मोदी की गारन्टी को ध्वस्त कर बराबर में खड़े हुए राहुल गाँधी
राहुल गाँधी को 'पप्पू' बनाने में कार्पोरेट मीडिया पर खर्च हुए अकूत धन, जवाब में भारत न्याय यात्रा ने उन्हें संसद में सशक्त विपक्षी नेता बना दिया l
-मोदी पार्टी- संगठन की बजाय व्यक्तिवाद पर उतरे और गाँधी परिवार को निशाने पर लिए रखा, राहुल गाँधी ने मध्यम, निम्न वर्ग की समस्या में कांग्रेस को खोजा .
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-कैलाश सिंह-
राजनीतिक संपादक
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नई दिल्ली (तहलका विशेष)l पुरानी कहावत 'पांच जन मिल करिहें काज, हारे- जीते नाहीं लाजl' यह देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पर हुए लोकसभा चुनाव के संदर्भ में फिट बैठती हैl चुनाव प्रचार के एक साल पूर्व तक नज़र दौड़ाने पर यही दिख रहा है कि मोदी हर मुद्दे पर भाजपा की बजाय अपनी गारन्टी की मुहर लगा रहे थे, इसके साथ वह अमित शाह के जरिए अपनी पार्टी के उन नेताओं का पंख भी कतर रहे थे जिनके 'कद' की राजनीतिक लोकप्रियता वाली ऊंचाई दिल्ली की तरफ़ बढ़ती दिख रही थी l राहुल गाँधी को पप्पू बनाने में कार्पोरेट मीडिया का गोदी वाला धड़ा पहले से लगा दिया गया थाl इन सबसे इतर राहुल गाँधी शहरों के मोहल्लों और गाँव की गलियों में उतर कर मध्यम व निम्न आय वर्ग के बीच 'भारत न्याय यात्रा' के जरिए पहुंचकर उनकी मूल समस्या बेरोज़गारी और महंगाई को खोज निकाले, इस यात्रा ने जहाँ उनकी 'इमेज' को बड़ा स्वरूप प्रदान किया वहीं उन्हें सत्ताधारी दल पर हमले के लिए राजनीतिक हथियार यानी ठोस मुद्दे भी मिलते रहे जो आज भी नेता प्रतिपक्ष के रूप में उनके स्थापित होने के बाद सत्ता पक्ष पर बड़े सवाल के रूप में बारिश की तेज़ बौछार की तरह चुभ रहे हैं l
दरअसल 2014 में कांग्रेस का पराभव और भाजपा के उत्थान का वह काल था जिसमें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सहयोग से भाजपा पुनः और सशक्त होकर उभरी थी l आमजन को भी लगा कि यह सरकार बेरोजगारी और महंगाई दूर करने में कुछ कर गुजरेगी लेकिन सड़क, बिजली, पानी से लोगों का जीवन सहज तो हुआ पर महंगाई और बेरोजगारी विकराल होने लगी l कश्मीर, पुलवामा मुद्दा और कोरोना जैसी आपदा में सरकार के बेहतरीन कार्य से 2019 में भी भाजपा की गाड़ी पार हो गई l संघ सूत्रों की मानें तो इसी कार्यकाल में मोदी- शाह ने भाजपा को अपने कब्जे में करके संगठन की बजाय एक चेहरा मोदी को मानकर उसकी गारन्टी दी जाने लगीl दूसरी ओर युवा बेरोजगारों की फ़ौज को लगा कि राहुल गाँधी ही ऐसे युवा नेता हैं जो हमारे लिए सत्ता से संघर्ष कर रहे हैं l यह बेरोजगार मध्यम और निचले आय वर्ग से आते हैं लिहाजा इनका परिवार भी( मुस्लिम समुदाय समेत) कांग्रेस की तरफ़ रुख कर गया, नतीजा 2024 के लोकसभा चुनाव में मिल गया l उच्च सदन में कांग्रेस जहाँ बड़ा विपक्षी दल के रूप में दिखा वहीं राहुल गाँधी नेता प्रति पक्ष के रूप में मोदी के बराबर परिपक्व होकर उभरे l चुनाव प्रचार में संविधान बदलने और आरक्षण खत्म करने वाला मुद्दा मोदी- शाह के प्रत्याशियों ने खासकर यूपी में विपक्ष के हाथ में दे दिया, यह भले ही झूठ रहा हो लेकिन विपक्ष ने इसे सच बनाकर जन- जन तक परोस दिया l अब राहुल गाँधी के सवालों का जवाब देना सत्ता पक्ष को सदन में भारी पड़ रहा है l