इस महिला को शादी के 10 वर्ष बाद ऐसा जुनून चढ़ा कि कर डाली बीए, एमए, बीएड, एमएड और पीएचडी तक की पढाई
कैंसर पीड़ित पति की दवाई और बच्चो की पढाई का एक साथ संभालती रही जिम्मा
जौनपुर। सामाजिक बंधन के कारण इण्टर तक की पढ़ाई करने के बाद ही सगाई हो गयी, दुल्हन बनकर ससुराल आयी तो परिवार की पूरी जिम्मेदारी उसके कंधों पर आ गयी, घर बार सम्भाली इस दरम्यान उसके चार बच्चे हुए पूरी तरह से हाउस वाइफ बनकर जिन्दगी गुजर बसर करने लगी, शादी के दस वर्ष बाद बच्चों की पढ़ाई के खातिर गांव छोड़कर शहर आयी तो उसे भी पढ़ाई का ऐसा जुनून चढ़ा कि उसने बीए, एमए, बीएड, एमएड और पीएचडी तक कर डाली इतना ही नही उसने चार विषय से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल किया। गाजीपुर के एक डिग्री कालेज में एक वर्ष तक सविंदा पर असिस्टेंट प्रोफेसर रही लेकिन अपने परिवार की देखभाल और परमानेंट नौकरी के खातिर डिग्री कालेज शिक्षक की नौकरी छोड़कर प्राईमरी स्कूल टीचर बन गयी। आज हम बात कर रहे है नगर के हुसेनाबाद मोहल्ले की निवासी व बेसिक शिक्षा विभाग की टीचर डॉ0 उषा सिंह की।उषा सिंह बुनियादी शिक्षा को मजबूत करने के लिए हाडतोड़ मेहनत करने लगी लेकिन उनकी जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आया कि उनका भविष्य अंधकार में दिखने लगा। सन् 2013 में उषा के पति जीतेन्द्र सिंह कैंसर से पीड़ित हो गये ऐसे में एक तरफ पति की दवाई के लिए जौनपुर, वाराणसी, लखनऊ और मुंबई की दौड़ लगाने लगी दूसरी तरफ बच्चों पढ़ाई लिखाई का ध्यान रखना पड़ा। लाख कोशिशों के बाद भी वह अपने पति की जान नही बचा पायी।
उषा सिंह ने बताया कि पति के निधन के बाद मेरे ऊपर बच्चों की जिम्मेदारी के साथ पूरे परिवार का बोझ आ गया। बच्चों के भविष्य के कारण मैने अपना दर्द सीने में दफन करके आगे की जिन्दगी शुरू की जिसका परिणाम है कि बच्चो को पढ़ा लिखाकर काबिल बनायी। बड़ी बेटी शुभ्रा सिंह बैंक मैनेजर है, दूसरी बेटी शिप्रा सिंह बेसिक शिक्षा विभाग में टीचर है , तीसरी पुत्री शिल्पा सिंह इंस्टीटचूट ऑफ प्लाजमा रिसर्च सेंटर अहमदाबाद गुजरात में रिसर्च कर रही है। बेटा रनवीर प्रताप सिंह यूपी एससी की तैयारी कर रहा है। दो बेटियों की शादी भी कर चुकी है।
Ayse logon ko Salam hai
जवाब देंहटाएंGood struggle 🎯🎯
जवाब देंहटाएंमैडम जी आपके जज्बे को प्रणाम करता हूँ l🙏
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