दिल्ली ने अरविंद केजरीवाल का दिल तोड़ा, अब पंजााब पर बाज़ नज़र


-दिल्ली की सीएम आतिशी मार्लेना ने हालांकि केजरीवाल के लिए कुर्सी खाली रख छोड़ी हैं, लेकिन पांच माह बाद उसपर बैठने को लेकर उन्हें खुद भरोसा नहीं रहा l

-पंजााब में विस चुनाव 2027 में है और वहाँ के वोटरों की पसन्द सीएम की कुर्सी लिए होते हैं सिक्ख, अब केजरीवाल मुख्यमन्त्री भगवन्त मान को हटाने के लिए खेल रहे शतरंज l

----------------------------------------

-कैलाश सिंह-

राजनीतिक संपादक

----------------------------------------

नई दिल्ली, (तहलका विशेष)l हरियाणा विधान सभा चुनाव में कुल 90 में से 88 सीटों पर आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने प्रत्याशी खड़े किए थे लेकिन केवल एक की जमानत बची, बाकी की जब्त हो गई l यह है उनके गृह प्रदेश का हाल, यानी यहाँ की जनता ने उन्हें 'बे -आबरू' करके यह बता दिया कि 'यह दिल्ली नहीं, हरियाणा' है l उधर दिल्ली की गद्दी बेमन से ही सही, लेकिन आतिशी को तब सौंपे जब वहाँ की जनता ने लोकसभा चुनाव में उनकी 'कट्टर ईमानदारी' के दावे को नकार दिया l बाद में उन्होंने जनता को मोदी सरकार के खिलाफ ढाल बनाने की कोशिश भी की थी लेकिन नाकाम हो गईl 

दरअसल आतिशी मार्लेना को दिल्ली की गद्दी कोर्ट के आदेश के बाद कि 'सीएम रहिए लेकिन किसी भी फाइल पर दस्तखत नहीं कर सकतेl' लाचार होकर उन्होंने यह मानकर कुर्सी सौंपी ताकि अगले साल फरवरी में चुनाव होगा, तब तक जनता की सिमपैथी बढ़ जाएगी और आतिशी पर भरोसा था कि वह जिस तरह कुर्सी को सुरक्षित रखी हैं उसी तरह 'शीश महल' की भी रखवाली करेंगी, लेकिन पी डब्ल्यू डी ने उसे नियम विरुद्ध मानकर अपना ताला जड़ दिया l क्योंकि आतिशी ने मन्त्री के तौर पर मिले अपने बंगले को छोड़ा ही नहीं थाl इस घटना के बाद अरविंद केजरीवाल का आत्म विश्वास जवाब दे गया l एक तरफ़ शराब घोटाले का जिन्न पीछा नहीं छोड़ रहा और दूसरी ओर हरियाणा ने उम्मीद पर पानी फेर दिया, अब बचा पंजााब जहाँ मुख्यमन्त्री बनने के लिए 'सिक्ख' होना जरूरी है l

पंजाब के मुख्यमन्त्री भगवन्त मान पर अरविंद केजरीवाल की बाज़ नज़र तब लगी जब केजरीवाल को भ्रष्टाचार के मामले में  बीते 21 मार्च को रात 9 बजे ईडी ने गिरफ़्तार किया, उस दौरान जेल से बाहर रहे पार्टी   के हर नेता की मौजूदगी दर्ज हुई केवल भगवन्त मान नहीं पहुंचे, वह उस वक़्त चंडीगढ़ में थे, चाहते तो फ्लाइट से आधे घंटे में आ गए होते, लेकिन वह दूसरे दिन आए और केजरीवाल से तिहाड़ में मिलकर निकले तो मीडिया के सामने रोना- धोना किए l दिलचस्प पहलू यह रहा कि आम आदमी पार्टी का गठन जब 2012 में हुआ तब जो लोग साथ थे उनमें से अधिकतर निकाल दिए गए, बचे नेताओं में केजरीवाल के नजदीकी लिस्ट में सबसे ऊपर के क्रम में शुमार भगवन्त मान शायद 'भ्रष्टाचार' के दलदल से खुद को बाहर रखना चाहते थे, ऐसा कयास राजनीतिक गलियारे में लगाया जा रहा है l 

अब केजरीवाल के सारे ड्रामे फेल होने के बाद जब उनके पास दिल्ली, हरियाणा में कोई विकल्प नहीं बचा तो पंजाब उनकी नज़र पर चढ़ गया l हालांकि पंजााब में ग़ैर सिक्ख बर्दाश्त नहीं तो बचे दो साल के कार्यकाल में भगवन्त मान को हटाकर सीएम की कुर्सी पर बैठना केजरीवाल को बेहतर उपाय सूझ गया, क्योंकि बिना पॉवर के रहना उनकी फ़ितरत में नहीं है l

Related

डाक्टर 6367936325416011207

एक टिप्पणी भेजें

emo-but-icon

AD

जौनपुर का पहला ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल

आज की खबरे

साप्ताहिक

सुझाव

संचालक,राजेश श्रीवास्तव ,रिपोर्टर एनडी टीवी जौनपुर,9415255371

जौनपुर के ऐतिहासिक स्थल

item