या सकीना या अब्बास की सदा के साथ निकला सात मुहर्रम का जुलूस
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अंजुमन ने नौहा व मातम कर पेश किया नजराने अकीदत।
जौनपुर। नगर में सातवी मुहर्रम को कर्बला के शहीदों की याद में अलम ताबूत व दुलदुल का जुलूस निकाला गया। नगर के हाजी मोहम्मद अली खां मरहूम में रविवार की सुबह मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना डॉ सैय्यद हसन अख्तर नौगांवा सादात ने कहा कि आज हम सब यहां हजरत इमाम हुसैन के छोटे भाई हजरत अब्बास अलमदार की याद में इकट्ठा हुए हैं। अब्बास अलमदार ने अपने आका इमाम हुसैन अ.स. के हर हुक्म को माना था और वे अपनी भतीजे जनाबे सकीना जो कि चार साल की थी बेपनाह मुहब्बत करते थे जब यजीदी फौजों ने सात मुहर्रम को नहरे फुरात दरिया पर पहरा बिठा दिया था कि कोई भी बिना उनकी इजाजत के पानी न ले जा सके तब हजरत अब्बास अलमदार ने अपनी चार साल की भतीजी सकीना की फरमाईश पर न सिर्फ नहरे फरात पर कब्जा किया बल्कि मश्क में पानी भरकर वे जैसे ही खैमें की तरफ बढ़ रहे थे जंग के नियम कानून को ताक पर रखकर यजीदी फौजों ने हजरत अब्बास अलमदार को घेरकर शहीद कर दिया। पहले उन्होंने उनके दो हाथों को कलम किया और उसके बाद उनके कब्जे से मश्क को लेकर पानी को बहा दिया। ये देखकर हजरत इमाम हुसैन की चार साला बेटी सकीना ने रोते हुए कहा कि मुझे पानी नहीं चाहिए बल्कि मुझे मेरे चचा अब्बास को मेरे पास बुला दें। ये सुनकर अजादारों ने या सकीना या अब्बास की सदा के साथ नौहा मातम शुरू किया और अंजुमन हुसैनिया के नेतृत्व में जुलूस निकाला गया जो अपने कदीम रास्ते से होता हुआ अली नजफ़ के इमामबाड़े पहुंचा। यहां गुलाम सकलैन शज़र ने तकरीर किया जिसके बाद अलम ताबूत को तुरबत व दुलदुल से मिलाया गया ।जुलूस पुनः हाजी मोहम्मद अली खा के इमामबाड़े में जा कर समाप्त हुआ।नौहा नवाज़ हसन खान ,अदीब व उनके साथियों ने पढ़ा।सोज़खानी सैय्यद अली काविश व उनके हमनवा ने पढ़ा। अंजुमन के अध्यक्ष सकलैन हैदर कंम्पू व महासचिव मिर्ज़ा जमील ने सभी का आभार प्रकट किया।