वैभव से सड़क की ओर, सड़क से वैभव की ओर...

दो राष्ट्रीय पार्टियां कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी इस समय कांग्रेस अंदरूनी कलह से जूझ रही हैं। भाजपा आगे चलकर इसका सामना करने वाली है। गांधी जी जब अफ्रीका से भारत आए तो उनके राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले ने कहा कि आप पहले भारत को पहचानो गांधी जी भारत भ्रमण कर रहे थे तो उन्होंने देखा कि उड़ीसा के एक नदी के तट पर एक अत्यंत गरीब महिला अपनी पहनी धोती धोकर फिर वही धोती पहनती है। यह दृश्य गांधी जी को इतना प्रभावित किया कि गांधी जी अंतिम समय तक आधी धोती पहने आधी धोती ओडी ब्रिटेन के प्रधानमंत्री वेस्टर्न चरचिल गांधी जी को अर्ध नंगा फकीर कहते थे। विपक्ष के नेता राहुल गांधी जब भारत जोड़ो यात्रा शुरू की है तो भाजपा की ट्रोल आर्मी 10 लाख का सूट भूलकर पप्पू के टी-शर्ट के पीछे पड़ गई भारत जोड़ो यात्रा के संयोजक योगेंद्र यादव कहते हैं कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा एवं न्याय यात्रा से राहुल गांधी को लोग जानने लगे और राहुल गांधी के नाम के आगे पप्पू वाला टैग हटा। साथ में मोदी जी के निकटतम प्रतिद्वंदी के रूप राहुल गांधी को खड़ा कर दिया। उत्तर प्रदेश में एक सर्वे के मुताबिक 36 प्रतिशत लोग राहुल और 32 प्रतिशत लोग मोदी जी पसंद करते हैं। योगेंद्र यादव आगे कहते हैं कि जो लोग यह कहते थे कि मोदी जी के सामने कौन नेता है तो अब  वही लोग मोदी जी के बाद राहुल को स्वीकार करने लगे हैं। अगर ना विश्वास हो तो पूर्व मानव संसाधन मंत्री एवं सदन में राहुल गांधी पर अश्लील आरोप लगाने वाली स्मृति ईरानी का बयान सुन लीजिये। स्मृति ईरानी के शब्दों में बहुत ही वरिष्ठ पत्रकार और 1977 का इमरजेंसी कवर कर चुके श्रवण गर्ग कहते हैं।

मोदी जी आप लगे हुए हैं। राहुल के गंजी, बनियान एटी-शर्ट में पार्टी में राहुल पकड़ रहा है। जनता को आप लगे हुए कपड़े में, चश्मे में राष्ट्रवाद और हिंदुत्व में और राहुल पकड़ रहा है। देश की नब्ज को इसमें स्मृति ईरानी का जो इशारा है, वह दो तरफ है, वह राहुल की तारीफ नहीं कर रही है, वह मोदी जी को कह रही हैं, आप निपट जाओगे, यही आपका परिधान शान—शौकत, हवाई जहाज से नीचे न उतरने का रवैया रहा तो राहुल आपको पैदल चलकर मार देगा। श्रवण गर्ग आगे कहते हैं कि इस समय की स्थिति 1977 जैसी है। 1977 में जनता पार्टी का कोई स्ट्रक्चर नहीं था। उस समय जो भी थी, जनता थी। उस समय जनता इंदिरा गांधी से काफी खिलाफ थी। लोगों को अराजकता पसंद थी परंतु इंदिरा गांधी पसंद नहीं थी। वहीं 1977 जैसी स्थिति आज है और राहुल गांधी इसका फायदा लेना चाहते हैं। इंदिरा गांधी जब 1980 में लौट कर आई तो काफी डेमोक्रेट हो गई थी। उन्होंने चुनाव इसलिए करवाया कि वह डेमोक्रेसी में विश्वास करती थी, वह इतिहास में एक तानाशाह की तरह नहीं बनना