पिता की आज्ञा को किया स्वीकार, चल पड़ा व्यापार , सैकड़ो लोगो को दिया रोजगार

 

जौनपुर। कभी नौकरी करने के उद्देश्य से बी- टेक तक की पढ़ाई करने वाला जिले का एक शख्स आज खुद एक सौ से अधिक लोगों को रोजगार दिया है। उसने अपनी मेहनत और ईमानदारी के बदौलत पिछले कई दशकों से कीर्तिमान स्थापित करने वालें प्रतिष्ठानों को पीछे छोड़ दिया है।  आज उसके प्रतिष्ठान के नाम और पहचान जिले में ही नही बल्की पूर्वांचल के सभी जनपदों में  है। 



शिराज ए हिन्द डॉट कॉम बेरोजगार युवाओं को प्रेरित करने के लिए अपने दम पर सफलता हासिल करने वाले युवकों की कहानी उनकी जुबानी उन  तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा है। इसी कड़ी में आज हम बात करने जा रहे है कपड़े के व्यापार में अलग पहचान बनाने वाले के-सन्स शो रूम के अधिष्ठाता विवेक उपाध्याय की। विवेक उपाध्याय के दादा डा0 रामकृष्ण उपाध्याय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व विधायक थें, विवेक के पिता डा0 काशीनाथ उपाध्याय आंख के डाक्टर थे। विवेक पढ़ाई लिखाई करके देश नामी गिरामी कम्पनी में काम करना चाहते थे उन्होने वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय से सन् 2004 में बी-टेक किया उसके बाद वे नौकरी करने के लिए दिल्ली चले गये। एक विदेशी कम्पनी में जॉब के लिए इण्टर ब्यू देने की तैयारी कर ही रहे थे इसी बीच उनके पिता डा0 काशीनाथ उपाध्याय ने अचानक वापस घर बुला लिया। घर आने के बाद पिता ने विवेक से कहा कि जिले में कोई ब्राडेड कम्पनी के कपड़े का  शो रूम नही है मै चाहता हूं कि तुम इस धंधे में लग जाओ। 

इस कारोबार में अनुभव शून्य होने के बाद भी पिता की आज्ञा स्वीकार करके विवेक ने अपने बड़े भाई विकेश उपाध्याय उर्फ विक्की की मदद से सिविल लाइन में एक दुकान की तलास करके के-सन्स के नाम से ब्राडेड कपड़े का शो रूम खोल दिया। 

विवेक ने शिराज ए हिन्द डॉट कॉम से बातचीत में बताया कि ब्राडेड कम्पनी के कपड़े महंगे  होने के कारण कई लोग मेरे प्रतिष्ठान पर तरह तरह की तोहमत लगाते थे लेकिन बाद में जानकारी होने के बाद वही लोग हमारे प्रतिष्ठान के मुरीद हो गये । आज के-संस का जिले में ही नही बल्की पूरे पूर्वांचल में अलग पहचान बन चुका है। श्री उपाध्याय ने बताया कि मैं हर हाल में अपने शो रूम पर सुबह नौ बजे पहुंच जाता हूं रात नौ बजे तक रहता हूं। पूरे टाईम मैं ग्राहको की सेवा लगा रहता हूं। जिसके कारण जो भी मेरे शो रूम पर आया वह मुरीद हो गया। ग्राहको के आर्शीवाद से नगर में हमारे पांच प्रतिष्ठान स्थापित हो गये है जिसमें एक सौ से अधिक कर्मचारी काम कर रहे है।    

उन्होने बेरोजगार युवकों को सलाह देते हुए कहा कि आप जो भी काम करें उसे पूरी ईमानदारी के साथ करे तथा समय का विशेष ध्यान रखें । 


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