तेरा तन है माटी का...
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तेरा तन है माटी का,
इसे यूँ न गँवाना है।
गलती से बच बन्दे,
एक दिन उड़ि जाना है।
कुछ पल का जीवन है,
कुछ पल की साँसें हैं।
कीमत न समझा तो
बेकार ये जीना है।
उड़ती खुशबू से तुम्हें,
कुछ राज चुराना है।
गलती से बच बन्दे,
एक दिन उड़ि जाना है।
तेरा तन है माटी का,
इसे यूँ न गँवाना है।
गलती से बच बन्दे,
एक दिन उड़ि जाना है।
ग़ुमान का ये बादल,
कभी टिक नहीं पाएगा।
ये यम की फाँसी को,
कभी तोड़ न पाएगा।
कर ले तू होश ठिकाने,
मुँह उसको दिखाना है।
गलती से बच बन्दे,
एक दिन उड़ि जाना है।
तेरा तन है माटी का,
इसे यूँ न गँवाना है।
गलती से बच बन्दे,
एक दिन उड़ि जाना है।
क्या हाथी, क्या घोड़े,
क्या मोती, किया हीरे।
सत्कर्म की छैनी से,
तुझे मोक्ष को पाना है।
मिट जाएँगे पाप तेरे,
ईमान बचाना है।
गलती से बच बन्दे,
एक दिन उड़ि जाना है।
तेरा तन है माटी का,
इसे यूँ न गँवाना है।
गलती से बच बन्दे,
एक दिन उड़ि जाना है।
रामकेश एम. यादव मुम्बई