पीड़ित परिवार का आरोप— पुलिस की कार्यशैली के चलते गयी बिटिया की जान
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मृतका के पिता सहित पूरे परिवार ने पुलिस पर लगाया रिश्वत लेकर मुलजिमों को छोड़ने का आरोप, पुलिस महानिरीक्षक से की शिकायत
मछलीशहर, जौनपुर। नाबालिग की मौत का जिम्मेदार बिटिया का परिवार सिर्फ मछलीशहर पुलिस को मान रहा है। बिटिया की मां ने पुलिस महानिरीक्षक के सामने चिल्लाकर कहा कि अगर पैसा लेकर आरोपियों को छोड़ा नहीं गया होता तो आज मेरी बेटी जिन्दा होती।
मालूम हो कि मुस्तफाबाद के बेहद निर्धन परिवार की दलित बिटिया 20 तारीख बुधवार को ही दिन में गायब हो जाती है। पिता उसी दिन रात 11 बजे मछलीशहर कोतवाली पहुंचता है और नामजद तहरीर पुलिस को देता है। पुलिस 21 तारीख की सुबह आरोपियों को पड़कर लाती है लेकिन जैसा आरोप है कि शाम 5 बजे तक थाने में रखने के बाद आरोपियों को छोड़ दिया जाता है। पिता का आरोप है कि छूटने के बाद खुन्नस में आरोपी पुत्री का न सिर्फ बलात्कार करते हैं, बल्कि रात में ही उसकी हत्या करके शव को तालाब में फेंक देते हैं। 20 तारीख को पिता रात 11 बजे पहुंचकर पुलिस को पुत्री के गायब होने की सूचना देता है लेकिन उसका गुमशुदगी का मुकदमा दूसरे दिन 22 तारीख की रात 12:13 पर दर्ज किया जाता है। नामजद तहरीर देने के बावजूद गुमशुदगी का मुकदमा अज्ञात लोगों के खिलाफ पुलिस दर्ज करती है। प्रश्न उठता है कि जब पुलिस 22 तारीख की रात 12:13 पर गुमशुदगी का पहला मुकदमा दर्ज करती है, वह भी अज्ञात लोगों के नाम तो पिता द्वारा बताए नामजद तीन अभियुक्तों को पुलिस 21 तारीख को सुबह से लेकर शाम तक थाने में कैसे बैठा लेती है, क्योंकि गुमशुदगी का मुकदमा तो 21-22 की रात 12 के बाद लिखा जाता है। अपनी बिटिया की मौत की जिम्मेदार आरोपियों को पिता स्पष्ट तौर पर पुलिस को बताता है लेकिन पुलिस पूरे दिन आरोपियों को थाने में बैठाने के बावजूद बिटिया को बरामद नहीं कर पाती है। उन्हें पैसा लेकर छोड़ देती है जो थाने से छूटने के बाद उसी रात बिटिया के साथ बर्बरता करते हैं और उसकी जान ले लेते हैं। पिता ने मछलीशहर पुलिस की रिश्वतखोरी की लिखित शिकायत पुलिस महानिरीक्षक वाराणसी मोहित गुप्ता से किया जो इत्तेफाक से थाने के निरीक्षण पर आये हुये थे।