मटरू बिंद कस्टोडियल डेथ: रिपोर्ट न सौंपने पर आयोग ने जताई नाराजगी

 


जौनपुर। शाहगंज कोतवाली में मटरू बिंद की पुलिस हिरासत में मौत के मामले में मानवाधिकार आयोग द्वारा जिलाधिकारी, जौनपुर से मांगी गई जांच रिपोर्ट तय समय पर जमा न होने पर आयोग ने गहरी नाराजगी व्यक्त की है। राज्य मानवाधिकार आयोग ने जिलाधिकारी को 20 नवंबर 2024 तक जांच पूरी कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील डॉ. गजेंद्र सिंह यादव ने इस मामले को मानवाधिकार आयोग में दर्ज कराया था। आयोग ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए पुलिस हिरासत में मौत के कारणों की जांच करने और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करने की बात कही थी।

बतादें कि 19 अक्टूबर 2024 को जौनपुर के शाहगंज कोतवाली में 52 वर्षीय मटरू बिंद की मौत हुई थी। पुलिस का दावा था कि मटरू ने शौचालय में फांसी लगाकर आत्महत्या की। उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। जबकि परिजनों ने पुलिस पर हत्या का आरोप लगाते हुए दावा किया कि मटरू को झूठे आरोप में हिरासत में लिया गया था। घटना के बाद पुलिस ने मामले को छिपाने की कोशिश की। शुरुआत में थानाध्यक्ष ने इसे मामूली घटना बताते हुए गंभीरता से न लेने की बात कही। मटरू बिंद को उचक्कागीरी के आरोप में पुलिस ने उठाया था। हिरासत में रहते हुए उनकी मौत के बाद परिजनों ने पुलिस पर प्रताड़ना और हत्या का आरोप लगाया। मामले की संदिग्धता तब और बढ़ गई जब पुलिस ने घटना को लेकर प्रारंभिक जानकारी देने में टालमटोल की।

मानवाधिकार आयोग ने इस मामले को गंभीर मानते हुए जिलाधिकारी से समय पर रिपोर्ट न मिलने पर नाराजगी जाहिर की है और उन्हें जांच पूरी कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।

परिजनों और एडवोकेट डॉ. गजेंद्र सिंह यादव ने उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि जिम्मेदार पुलिस कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके और भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकी जा सकें।

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