भाई की लम्बी उम्र के लिये बहनों ने की 'भइया दूज' की पूजा
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जौनपुर। भाई—बहन का पवित्र त्योहार भैया दूज शनिवार से लेकर रविवार तक परम्परागत ढंग से मनाया गया। इसके बाबत देखा गया कि कहीं भाई अपने बहन के घर गये तो कहीं बहन अपने मायके गयी। अविवाहित भाई—बहन तो अपने घर पर ही यह अनुष्ठान सम्पन्न किये। बता दें कि भैया दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है। बता दें कि हर साल कार्तिक माक के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भैया दूज मनाया जाता है। यह त्योहार भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक होता है। इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं। नारियल देती हैं और भाई—बहन के लिये उपहार लेकर आते हैं। इस साल भैया दूज की तिथि को लेकर खासा उलझन की स्थिति बन रही है। फिलहाल 2 एवं 3 नवम्बर को यह पर्व मनाया गया। जानकारों के अनुसार 2 नवम्बर की रात 8 बजकर 21 मिनट पर शुरू यह पर्व 3 नवम्बर की रात 10 बजकर 5 मिनट तक चला। उदया तिथि के अनुसार भैया दूज 3 नवम्बर के दिन अधिकांश लोगों ने मनाया। लोगों का कहना है कि इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लम्बी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं। ऐसा करने से भाई-बहन दोनों के जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन यमुना ने अपने भाई यम का अतिथि सत्कार के साथ भोजन कराया था। तब यमराज ने यह वरदान दिया था कि जो भी इस दिन यमुना में स्नान करके यम का पूजन करेगा, उसे मृत्यु के बाद यमलोक जाना नहीं पड़ेगा। यमुना को सूर्य की पुत्री माना जाता है, इसलिए इस दिन यमुना में स्नान करना, यमुना और यमराज की पूजा करने का महत्व है। परम्परा के अनुसार अपने घर आंगन में गोबर से यमुना, यम और यमीन की आकृति बनाया जाता है। फिर पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे दीपक, अगरबत्ती, कुमकुम, रोली, फूल, नारियल, फल और पूजा की थाली तैयार किया जाता है। इसके बाद बहनें अपने भाई की लम्बी उम्र की कामना करते हुये ‘गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े” मंत्र का जाप करती हैं।