चाहती थी। एक बार तानाशाह को तो जाने दीजिये। राहुल गांधी मोदी जी को एक मौका देना चाहते हैं। आप एक बार रवाना हो जाइये। फिर एक डेमोक्रेट बनकर आ सकते हैं तो जरूर आइए। इंदिरा गांधी की तरह वापसी कर सकते हैं तो जरुर करिए परंतु आपको हम तानाशाह की तरह नहीं रहने देंगे। यही बात स्मृति ईरानी कह रही हैं कि राहुल गांधी अपनी स्ट्रैटेजिक टी-शर्ट के जरिए जाति जनगणना के जरिए अग्निवीर के जरिए बदल दी और भाजपा अपनी पुरानी आत्माओं से लिपटी हुई है कि मैं नॉन बायोलॉजिकल हूं। भगवान ने मुझे भेजा है। मोदी जी जो आप पहनते हैं। वह नहीं चलेंगे, आप जिस चाल से चलते हैं, आपका जो विचार है जो जुबान बोलते हैं। वह नहीं चलने वाला स्मृति ईरानी वही बात कह रही हैं जो कर्नाटक के हार के बाद आरएसएस ने कहा था।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यह कहा था कि अब मोदी के चेहरे और हिंदुत्व के बल पर चुनाव नहीं जीता जा सकता। बीजेपी में जो नया सोच जन्म ले रहा है, आकार ले रहा है, वह न्यू वर्सेस ओल्ड का है। स्मृति ईरानी वार दो तरफ है। ऐसा लगता है कि स्मृति ईरानी यह कहना चाहती हैं कि मैं वहां हार गई। मोदी जी आप अमेठी के पास गए लेकिन मेरे क्षेत्र में नहीं आये। मोदी जी ने अमेठी में न रायबरेली में प्रचार किया। ईरानी यह कह रही हैं कि आप चाहते तो मुझे राज्यसभा के जरिए संसद भेज सकते थे। स्मृति ईरानी सीधे भाजपा की आलोचना नहीं कर सकतीं। वह राहुल गांधी के जरिए मोदी को आइना दिखा रही है। अगर एक बार विपक्ष सत्ता में आया तो भाजपा अपने यहां अपने आप सफाई कर देगी। स्मृति ईरानी के शब्दों में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की सहमति दिखती है। खतरा यह नहीं है कि मोदी है कि नहीं है। खतरा यह है कि राहुल गांधी मोदी जी से लड़ाई के चक्कर में कहीं बीजेपी को और आरएसएस को समाप्त न कर देश मोदी जी कांग्रेस मुक्त बनाना चाहते थे लेकिन इस समय कांग्रेस युक्त बीजेपी होती जा रही है। बीजेपी में कांग्रेस का प्रवेश हो रहा है। कांग्रेस की आत्मा का प्रवेश हो रहा है। यह ट्रांसप्लांट है। राहुल कांग्रेस के नेता नहीं है। लोग बार-बार राहुल को कांग्रेस का नेता मान रहे हैं। इस समय कांग्रेस पार्टी का अस्तित्व है। क्या कांग्रेस पार्टी का अस्तित्व नहीं है? पार्टी के नाम पर जो थोड़ा बहुत है, भी तो वह तेलंगाना में है और उसके कुछ अवशेष कर्नाटक में है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस बहुत घटिया स्थिति में है। कांग्रेस के लोग बीजेपी से मिले हुए हैं।
