छुटभैये नेता भी पत्रकारों को मोहरा बनाने से नहीं चूक रहे

-चार सितम्बर को भाजपा के सदस्यता अभियान के शुभारम्भ में बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण मन्त्री गिरीश चंद्र यादव और 'आज़ तक' टीवी चैनल के पत्रकार राजकुमार सिंह के बीच हुई तीखी झड़प दुर्भाग्यपूर्ण घटना रही लेकिन मीडिया की सुर्खियों में आते ही मन्त्री का साथ न देने वाले लोकल कथित नेता और उनके गुर्गे 'पत्रकार' को ही मोहरा बनाने में जुट गए, वही लोग सुबूत मांगने पर कन्नी काटते रहेl



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-कैलाश सिंह-

राजनीतिक संपादक

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लखनऊ/जौनपुर, (तहलका विशेष)l जिस नमामि गंगे और अमृत योजना के लटके काम से हो रही जनमानस के तकलीफ़ को लेकर  पत्रकार राजकुमार सिंह को 'मोहरा' बनाने को छुटभैये नेताओं और उनके गुर्गों द्वारा कुरेदा जा रहा है, वही सुबूत मांगने पर कन्नी काटते रहे हैं, ऐसे दलालों और कथित पत्रकारों को भी शायद पता नहीं कि नगर निकाय का मन्त्रालय ऊर्जा मंत्री व जौनपुर के प्रभारी मन्त्री ए के शर्मा के पास दो साल से है, हाल ही में वह दो बार आये भी लेकिन किसी ने उनसे सवाल नहीं पूछा, इतना ही नहीं, विपक्षी दलों के लोग भी इस जन समस्या को लेकर सड़क पर उतरने की बजाय पत्रकारों को ही ढाल बनाने की जुगत में लगे रहे, वही लोग सुनवाई न होने पर मन्त्री से कथित समझौते की तोहमत लगाते फिर रहे हैंl

ध्यान रहे कि घटना वाले दिन ही मौके पर मौजूद नेताओं और पत्रकारों में तमाम लोगों के चेहरे और उनकी गतिविधि पर तीसरी आँख (जारी हुए वीडियो) पर आमजन के साथ बुद्धिजीवी तबके की भी नज़र एक्स- रे कर रही थी l उस समय जनपद से बाहर रहने के चलते मुझे भी जो पत्रकार साथी वीडियो दिखा रहा था, वह साथ में टिप्पणी (प्राउंटिंग) भी करता रहा l वह बताता चल रहा था जैसे - देखिए सर वहां बहस चल रही है और अन्य पत्रकार काजू , समोसे काट रहे हैं l इसी तरह मौजूद भाजपा के ही कथित नेताओं की गतिविधि बता रहा था कि कौन आग में तेल डाल रहा है और कौन पूरे मन से पटाक्षेप कराने में लगा है l हालांकि वह झड़प मई महीने की तपती दुपहरी में हल्की फुहार सरीखे निकल तो गई लेकिन कुछ लोगों की कुटिल मुस्कान के साथ तवे पर पड़ी पानी की बूँद से निकली भाप छोड़ गई l

इसके बाद मन्त्री गिरीश चंद्र यादव करीब हफ्ते भर मीडिया की सुर्खियों में छाए रहेl प्रेस कॉन्फ्रेंस का मुख्य मुद्दा गौड़ हो गया और हुई झड़प ने प्रमुखता हासिल कर ली l इस मामले में मन्त्री से मेरी भी बात हुई,उन्होंने केवल एक बात कही कि काँफ़्रेंस की पूरी वीडियो दिखाई गई होती तो सच सामने होता ! प्रेस वार्ता भाजपा की सदस्यता अभियान को लेकर थी, समस्या और विकास सम्बन्धी सवाल पर मैने अलग से दूसरे दिन बात करने को कहा था l जबकि पत्रकार राजकुमार के मुताबिक प्रेस वार्ता खत्म होने के बाद मन्त्री ने खुद कहा कि अब आप सब सवाल पूछ सकते हैं l इस घटना में एक और दिलचस्प पहलू यह रहा कि पहली बार सवाल किसी दूसरे पत्रकार ने किया था लेकिन उकसाने वालों के चलते मन्त्री ने राजकुमार को टार्गेट पर ले लियाl खैर, बात हफ़्ते भर में ठण्डी पड़ गई तो छुटभैये नेता, राजनीतिक व मीडिया के दलालों ने विमर्श गढ़ना शुरू किया कि लगता है मन्त्री और पत्रकारों में समझौता हो गया? सब अपनी सोच के अनुसार अलग- अलग अर्थ निकालकर हवा देने में लगे हैं l मुझसे भी कुछ लोगों ने दबी जुबान से कहा कि अब मन्त्री के खिलाफ़ जन समस्या को लेकर खबरें क्यों नहीं बन रही हैं तो मेरा जवाब था- आपको पत्रकारों के सिर पर सींग नज़र आती है क्या? समस्या निदान के लिए विपक्षी दलों और जनता को भी तो सामने आना चाहिए।

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