नेशनल कांफ्रेस का झण्डा लाल क्यों?
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भारत एक लोकतांत्रिक देश है। किसी भी पार्टी का झंडा लाल, हरा हो, पीला हो, इसका कोई मायने नहीं है लेकिन सघन माइनॉरिटी वाले इलाके में लाल झंडा होना यह एक विचारणी विषय है और नेशनल कांफ्रेस के लाल झंडे पर एक हल का निशान है जो भारत रत्न एवं पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह पार्टी का निशान था। हालांकि उनके झंडे का रंग हरा था। हलघर एक समय उनका चुनाव निशान था जिस पर एक किसान हल लेकर चलता है। अगर आप इतिहास में जाएंगे तो 15 अक्टूबर 1932 में एक संगठन (जम्मू कश्मीर मुस्लिम कांफ्रेस) बना था। इसके नेता शेख मोहम्मद अब्दुल्ला और चौधरी गुलाम अब्बास थे। 14 से 14 अक्टूबर 1932 के बीच श्रीनगर के पत्थर मस्जिद के लान में इसका गठन हुआ था। यह पार्टी 7 साल तक चली। 11 जून 1939 को शेख मोहम्मद अब्दुल्ला और उनके दोस्तों ने मिलकर इसका नया नाम जम्मू कश्मीर नेशनल कांफ्रेस रखा। यानी मुस्लिम शब्द गायब हो गया। यह सभी समाज (हिंदू मुस्लिम सिख डोगरा) के लोगों की पार्टी बन गई। इस पार्टी के नेता शेख अब्दुल्ला थे जो उमर अब्दुल्ला के दादा फारूक अब्दुल्ला के पिता जी थे और जम्मू कश्मीर के पहले प्रधानमंत्री थे। उस समय प्रधानमंत्री को वजीरे आजम कहा जाता था और सदर ए रियासत आज के लेफ्टिनेंट गवर्नर होते थे। हालांकि बाद में बाद में फारूक अब्दुल्ला को 1953 में बर्खास्त कर जेल में डाल दिया गया। जब मुस्लिम कांफ्रेस बना तो उसका झंडा हरा था और उस पर एक अर्ध चंद्राकर अर्थात चांद का आधा चेहरा और एक तारा था जो मुस्लिम का बोध कराता है उनके प्रतीको को दर्शाता है।वर्तमान में नेशनल कांफ्रेस का झंडा लाल है। वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश एक दिलचस्प कहानी बताते हैं। बताया जाता है कि 1939 में जब झंडा बन रहा था तो प्रेमनाथ और सरदार बुद्ध सिंह ने इस झंडे का डिजाइन किया था। शेख अब्दुल्ला सरदार बुद्ध सिंह प्रेमनाथ के दिमाग में लाल झंडे का विचार कैसे आया। वह भी हरा रंग छोड़कर। इसकी भी एक कहानी है। बहुत पहले वहां एक सिल्क फैक्ट्री हुआ करती थी और उसमें बड़ी संख्या मजदूर काम करते थे। इस सिल्क फैक्ट्री के मजदूरों ने 4 अक्टूबर 1937 को श्रीनगर में एक बहुत बड़ी (रैली में मजदूर कम थे लेकिन उनके समर्थन में आसपास के लोग आ गए लगभग 7000 की संख्या में) रैली की जिसकी अगुवाई शेख अब्दुल्ला और उनके सहयोगियों का समर्थन प्राप्त था। उसके महासचिव प्रेमनाथ बजाज थे और सादिक साहब जो मजदूर सभा के अध्यक्ष थे जो वहां के प्रधानमंत्री भी बने बाद में शेखर अब्दुल्ला से इनका मनमुटाव भी हो गया। यही सिल्क फैक्ट्री का लाल झंडा 1939 नेशनल कांफ्रेस का झंडा बन गया जिसके नेता आज फारूक अब्दुल्ला हैं और उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला है जो जम्मू कश्मीर के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं।
हरी लाल यादव
सिटी स्टेशन, जौनपुर
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