शायर-ए-आज़म फ़िराक़ गोरखपुरी की मनाई गई 138वीं जयन्ती


जौनपुर। जिले के सरावां गांव स्थित शहीद लाल बहादुर गुप्त स्मारक पर हिंदुस्तान सोशलिष्ट रिपब्लिकन आर्मी व लक्ष्मीबाई ब्रिगेड के कार्यकर्ताओं ने महान शायर एवं स्वतंत्रता सेनानी फ़िराक़ गोरखपुरी की 138वीं जयंती मनायी। देश के महान स्वतंत्रता सेनानी एवं शायर रघुपति सहाय उर्फ फ़िराक़ गोरखपुरी का जन्म 28 अगस्त 1896 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर में कायस्थ परिवार में हुआ था। लक्ष्मीबाई ब्रिगेड की अध्यक्ष मंजीत कौर ने कहा कि कला स्नातक में पूरे प्रदेश में चौथा स्थान पाने के बाद वे आईसीएस में चुने गये। 1920 में नौकरी छोड़ दी तथा स्वराज्य आन्दोलन में कूद पड़े तथा डेढ़ वर्ष की जेल की सजा भी काटी। जेल से छूटने के बाद जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस के दफ्तर में अवर सचिव की जगह दिला दी। बाद में नेहरू जी के यूरोप चले जाने के बाद अवर सचिव का पद छोड़ दिया फिर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 1930 से लेकर 1959 तक अंग्रेजी के अध्यापक रहे। उन्होंने कहा कि 1970 में उनकी उर्दू काव्य कृति ‘गुले नग्‍़मा’ पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला। गुले-नग्मा के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार और सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड से सम्मानित किया गया। बाद में 1970 में इन्हें साहित्य अकादमी का सदस्य भी मनोनीत कर लिया गया। उन्होंने कहा कि फिराक गोरखपुरी को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन 1968 में भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया था। उन्होंने कहा कि फिराक गोरखपुरी ने अपने साहित्यिक जीवन का श्रीगणेश गजल से किया था। इस मौके पर डॉ. धरम सिंह, मैनेजर पांडेय, अनिरुद्ध सिंह, अजय,मंजीत कौर आदि कार्यकताओं ने शहीद स्मारक पर मोमबत्ती व अगरबत्ती जलाया और दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

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