मनुष्य जन्म का परम लक्ष्य ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति

जौनपुर। बड़े भाग्य मानुष तन पावा का जिक्र सभी धार्मिक स्थानों और शास्त्रों में पढ़ने - सुनने को मिलता है परंतु बड़े भाग्य केवल मात्र मानव योनि में जन्म लेने से नहीं बल्कि उस लक्ष्य की पूर्ति से संबंध रखते हैं जिसके लिए यह मनुष्य तन मिला है। मनुष्य जन्म का परम लक्ष्य ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति है। 


उक्त उद्गार साहू धर्मशाला (सदर, जिला चिकित्सालय के सामने) के प्रांगण में उपस्थित विशाल संत समूह को संबोधित करते हुए बरौनी बिहार से आए श्री जवाहर प्रसाद जी (केंद्रीय ज्ञान प्रचारक) ने व्यक्त किया ‌।  उन्होंने निरंकारी सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के पावन संदेशों को बताते हुए कहा कि यह जन्म बहुत मूल्यवान है लेकिन गफलत की नींद में सोया इंसान इसे यूं ही गवा कर चला जाता है। हीरे जैसा जन्म प्रभु ने दिया है इसकी कद्र कर लें और समय रहते संसार में आने का अपना मकसद प्राप्त कर लें, जो है प्रभु की प्राप्ति। यह काम हर धर्म  जाति वाला व्यक्ति कर सकता है। सतगुरु माता जी भेदभाव को खत्म करके मिलजुल करके प्रभु का यश करने का उपदेश दे रही हैं। संतों का जन्म परमारथ के लिए होता है संसार को सुखी करने के लिए संत समागम सत्संग का आयोजन किया जाता है।

श्री श्यामलाल साहू (संयोजक) ने आए हुए संगत का आभार  धन्यवाद किया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में निरंकारी सेवा दल के सदस्यों ने भरपूर योगदान दिया।  मंच संचालन-श्री रमाशंकर  (मुखी) ने किया ‌।  यह जानकारी स्थानीय मीडिया सहायक उदय नारायण जायसवाल ने दिया। 

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