगा l इसका फायदा भाजपा को ही मिलेगा क्योंकि कांग्रेस इस चुनावी संग्राम में नहीं है l
अब पिछली परिस्थितियों में नज़र डालने पर तस्वीर काफी साफ़ होती है l लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा में जारी आंतरिक कलह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हटाए जाने की अफवाह को लगे पंख और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के साथ भाजपा के गतिरोध ने उसके कोर वोटरों में निराशा भर दिया,इसके चलते वह घरों से बाहर ही नहीं निकले थे l इन परिस्थितियों ने भाजपा का नुकसान और बसपा की निष्क्रियता से उसके वोट बैंक को खिसकने का मौका बाढ़ के पानी सरीखे दे दिया, जिसका पूरा फायदा सपा को मिला l
इस बार भाजपा को संघ से मिली ताकत और मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ द्वारा इसे फ़ाईनल मुकाबले की तरह मानकर मैदान में उतरने से इस चुनाव में त्रिकोणीय और रोचक मुकाबला होने के आसार दिखने लगे हैं l हरियाणा की जीत से भाजपा कार्यकर्ताओं का जोश भी सातवें आसमान में परवाज़ करने लगा है ।
Bjp ki Jeet asaan banane k liye he aayin hai
जवाब देंहटाएंNahi to kahe ko aayen
Ama aapo godi patrakaar ho bsp k
जवाब देंहटाएंBhasha to party k pravakta ki hai