ब्रम्हाण्ड की रक्षा के लिये महादेव ने किया था विषपान
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सावन मास में जलाभिषेक का विशेष महत्व
सनातन धर्म में सावन के महीने को अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। इस माह में देश भर में उत्सव जैसा माहौल देखने को मिलता है। भगवान शिव के मंदिरों में भी बेहद अच्छे तरीके से सजाया जाता है। इस महीने में देवों के देव महादेव और मां पार्वती की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। सावन मास में जलाभिषेक करने से महादेव भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और सावन माह उनका सबसे प्रिय माह है। इस माह में विशेषकर भगवान शिव के पूजन जलाभिषेक के लिए समर्पित है। हालांकि वर्ष में आप किसी भी दिन भोलेनाथ का जलाभिषेक कर सकते हैं।श्रावण मास में देश भर के शिव मंदिरों में भक्त अपने आराध्य भगवान महादेव की पूजा करने और उनका जलाभिषेक करने के लिए मंदिरों में जाते हैं। सावन में शिव जी के जलाभिषेक से जुड़े शिव पुराण की कथा के अनुसार सावन मास में ही समुद्र मंथन हुआ था।जब समुद्र मंथन हुआ तो उसमें से सबसे पहले विष निकला था। उस विष के कारण पूरे संसार पर संकट छा गया चारो ओर हाहाकार मच गया, क्योंकि भयंकर अग्निविष निकलते ही उसके अग्निताप वेग तेज होने के कारण देव, मनुष्य, पशु-पक्षी आदि सभी के जीवन के लिए हानिकारक था। अब समस्या यह थी कि उस विष का क्या होगा, इस संकट का क्या हल है? तब देवों के देव महादेव ने इस संकट से पूरी सृष्टि को बचाने का निर्णय लिया।उन्होंने उस पूरे विष का विषपान किया। उसी समय माता पार्वती ने उस विष को भगवान शिव के कंठ में ही रोक दिया। इस वजह से वह विष शिवजी के कंठ में ही रह गया और शरीर में नहीं फैला।
विषपान के कारण शिव जी का कंठ नीला हो गया जिस वजह से शिव जी को नीलकंठ भी कहते। विष का प्रभाव भगवान शिव पर न हो इसके लिए सभी देवों ने उनका जलाभिषेक किया। इस वजह से शिव जी अतिप्रसन्न हुए। यह घटना सावन माह में हुई थी। इस वजह से हर साल सावन माह में भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया जाता है, ताकि वे प्रसन्न हों और उनकी कृपा प्राप्त हो। इन वजहों से शिव जी को सावन प्रिय है। माता पार्वती ने भगवान शिव को पति स्वरूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। सावन माह में भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए थे और उनकी मनोकामना पूर्ण की थी। सावन माह में शिव और पार्वती का मिलन हुआ था। इस वजह से सावन शिव जी को प्रिय है। विवाह के बाद भगवान शिव पहली बार ससुराल गए थे। उस समय सावन माह था और वहां पर उनका स्वागत किया गया। उनका जलाभिषेक हुआ जिससे वे बहुत खुश हुये।
शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती सावन माह में पृथ्वी पर निवास करते हैं। इस वजह से भक्त सावन मास में जलाभिषेक कर उनकी पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
बिपिन सैनी पत्रकार