कम्प्यूटर इंजीनियर ने लाखों रूपये की नौकरी छोड़कर माता पिता के सपनों को किया साकार , पुश्तैनी धंधे को लगाया चार चांद


जौनपुर। जिले के एक युवक ने लाखों रूपये की नौकरी व विदेश में जॉब करने का सपना छोड़कर अपने पुश्तैनी कारोबार को चुना है। ऐसा करके वह जहां आज खुद अपने मर्जी का मालिक बना वही दर्जन भर से अधिक परिवारों के रोजी रोटी सहारा बन गया । हलांकि उसे व्हाइट कॉलर प्रोफाईल से ग्रे कॉलर में आने पर काफी परेशानियों का सामना भी करना पड़ा। फिलहाल वह अब अपने निर्णय से पूरी तरह से संतुष्ट है। 

आज हम बात कर रहे है जिले की सबसे प्रतिष्ठित अनुपम रेस्टूरेंट के मालिक कपिल गुप्ता उर्फ हनी की। हनी बचपन से पढ़ने लिखने में अव्वल रहा है। उसकी प्राथमिक शिक्षा सेंट पैट्रिक स्कूल से किया तथा सन् 2010 में बी-टेक सीएसई वीआईटी बेल्लूर तमिलनाडू से करने के बाद एक्सेन्चर ( Accenture)  कम्पनी में इंजीनियर पद पर कार्य करने लगा। कपिल का सपना  था कि वह विदेश में जाकर जॉब करके अपना कैरियर बनाये तथा अपने जिले व देश का नाम रौशन करें। वह विदेश जाने की तैयारी में था इसी बीच माता पिता ने उसे घर वापस बुलाया गया। घर आने पर माता पिता ने कहा कि तुम मेरे एकलौते बेटे हो जब तुम विदेश चले जाओगें तो हम लोगो को तथा पुश्तैनी करोबार को कौन सम्भालेगा। 

बस यही से कपिल ने अपने विदेश जाने के सपनों को दफ्न करके माता पिता की सेवा और पुश्तैनी कारोबार सम्भालने का निर्णय लिया। पिता ने पुश्तैनी धंधे की बारीकियां सिखाई पढ़ा लिखा होने के कारण कपिल कुछ ही दिनों में सब कुछ सिख गया। 

कम्प्यूटर की फ्रिकवेंसी नापने वाला इंजीनियर अब सीरे की तासीर नापने में महारथ हासिल कर लिया।

धंधे की कमान सम्भालने से पहले उसने अपने प्रतिष्ठान के भवन को ध्वस्त कराकर नये भवन का निर्माण करवाया उसके बाद अत्याधुनिक तरीके कारोबार को शुरू किया। 

कपिल ने शिराज ए हिन्द डॉट काम से खास बातचीत में बताया कि मै पढ़ लिखकर मल्टीनेशनल कम्पनी में जॉब करना चाहता था मेरी तमन्ना दुनियां नापने की थी लेकिन परिवार का मै एलौता होने के कारण मुझे पुश्तैनी कारोबार करना पड़ा। मैं कम्प्यूटर इंजीनियर था ऐसी में बैठकर काम करता था सन् 2011 में प्रति वर्ष के पांच लाख रूपये मेरा वेतन था। मै विदेश में नौकरी करने के लिए प्रयास कर रहा था इसी बीच मेरी मम्मी ने फोन करके घर बुलाया। घर आने पर मम्मी पापा ने कहा कि तुम हमारे एलौते संतान हो विदेश चले जायेओगें तो मेरा कौन ख्याल रखेगा तथा पुश्तैनी धंधे को कौन सम्भालेगा। कितने भी बड़े संस्थान में काम करोगें कहलाओगें नौकर यहां तो अपना करोबार है इसे सम्भालोगें तो दर्जनों लोगो को तुम नौकरी दोगें। बस यही से मेरा विदेश जाने का सपने  को छोड़ तुरन्त माता पिता के सपनों को साकार करने का फैसला लिया। 

आज मुझे अपने फैसले पर गर्व है। मै अपने दादा हीरा लाल गुप्ता और पिता जितेन्द्र गुप्ता के सपने को साकार करने का प्रयास कर रहा हूं।

  


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