ऑपरेशन यमराज: जौनपुर में तीन दर्जन टेक्निशियन बने सर्जन, एक हजार अवैध नरसिंगहोम

जौनपुर की तहसील केराकत कस्बे में स्टेशन रोड पर हाई स्कूल फेल चला रहे हैं रेफरल सेंटर, स्वास्थ्य विभाग गैर रजिस्टर्ड अस्पताल, अल्ट्रा साउंड, पैथोलॉजी संचालकों को मुख्यालय बुलाकर करता है मोलभावl

-प्रदेश के हर जिले में निजी अस्पतालों में व्यवस्था और नियम- कानून बेमानी, जौनपुर तो बानगी है, मरीज बने हैं ग्राहक, दलाल इन्हें खींच लाते हैं ग्रामीण इलाकों से, नकली दवाएं भी कुछ चिकित्सकों द्वारा कराई एमआरपी से हो जाती हैं महंगीl

                                 कैलाश सिंह 

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लखनऊ/जौनपुर, (तहलका विशेष)l प्रदेश के मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ ने जब से 'झोलाछाप' के खिलाफ़ सख्त कदम उठाने के आदेश दिए हैं तब से बड़े से लेकर छोटे नौकरशाह दुविधायुक्त तनाव से गुजर रहे हैं l झोलाछाप की पहुँच पैसे के बल पर ऊपर तक हो गई है, ऐसे में सुविधा शुल्क वसूली की चेन टूटती दिख रही हैl दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ' ईंट भट्ठे के मुनीम' की तरह इतनी कौड़ी बाँट चुके हैं कि उसी के सहारे ' ऑपरेशन थियेटर' के तकनीकी सहायक खुद सर्जन बनकर केवल जौनपुर  शहर में तीन दर्जन अस्पताल चला रहे हैं l जनपद में बग़ैर पंजीकृत निजी अस्पतालों की संख्या हजार का आंकड़ा पार कर रहा है l जिले की पांच तहसीलों में सौ के औसत में 500 हैं और जिला मुख्यालय पर अकेले इतने हैं l इनमें तकनीकी सहायकों के मोबाईल अस्पताल भी शामिल हैं l जब ये पकड़े जाते हैं तो कुछ दे- लेकर मामला निबटते ही फ़िर 100 मीटर की दूरी पर दूसरी दुकान सजा लेते हैं l

दरअसल स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी स्तर के अधिकारी इनके संपर्क में रहते हैंl सीएमओ कोई भी आये- जाए इससे इनकी सेहत पर फर्क नहीं पड़ता है l वह इनके सांचे में फिट बैठा तो ठीक वरना काम तो अपनी गति से चल ही रहा है l क्योंकि इनके साथ विभाग के छोटे कर्मचारी भी ग्रुप में होते हैं l 

हाल ही में जिला मुख्यालय से केराकत में जांच करने गए हेल्थ अफसर ने बिना रजिस्ट्रेशन वाले निजी चिकित्सकों, अल्ट्रा साउंड, पैथालॉजी संचलकों को मुख्यालय बुलाये, यहाँ मामला रफादफ़ा हो गया l सीएमओ के सामने उनकी पेशी कराई जाती है जो बढ़ती महंगाई के बावजूद सुविधा शुल्क बढ़ाने में आनाकानी करते हैं, फ़िर उनके लाइसेंस पर महीनों बहस चलती है l गौराबादशाहपुर में जिस अल्ट्रा साउंड संचालक की दुकान सील हुई उसका केस ऐसा ही था l केराकत के स्टेशन रोड पर एक कमरे में हाई स्कूल फेल दो युवक रेफरल सेंटर खोले हैं l इनकी सेटिंग वाराणसी के बड़े झोलाछाप से है l यह मरीज को दो दिन रखकर फोन से दवा पूछकर उसे खिलाते हैं l मरीज आयुष्मान कार्ड धारक निकला तो भी उसे बनारस ही भेजते हैं l सितंबर महीने के अंत में दुर्घटना की शिकार एक महिला की माह भर के इलाज में जान चली गई l

शहरी इलाके में हाल और बदतर हो चला है l यहाँ के सिपाह, स्टेशन रोड व अन्य इलाकों में इलाज़ की दुकान चलाने वाले 'नईगंज नकली दवाओं का अड्डा' का ही अनुसरण करते हैं l तीन दर्जन तकनीकी सहायक तो बेहतरीन चिकित्सकों के लिए कोढ़ में खाज बन गए हैंl

 विभागीय सूत्रों की मानें तो केवल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आई एम ए) के लगभग 150 सदस्यों में अधिकतर के अलावा किसी का पंजीकृत अस्पताल नहीं है जबकि अकेले इस शहर में पांच सौ से ज्यादा अस्पताल संचालित हैं, इनमें प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले सरकारी चिकित्सक भी शामिल हैं l,,,,, क्रमशः

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