पार्थिव शिवार्चन से समस्त पाठकों का होता है नाश

जौनपुर। जनपद के बड़े हनुमान मंदिर के परिसर में बांके महाराज ज्योतिष संस्थान के तत्वावधान और आचार्य (डॉ.) रजनीकांत द्विवेदी के सानिध्य में महारुद्राभिषेक का आयोजन हुआ। शिव की उपासना के पौराणिक महत्व की चर्चा करते हुए आचार्य द्विवेदी ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम ने भी लंका पर आक्रमण करने से पूर्व समुद्र तट पर बालू का शिवलिंग बनाकर पूजन किया था। मृत्यु पर विजय प्राप्त करने के लिए भी महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है। शिवालय सिद्ध स्थान आदि की प्राप्ति ना होने पर पार्थिव शिवलिंग की पूजा कर जाप किया जाने का विधान है। श्री द्विवेदी ने यह भी बताया कि भगवान शिव का अभिषेक वर्षा हेतु जल से, पुत्र की प्राप्ति हेतु गाय के दूध से, लक्ष्मी की प्राप्ति हेतु ईख के रस से, कल्याण हेतु घृत से,  पाप क्षय हेतु मधु से, व्याधि शांति हेतु कुश के जल से करना चाहिए।

शिव की उपासना श्रावण मास में विशेष फलदायी कही गयी है। उसमें विशेषकर पार्थिव शिवलिंग का अति विशेष महत्व है। कलयुग में पार्थिव शिवलिंग पूजन करने वाले भक्तों पर शिव की कृपा सदैव बनी रहती है। शिव भक्त शिव पूजन करके इस लोक में यश, वैभव प्राप्त करने के साथ ही मृत्यु उपरांत जीवन-मरण के कुचक्र से मुक्ति हो जाती है। श्रावण मास को शिव का माह माना जाता है, इसलिए इस माह में पार्थिव शिवलिंग पूजन का विशेष पुण्य शिवभक्तों को प्राप्त होता है एवं अद्वितीय, परमशांत प्रकाशमय तेज स्वरूप, निष्प्रपंच, गति शून्य, नित्य रूप, निराकार भगवान शिव की उपासना करने से प्राणी कष्टों से मुक्ति को प्राप्त कर लेता है। रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से हमारे पातक कर्म भी जलकर भस्म हो जाते हैं और साधक में शिवतत्व का उदय होता है। भगवान शिव का शुभ आशीर्वाद भक्त को प्राप्त होता है और उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि एक मात्र सदा शिव रुद्र के पूजन से समस्त देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है।
बांके महाराज ज्योतिष संस्थान द्वारा आयोजित 35035 पार्थिव शिवलिंग पूजन व महारुद्राभिषेक पर श्री द्विवेदी ने बताया कि कलयुग में सबसे पहले पार्थिव पूजन कुष्मांड ऋषि के पुत्र मंडप ऋषि ने प्रभु के आदेश पर जगत कल्याण के लिए पार्थिव शिवलिंग बनाकर शिवार्चन किया। पार्थिव शिवलिंग पूजन के पृथक-पृथक कामनाओं के लिए पृथक-पृथक संख्या निर्धारित है। जैसे धनार्थी के लिए 500, पुत्रार्थी के लिए 1500, दयार्थी के लिए 300, भय मुक्ति के लिए 200, राज्य भय से मुक्ति के लिए 500 व समस्त कामनाओं की पूर्ति के लिए 1000 पार्थिव शिवलिंग का पूजन रुद्राक्ष धारण कर ललाट पर भस्म लगाकर करना चाहिए। पूजन के प्रारंभ में सर्वप्रथम पार्थिव शिवलिंग की प्रतिष्ठा कर यजमानों ने विधिवत शिवलिंग का पूजन किया। तत्पश्चात काशी, अयोध्या और प्रयागराज से पधारे वैदिक विद्वानों ने नमक-चमक विधि से महारुद्राभिषेक यजमानों ने किया। महारुद्राभिषेक के पश्चात पुनः पार्थिव शिवलिंग का विधि विधान से पूजन कर महाआरती का कार्यक्रम संपन्न हुआ।
इस अवसर पर प्रमुख यजमान विवेक पाठक, भास्कर पाठक, नीरज उपाध्याय, जगन्नाथ पाठक, इंद्र कुमार तिवारी, राजनाथ सिंह, दिवाकर पाठक, महेश जायसवाल, शिव प्रकाश तिवारी, संतोष साहू, नितिन द्विवेदी, दीपक श्रीवास्तव, संजय गुप्ता, अनीता सेठ, पुष्पा सेठ, अमित निगम, अजय सेठ, संजीव साहू, डॉ आरपी गुप्ता, हरदेव सिंह, मधुसूदन मिश्र, संगीता राय, ध्रुव पाठक, जेपी सिंह, ज्ञानचन्द्र सीताराम, इंद्रजीत सेठ, गणेश साहू, संतोष सेठ, हरदेव राय, विनोद अग्रहरि, हेमंत श्रीवास्तव, मनु मिश्र, शैलेश मिश्र सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।
कार्यक्रम को सफल बनाने में अध्यक्ष शशांक सिंह ‘रानू’, निशाकान्त द्विवेदी, रौनक शुक्ला, डॉ गंगाधर शुक्ला, डॉ दिव्येंदु मिश्र, प्रमोद मिश्र, अखिलेश पांडेय, प्रभाकर मिश्रा, शुभम मिश्रा, आनंद तिवारी, बृजेश मिश्रा, आशीष वैश्य, शिवशंकर साहू, अवनीश सिंह, मनोज मिश्रा, नीरज उपाध्याय, दयाशंकर निगम, आशीष यादव, मनोज गुप्ता, नीरज श्रीवास्तव, कविता मिश्रा, राधिका, माधुरी, वर्षा, मनीषा, मंजू, प्रियांशी, महंत रामरतन दास, मनोज पुजारी, भरत पुजारी, प्रखर, मृत्युंजय, प्रज्वल, अथर्व, अभिनव राय, कार्तिक मिश्रा, मनीष मौर्य, धीरज राय, अभिषेक पाठक, कार्तिकेय पाठक, राधिका तिवारी सहित तमाम भक्त प्रमुख रहे।

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