वस्तु हेतु प्राणी का प्रयोग ग़लत है

 बड़ा बनने के लिये एकता ज़रूरी है,


माटी गूँथी जाती है तो ईंट बनती है,
ईंटों को जोड़कर एक दीवार बनती है
चार दीवारें जुड़कर एक घर बनाती हैं।

एकजुट होने वाला ही बड़ा बनता है,
उसका महत्व भी बढ़ता चला जाता है,
जब बेजान ईंटें एक जुट हो सकती हैं,
तो इंसान क्यों नहीं एक हो सकते हैं।

परेशान रहने से कल की मुश्किल
दूर नही होती है, बल्कि आज का
चैन अमन तक दूर चला जाता है,
इसलिए सदा ख़ुश रहना अच्छा है।

संसार के प्राणियों से प्रेम करना
मनुष्य जीवन का श्रेष्ठ कर्तव्य है,
वस्तु तो प्राणियों के लिए होती है,
वस्तु हेतु उसका उपयोग ग़लत है।

आदित्य पुरातन को भुला देने का
पर्याय भौतिकता कदापि नहीं है,
भौतिकता पुरातन का नवसृजन है,
पुरातन आज की आधुनिकता है।

कर्नल आदिशंकर मिश्र ‘आदित्य’
जनपद—लखनऊ

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