मशहूर पत्रकार उर्मिलेश का कहना है कि अभी भी कांग्रेस में ब्राह्मणवाद जड़ जमाए हैं। अब राहुल गांधी के पास कांग्रेस पार्टी को खड़ा करने का समय नहीं है, क्योंकि पार्टी में कमलनाथ और गहलोत अभी भी बने हुए हैं। सीता रमैया पद छोड़ने को तैयार नहीं है। भूपेश बघेल और शिंदे आपस में लड़ रहे हैं। राहुल गांधी ने सोचा अगर पार्टी के चक्कर में पड़े तो शैलजा मुख्यमंत्री बनेगी की हुड्डा बनेंगे। सीता रमैया बनेंगे कि डीके शिव कुमार बनेंगे। चुनाव आयोग के मुताबिक 96 करोड़ वोटर है। 36 पर भाजपा आई 24 करोड़ वोट बीजेपी को मिला 24 करोड़ लोगों के बल पर बीजेपी 140 करोड़ पर शासन कर रही है। 20 भी नहीं है। राहुल गांधी के समझ में यह आया कि जो जनता बिना पार्टी के बिना संगठन के 52 से 99 कर सकती है। वही जनता 99 से 200 भी कर सकती है। 2024 के चुनाव में एक वेव थी। लहर थी तो राहुल गांधी ने यह रास्ता निकाला कि कैंडिडेट मैं खड़ा करूंगा। काम जनता करेगी। राहुल गांधी ने कहा कि भाई पार्टी वार्टी छोड़ो अब निकलते हैं। रेलवे ट्रैक पर लोको पायलट और गैंगमैन से मिलने रामचेत मोची की दुकान पर चप्पल
सीने राहुल गांधी ने कांग्रेस पार्टी को मल्लिकार्जुन खड़के को सौंप दिये। आप अपना समझो, मैं तो चला डोजो यात्रा जूडो कराटे करने अब राहुल गांधी की ताकत उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव, बिहार में तेजस्वी यादव, झारखंड में हेमंत सोरेन, तमिलनाडु में स्टाइलिन आदि मोदी जी को अब राहुल गांधी से नहीं लड़ना होगा। अब मोदी जी को एनडीए से लड़ना होगा मान लो कि मोदी जी राहुल गांधी के ऊपर केस लाद दें। जैसा कि विगत वर्षों में होता आया है लेकिन राहुल गांधी के साथ जो पार्टियां हैं, मोदी जी उसका क्या करेंगे। राहुल गांधी ने एक प्रकार से कहा जाय। मसान का भूत (जातिवार जनगणना अग्निवीर किसानों का मुद्दा नौजवानों की समस्या का) जगा दिया है। एक प्रकार से विपक्षी पार्टियों में जान डाल दी है। कहा कि आप लोग मेरे साथ आओ और मुद्दा को उठाओ, मैं आपका मुद्दा उठा रहा हूं। अगर नहीं उठाओगे तो तुम लोग भी समाप्त हो जाओगे। मोदी भक्त अब यह कहने लगे हैं कि मोदी जी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री बन कर नेहरू की बराबरी कर ली। पहली बात तो मोदी जी भाजपा के प्रधानमंत्री नहीं हैं। क्या मोदी जी भाजपा के संसदीय दल के नेता चुने गए थे, बल्कि वे एनडीए घटक दल के प्रधानमंत्री हैं जहां तक नेहरू की बराबरी की बात है। 27 मई 1964 को पंडित नेहरू की मौत हो चुकी थी। भारत में 1969 तक विपक्ष था ही नहीं। 1969 में कांग्रेस (ओ) राज्यसभा में विपक्ष के नेता श्याम नंदन प्रसाद मिश्रा और 69 में ही कांग्रेस (ओ) के लोकसभा में विपक्ष नेता राम शुभग सिंह थे। नेहरू बनने के लिए किताबें लिखनी पड़ती हैं। डिस्कवरी ऑफ इंडिया जेल में लिखी गई है नेहरू बनने के लिए जेल जाना पड़ता है। नेहरू 9 साल से ज्यादा जेल में रहे अगर तीसरी बार प्रधानमंत्री बनकर तीन महत्वपूर्ण बिल वापस करना ही था तो 3 बार तो प्रधानमंत्री पद की शपथ वाजपेई जी और श्रीमती इंदिरा गांधी भी ले चुकी है।
हरी लाल यादव
सिटी स्टेशन जौनपुर
मो.नं. 945221522

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