विमर्श युद्ध में फंसे दो पूर्व सीएम 'अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव'

दिल्ली की डमी सीएम आतिशी मार्लेना पर उनके पिता की काली छाया मंडराने लगी, उन्होंने आतंकी अफजल गुरु को बचाने में दया याचिका से की थी पैरोकारी की कोशिश l

-उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कानून व्यवस्था के तहत अपने सख्त फैसले से पूर्व सीएम अखिलेश यादव को उनके ही फार्मूले में फंसा दिया l रेप के आरोपियों के पक्ष में आकर वह घिर गए ।

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-कैलाश सिंह-

राजनीतिक संपादक

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नई दिल्ली/लखनऊ, (तहलका विशेष)l अरसे से आमजन की नज़र में अपने प्रतिद्वंद्वी को खलनायक और खुद को नायक बनाने के लिए विमर्श (नेरेटिव) गढ़कर राजनीतिज्ञ इसे हथियार के रूप में इस्तेमाल करते रहे हैं l यह ऐसा हथियार है जो छद्म युद्ध में काम आता है l इसका उपयोग राजा- महाराजाओं के काल खंड में भी होता रहा हैl जब से दुनिया में लोकतांत्रिक सरकारों का गठन हुआ तब से इसे राजनीतिक दलों ने हथिया लिया, हालांकि कालांतर में इसका प्रयोग देश में कम और विदेश नीति के तहत कूटनीति में अधिक होता रहा है, लेकिन पिछले एक दशक से देश के विभिन्न राज्यों में यह छद्म हथियार अहम भूमिका में तब आ गया जब राजनीति में फरेब और झूठ के साथ भ्रष्टाचार का बोलबाला हुआ और कुछ लोगों के चलते 'नेता' शब्द भी अपनी गरिमा खो बैठा l

 इस विमर्श रूपी छद्म हथियार को बीते लोकसभा चुनाव में प्रयोग करके विपक्षी गठबंधन इंडिया के सहयोगी दलों कांग्रेस और सपा ने यूपी में भाजपा को मात दे दी लेकिन सपा मुखिया अखिलेश यादव अपने ही फार्मूले 'पीडीए' के जाल में फंस चुके हैं l इसी तरह दिल्ली के सीएम रहे अरविंद केजरीवाल ने झूठे विमर्श गढ़ने के फेर में उस महिला आतिशी मार्लेना को डमी सीएम बना दिया जिसके नाम की टाइटिल लेफ्टिस्ट है और उनके अभिभावक ने देश के आतंकी अफजल गुरु को छुड़ाने के लिए दया याचिका के जरिये पैरोकारी की थी, जो मान्य भी नहीं हुई l

दिल्ली की गद्दी पर अन्ना हज़ारे के आंदोलन की आड़ लेकर बैठे अरविंद केजरीवाल अपने तीसरे कार्यकाल में तब फंसने लगे जब अपनी ही पार्टी के अच्छे नेताओं को पहले ही बाहर कर चुके थे और खुद की नौकरशाही वाले अनुभव का प्रयोग करते हुए 'कट्टर ईमानदार से कट्टर बेईमान' बनकर पूरी पार्टी को भ्रष्टाचार में डुबोया तथा तिहाड़ जेल तक पहुंचा दिया l यही समय था जब वह अपनी दोनों पूंजी ईमानदारी और नैतिकता को जनता की नज़र में गवां दिएl

इसके बाद उन्होंने मास्टर कार्ड समझकर अपनी पत्नी की बजाय पार्टी की दूसरी महिला नेता आतिशी मार्लेना को शर्तों के साथ कठपुतली सीएम बनाने का ऐलान करते हुए खुद इस्तीफा दे दिए l डमी सीएम मार्लेना का नाम घोषित होते ही राज्य सभा सांसद स्वाती मालीवाल और भाजपा नेता किरण रिजिजू ने साफ़ आरोप लगाया कि इनके वामपंथी विचारधारा वाले पिता ने आतंकी अफजल गुरु की फांसी रुकवाने को कानूनी लडाई लडी थी, यही काली छाया दिल्ली की होने वाली सीएम पर मंडराने लगी हैl जबकि दूसरी ओर केजरीवाल इनके महिला होने और अपनी खोई हुई दोनों पूंजी- ईमानदारी, नैतिकता को वापस लाने के साथ  जनता से सहनुभूति पाने और भाजपा को विलेन बनाने के मनसूबे से झूठा नेरेटिव गढ़ना शुरू कर दिया l उन्हें अपने मास्टर कार्ड पर भरोसा है लेकिन जनता की नज़र में वह हारे हुए जुआरी सरीखे दिख रहे हैंl दिल्ली का अगला चुनावी साल उनकी राजनीति का अवसान साबित हो जाए तो कोई हैरत नहीं होगी l

इधर उत्तर प्रदेश में पूर्व सीएम अखिलेश यादव चार चुनावों में दो लोकसभा और दो विधान सभा हारने के बाद पीडीए फार्मूले के साथ संविधान व आरक्षण बचाओ के झूठे विमर्श गढ़कर अपनी पार्टी को पहली बार लोकसभा चुनाव में 37 सीटों की जीत दिला दिए तो उनका उत्साह सातवें आसमान में कुलांचे भरने लगाl इसी बीच वह यूपी में अपने पीडीए के तहत योगी आदित्यनाथ के संविधान सम्मत कानून से अपराधियों पर होने वाली कारवाई से मुकाबला करने में पीड़ितों की बजाय अपराधियों के साथ खड़े हो गए l रेप के आरोपी मुस्लिम और यादव हैं लिहाजा वह अपने फार्मूले में फंस गए हैं 'कि पीछे हटें या जमे रहें, नुकासन दोनों में है l' मुस्लिम वोट को लेकर उनकी पार्टी और कांग्रेस में खींचतान अलग चल रही हैl इस तरह बिना लड़े केवल अपने फैसले से योगी ने अखिलेश को उनके ही पीडीए के जाल में फंसा दिया है ।

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  1. Mahoday se nivedan Hain ki kabhi sawatantra patrakarita kar den kab tak bandhuwa mazdoor bane rahenge party vishesh k

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  2. पत्रकार को मत कोसो सच्चाई से मुंह मत मोड़ो

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  3. बिल्कुल सही कहा है आप ने क्यों कि ये तो पूरे देश और प्रदेश ने देखा है इसलिए इसमें कोई भी संशय नहीं है इसी का नतीजा है कि चुनावों में इनकी लुटिया डूब गयी.....

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  4. Aapka lekh 100% pratishat sahi hai rapist ka sath Dene Wale samaj ka kya karenge Jaat paat per vote Lene Wale unse Desh ka Bhala nahin hone wala

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