नये साहेब के इस फरमान ने पूर्व के अधिकारियों की योग्यता पर लगाया प्रश्नचिन्ह ?
स्कूल भवन के निर्माण के लिए भूमि पूजन और शिलान्यास होने के बाद साहेब ने जारी किया यह फरमान
धर्मापुर गांव में बनने वाले कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय की जमीन को किया अयोग्य घोषित
जफराबाद के विधायक जगदीश नारायण राय भी इस मामले को लेकर हुए गम्भीर , सीडीओं को लिखा पत्र
फाइल फोटो , स्कूल भवन का भूमि पूजन करते हुए विधायक जगदीश राय |
यह खबर मिलते ही क्षेत्र वासियों में मायूसी छा गयी है। उधर विधायक जगदीश नारायण राय ने इस मामले को लेकर काफी गम्भीर हो गये है। उन्होने जिला प्रशासन से लेकर उत्तर प्रदेश शासन तक लिखा पढ़ी करना शुरू कर दिया है।
धर्मापुर ब्लाक के धर्मापुर गांव में साढ़े चार करोड़ की लागत से कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय बनने के लिए जमीन की पैमाईश हुई, मिट्टी की टेस्टिंग हुई, करीब डेढ़ वर्ष में सारी प्रक्रिया पूरी करने बाद इस जगह पर स्कूल का भवन बनने पर सम्बधित विभागों के अधिकारियों की मुहर लगी। विद्यालय को बनाने के लिए ग्रामीण अभियंत्रण विभाग ने टेण्डर कराया। 11 अक्टूबर 2024 को विभाग ने जफराबाद के विधायक व पूर्व कैबिनेट मंत्री जगदीश नारायण राय के हाथों पूरे विधि विधान से भूमि पूजन और शिलान्यास करा दिया। लागत का तीस प्रतिशत पैसा शासन ने अवमुक्त कर दिया। लेकिन एक सप्ताह पूर्व विभाग की कमान सम्भालने वाले नये साहेब ने एक नजर में इस जमीन को अयोग्य घोषित कर दिया। उन्होने तत्काल प्रभाव से बेसिक शिक्षाधिकारी को किसी दूसरी जगह जमीन तलास करने का पत्र भी लिख डाला।
इस मामले पर शिराज ए हिन्द डॉट काम ने ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के अधीशाषी अभियंता से बात किया तो उन्होने बताया कि मैं एक सप्ताह पूर्व ही जिले का चार्ज लिया है। मैं साइड देखने के लिए मौके पर गया था जिस जगह पर स्कूल का भवन बनाया जाना है वहां काफी गड्ढ़ा है उसमें पानी भरा हुआ है। जिसके कारण यह जमीन विद्यालय का भवन बनने योग्य नही है। मैने बीएसए को दूसरी जगह जमीन तलास करने का अनुरोध किया है।
पिछले अधिकारियों द्वारा इस जमीन को मुफीद समझने पर सवाल किया गया तो उन्होने कहा है कि सबका नजरिया अलग हो सकता है फिलहाल इस भवन को मुझे बनाना है इस लिए मै कोई रिस्क नही ले सकता।
उधर मामले को लेकर विधायक जगदीश नारायण राय काफी गम्भीर हो गये है उन्होने सीडीओं को पत्र लिखने के साथ ही दो दिन बाद होने वाली दिशा की बैठक में इस मामले को उठायेगें उसके बाद विधानसभा तक ले जाने का मन बनाया है।
नये साहब के इस फरमान से कई विभागों की परेशानियां बढ़ा दी है वही क्षेत्रिय जनता में मायूसी फैल गयी है। सभी लोग एक ही सवाल कर रहे है जो अधिकारी जांच पड़ताल करके के बाद यहां स्कूल बनाने का निर्णय लिया था क्या वे अधिकारी अयोग्य थे या नये साहब इतने काबिल है जिन्होने एक नजर में जमीनी हकीकत को परख लिया।
हलांकि कुछ लोग इसे राजनीतिक चश्में से भी देख रहे है।
अगर स्कूल भवन बनने के बाद दरार पड़ गई सारे समाज वादी नेताओं को भ्रष्टाचार दिखने लगेगा डी एम साहब का फैसला सही है
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