आज भी जिन्दा है धरती के भगवान, इसे सच कर दिखाया जौनपुर के इस लाल ने
गरीब मरीज की मदद नही कर पाया तो मार दी लाखों रूपयें की नौकरी को लात
इस भगवान रूपी डाक्टर का अपने हॉस्पिटल के बोर्ड पर नाम लिखकर कई लोग चुस रहे है गरीबों का खून
जौनपुर। जिले के इस प्रतिभावान युवक के भीतर मानवीय संवेदनाएं कुट कुटकर भरी हुई है। इस युवक ने एक गरीब महिला की मदद न कर पाने के कारण देश के जाने माने मैक्स जैसे हास्पिटल की लाखों रूपये की नौकरी को लात मारकर सरकारी मेडिकल में मात्र डेढ़ लाख रूपये की तनख्वाह वाली जॉब को चुना है। वह यहां पर गरीब मरीजों का इलाज पूरी ईमानदारी के साथ कर रहा है। हम आज बात कर रहे है जिले के सिकरारा थाना क्षेत्र के बांकी गांव के निवासी डा0 ज्ञानप्रकाश सिंह के पुत्र डा0 नीरज प्रकाश सिंह की। नीरज प्रकाश ऐसे वैसे डाक्टर नही है बल्की हार्ट सर्जरी के मामले में देश के पांच डाक्टरों में उनका नाम शामिल है।
डा0 नीरज प्रकाश सिंह अपने पैतृक गांव बांकी के प्राथमिक स्कूल से कक्षा पांच तक की पढ़ाई किया उसके बाद उनका चयन नवोदय विद्यालय मड़ियाहूं में हो गया। यहां से इण्टर तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उनका चयन एमबीबीएस बीएचयू में हो गया। 2007 में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद यही से जनरल सर्जरी से एमएस किया। एमसीएच पीजीआई दिल्ली से किया। हार्ट सर्जरी में उन्होने गोल्डमेडिल प्राप्त किया। यह मेडल उन्हे उपराष्ट्रपति के हाथो मिला । सन् 2015 में नीरज की प्रतिभा को देखते हुए मैक्स हॉस्पिटल परपटगंज दिल्ली ने छह लाख रूपये प्रति माह पर अपने संस्थान में नियुक्त किया।
जो सर्जरी आम डाक्टर चार से पांच घंटे में करते है उसे डा0 नीरज सिंह मात्र दो घंटे में ही निपटा देते है। वे सीना न फाड़कर बल्की सीने के नीचे एक छोटा छेद करके आसानी सर्जरी करते है। इसी के कारण उनका नाम देश के टॉप पांच डाक्टरों में गिना जाता है।
अब आपको बताते है डा0 नीरज के मानवीय संवेदना की बात ।
सन् 2017 में उन्होने मैक्स हॉस्पिटल में एक गरीब मरीज की सर्जरी किया। उस मरीज के इलाज में साढ़े चार लाख का बिल हॉस्पिटल प्रशासन बनाया। मरीज की माली हालत खराब होने के कारण उसकी पत्नी ने अपने गहने बेचकर चार लाख रूपया जमा की। हॉस्पिटल प्रशासन एक रूपये कम करने को तैयार नही हुआ। उक्त महिला ने डा0 नीरज प्रकाश से अपनी समस्या बतायी तो नीरज ने हॉस्पिटल प्रशासन से बात किया लेकिन उनकी पैरवी के बाद भी महिला के बिल में कोई रिलिफ नही मिला तो नीरज ने खुद अपने पास से 50 हजार रूपये जमा किया साथ अपना इस्तिफा भी मैक्स हॉस्पिटल को सौप दिया।
मैक्स हास्पिटल से इस्तिफा देने के बाद नीरज ने इसकी जानकारी अपने पिता डा0 ज्ञानप्रकाश सिंह को दी। उन्होने इस्तिफा देने का कारण पूछा, नीरज ने बताया कि पापा हम पढ़ लिखकर गरीब मरीजों की सेवा करने का संकल्प लिया है जब हम गरीबों की सेवा नही कर सकते तो मेरी पढ़ाई किस काम की। बेटे की बात सुनने के बाद कौन सा पिता होगा जिसे अपने बेटे की सोच पर गर्व नही होगा। उन्होने बेटे का हौसला बढ़ाया।
उसके बाद नीरज ने उत्तर प्रदेश सरकार की एक मात्र संस्थान गणेश शंकर मेमोरियल राजकीय मेडिकल कालेज कानपुर के ह्दय रोग विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नौकरी ज्वाइंन किया। नीरज प्रतिदिन ओपीडी में करीब पांच सौ मरीजों का इलाज करते है।
अपनी जन्मभूमि का कर्ज उतारने के लिए हर महीने आते है डा0 नीरज
अपनी जन्मभूमि का कर्ज उतारने के लिए हर महीने दूसरे रविवार को पालिटेक्निक चौराहे के पास अपने पिता के संस्थान में बैठकर भारी संख्या में मरीजों का निःशुल्क इलाज करते है यहां आने वाले मरीजों की जांच और एक माह की दवा भी फ्री में उपलब्ध कराते है।
नीरज के नाम पर कुछ अस्पताल के संचालक चुस रहे है गरीबों का खून
एक तरफ डा0 नीरज गरीबों की सेवा के लिए लाखों रूपये की नौकरी छोड़कर गरीबों की सेवा कर रहे है वही जौनपुर कुछ अस्पताल के संचालक उनके नाम का अपने अस्पताल में बोर्ड लगाकर गरीबों का खून चूसने का काम कर रहे है।
Great Job
जवाब देंहटाएंत्याग की भावना क्षत्रिय में कूट-कूट कर भरी रहती है
जवाब देंहटाएं