युद्ध के मैदान में श्रीकृष्ण की तरह बांग्लादेश के हिंदुओं ने सनातन संस्कृति को जागृत किया

 -कैलाश सिंह-

राजनीतिक संपादक


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--योगी के भाषण का विश्लेषण--  ---------------------------------------

-पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 14 अगस्त को देशभर में विभाजन विभीषिका दिवस मनाया गया, लखनऊ में आयोजन के दौरान आज़ादी के महानायक शहीदों, क्रांतिकारियों को नमन कर अतीत को याद करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा, पाकिस्तान बंटवारे का कोई औचित्य नहीं था, यह कांग्रेस के तुष्टिकरण की देन है, यह फ़िर भारत में मिल जाएगा अथवा नष्ट हो जाएगा l

-राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नजरिए से योगी के वक्तव्य के मायने: देश में जो विविधता में एकता है यह तभी तक है जब तक देश एक है, देश एक तब तक है जब तक सनातन संस्कृति है, इसे बनाए रखने के लिए हर सनातनी को शत्रु बोध होना जरूरी है l क्योंकि बाहरी दुश्मन से भीतर का दुश्मन ज्यादा खतरनाक होता हैl इसे पहचान कर सतर्क रहने का वक़्त है l

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लखनऊ, (तहलका विशेष)l कट्टर शब्द हिंदू या सनातन के साथ कभी नहीं लगाया सकता है, जो हिंदू है वह कट्टर नहीं हो सकता है और जो कट्टर है वह हिन्दू हो ही नहीं सकता l क्योंकि यदि हिन्दू है तो सेकुलर (समावेशी) होगा ही, इसलिए ' कट्टर शब्द हिन्दू के साथ नहीं चल सकता हैl' सनातन संस्कृति की यही विशेषता उसकी खूबसूरती है l सनातन की परम्परा, संस्कृति और सभ्यता देश की एकता और मजबूती में निहित है l मुठ्ठी भर अक्रांताओं के हमले के बावजूद हजार साल की गुलामी झेलने पर भी यदि सनातन संस्कृति मौजूद है तो उसकी यही खूबियां उसे आज भी बचाए हैं l देश हजार साल गुलामी इसलिए झेला क्योंकि सनातनी हिंदू सोया था, जब वह जागृत हुआ तो देश आज़ादी की पूर्णता की तरफ़ बढ़ा लेकिन इसके कुछ पहले 'विभाजन विभीषिका' तुषारापात बनकर टूट पड़ी, यहीं से तुष्टिकरण की नींव पड़ी जिसका श्रेय कांग्रेस को जाता है l

दरअसल सनातनी को जागृत करना बहुत कठिन होता है, क्योंकि वह 'बसुधैव कुटुंबकम' की संस्कृति के व्यक्तित्व को अपने में समेटे होता है, वह अपनों को नहीं मार सकता है, जबकि उसके पास धर्म की सबसे बड़ी ताकत होती है l यह सनातन धर्म किसी किताब से नहीं चलता, और न ही कोई फरमान सुनाता है, वह तो ईश्वर और धर्म को सनातनी के दिल में मौजूद होने का एहसास कराता है l इसका प्रमाण महाभारत के युद्ध मैदान में मिलता है, जहां भागवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद भागवत गीता के 18 अध्याय के सात सौ श्लोक सुनाए तब जाकर अर्जुन ने अपना धनुष गांडीव उठायाl ठीक उसी तरह बांग्लादेश के हिंदू सदियों से अत्याचार सहते हुए जब वह जान लिए कि अब हम मिट जाएंगे तब उनमें सनातन संस्कृति का जगरण हुआ और वह लड़कर मरने का फैसला करके वहां के चरमपंथियों पर ही भारी नहीं पड़े, बल्कि अंतरिम सरकार को भी झुकने को विवश कर दिए l

धार्मिक और राजनीतिक विश्लेषकों के नजरिए से योगी के भाषण का मन्तव्य यही लगा कि देश के सनातनी इस बात पर गौर करें कि अतीत में वह कौन सी विचारधारा, कौन सी परिस्थितियां और कौन से लोग थे जब हमें हजार साल गुलामी झेलने के बाद भी विभाजन की विभीषिका सहनी पड़ी l देश के भीतर के शत्रुओं से सचेत होने का समय है ताकि फ़िर यह विभीषिका न झेलनी पड़े l जब तक अंदर के शत्रु का बोध नहीं होगा तब तक राष्ट्र की मजबूती 'परिकल्पना' ही बनी रहेगी l देश के भीतर वाले तथाकथित सेकुलर से सावधान रहने की जरूरत है l यह देश को जाति, क्षेत्र, भाषा के आधार पर बंटवारे करने वाले राजनीतिज्ञ वोट के लिए तुष्टिकरण के जरिए फ़िर विभाजन की ओर ले जा रहे हैंl अपनी संस्कृति, सभ्यता, परम्परा और राष्ट्र को बचाने के लिए जातिगत भेदभाव का त्याग करके के शत्रु बोध यानी उन्हें पहचानने की जरूरत है, तभी राष्ट्र और अपनी संस्कृति को बचाया जा सकता है l सनातन धर्म और आध्यतमिक शक्ति को पहचानने और उसपर चिंतन, मनन के जरिये अमल करने का वक़्त हैl इसी से हमारी एकता अखंडता को बचाया जा सकता है l

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