राजनीति से मन टूटा तो खोल लिया ढाबा, सफलता चूमने लगी कदम
दादा की कर्मभूमि का नाम भी किया जीवित
आयर मानिस का दूसरा नाम होता है मीठा पानी
जौनपुर। तालीम, इल्म और दुनियाबी ज्ञान का यदि ईमानदारी से अपने जीवन में इस्तेमाल किया जाय तो सफलता जरूर कदम चूमती है। ऐसे एक नही तमाम उदाहरण है जो अपनी प्रतिभा के बल पर अपना मुकाम हासिल किया है। इसी मे शामिल है बेलाल जावेद और राहिल अब्दुलाह। दोनो बचपन के दोस्त है दोनो में इल्म और दुनियाबी ज्ञान कुट कुटकर भरा हुआ है। इसी के बदौलत इस जोड़ी ने जहां अपने धंधे को बलंदी पर पहुंचाया तो वही अपने पुरखों की कर्मभूमि को जीवंत कर दिया है।
शिराज हिन्द डॉट कॉम ने बेरोजगार युवाओं को प्ररेरित करने के लिए ऐसे युवाओं की कहानी जनता के सामने पेशे कर रहा है जो अपनी प्रतिभा और हौसले के बल पर ें कामयाब हुए है। आज हम ग्रामीण इलाके के ऐसे दो युवाओं की कहानी बताने जा रहा हूं जिसे राजनीति का चस्का लगा हुआ था। आपको यहां बताते चले कि बेलाल जावेद पूर्व विधायक नदीम जावेद के चाचा के लड़के है, राहिल अब्दुलाह नदीम के मामा का बेटा है। 2017 तक दोनों अपने विधायक भाई नदीम जावेद के लिए पर्दे के पीछे परछायी बनकर खड़ा रहते थे। लेकिन 2017 चुनाव में नदीम को हार मिलने के बाद बेलाल का मन राजनीति से टूट गया। हलांकि ऐसा कम ही होता है जिसे राजनीति, पत्रकारिता व समाजसेवा का कीड़ा काटा हो वह कोई दूसरा कोई काम कर सके।
, 7 दिसम्बर 2018 को शाहगंज तहसील के अयोध्या काशी मार्ग. NH135A. शाहगंज जौनपुर रोड अय्यूब गंज मजडीहा गांव में आयर मानिस नाम से एक आलीशान ढाबा खोला हलांकि दोनो दोस्त को े इस धंधे का कोई इल्म नही था लेकिन अपने हौसले के बदलौत यह रिस्क लिया और कामयाब भी हो गये।
बेलाल जावेद ने शिराज ए हिन्द डॉट काम से खास बीतचीत में अपना खट्टा मिठा अनुभव साझा करते हुए बताया कि मैं राजनीति में अपना भाग्य अजमाना चाहता था। इसके लिए मैने अपने भाई नगर विधायक नदीम जावेद को अपना आडियल बनाया था। मै और राहिल उनके लिए पर्दे के पीछे से काम करता था ,2017 के चुनाव मेें भाई हार गये। उसके बाद मैने े राजनीति से हाय तौबा कर लिया। क्यों कि बीते पांच वर्षो में मैने राजनीति को काफी करीब से देख चुका था।
कुछ दिन बाद मैने जिन्दगी दूसरी पारी शुरू करने का निर्णय लिया। राहिल की पुश्तैनी जमीन जौनपुर-अयोध्या मार्ग पर उसरहटा गांव में है जिसे हम लोगों ने व्यापार के लिए इस्तेमाल करने का निर्णय लिया। दोस्तो और शुभचिंतकों से राय लेकर ढाबा खोलने की योजना बनायी हलांकि मुझे ढाबा होटल का कोई अनुभव नही था इसके लिए मैने पहले अन्य ढाबा संचालकों के पास जाकर बातचीत किया उसके बाद मैने आयर मानिस नाम से ढाबा खोला। ढाबे का नाम आयर मानिस रखने के पीछे उसने बताया कि राहिल अब्दुला के दादा हाजी अयुब मलेशिया के आयर मानिस जिले में रहते थे इस लिए हम लोगों ने पुरखों की याद ताजा करने के लिए ढाबे का नाम आयर मानिस ही रखा है। आयर मानिस का दूसरा नाम मीठा पानी भी है।
बेलाल ने बताया कि मुस्लिम बाहुल्य इलाके में यह ढाबा होने के कारण यहां अलग अलग केबिन बनाया गया है। उत्तम क्वालिटी का वेज, नानवेज े खाना नास्ता परोसा जाता है जिसके कारण रात में ग्राहको की लाइने लग जाती है।
इस ढाबें में चारो तरफ पेड़ पौधे लगा गया है जिससे शुध्द पर्यावरण में बच्चों संग व्यजंनों का स्वाद चखते है।