आखिर क्यों ? नही पकड़े जा सके दौलत-शोहरत वाले हत्यारोपी
पत्रकार आशुतोष श्रीवास्तव हत्याकाण्ड के एक आरोपी को पुलिस एनकाउंटर में मार चुकी है, दो भेज गये है जेल
file photo Ashutosh Srivastva |
मालूम हो कि शाहगंज कोतवाली क्षेत्र के सबरहद गांव के निवासी पत्रकार आशुतोष श्रीवास्तव की बीते 15 मई को दिन दहाड़े इमरानगंज बाजार में गोली मारकर हत्या कर दिया गया। मृतक के भाई संतोष श्रीवास्तव ने सबरहद गांव के नासिर जमाल पुत्र फरीदुल हक, आरर्फी उर्फ कामरान पुत्र मैनुद्दीन, जमीरूद्दीन पुत्र हनीफ कुरैशी, मो0 हासिम पुत्र वाहिद और पांच अज्ञात के लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। पुलिस ने इस मामले में जमीरूद्दीन को मुंबई से गिरफ्तार करके जेल भेज दिया तथा एक शुटर को एनकाउंटर में मार गिराया दूसरे को मुठभेड़ में गिरफ्तार करके सलाखों के पीछे भेज दिया। मो0 हासिम पहले से एक हत्या के आरोप में जेल बंद है। नासिर जमाल और अरर्फी को पुलिस अभी तक गिरफ्तार नही कर पायी है।
संतोष श्रीवास्तव का आरोप है कि ये दोनो आरोपी काफी दौलत और शोहरत वाले है इस लिए पुलिस दोनो को गिरफ्तार करने में हिला हवाली कर रही है।
उन्होने बताया कि आरोपियों ने ग्रामसभा की कीमत जमीन और तलाब को राजस्व विभाग की मिली भगत से कुटरचित दस्वेजों के सहारे अपने नाम करा कर उस पर कब्जा कर लिया था। अवैध कब्जे के विरोध में मेरे भाई ने एसडीएम से लेकर मुख्यमंत्री तक शिकातय किया था । जांच में लेखपाल विकास सिंह कुशवाहा हर बार भू-माफियाओं के पक्ष फर्जी रिपोर्ट लगाकर भेजता था। इसमें लेखपाल से लेकर तहसील के बड़े अधिकारियों की संलिप्तता रही।
भाई हर बार रिपोर्ट के खिलाफ उच्चाधिकारियों को अवगत कराता रहा जिसके कारण उसकी भू-माफियाओं ने भाड़े के शुटरों उनकी हत्या करा दिया।
आशुतोष की हत्या के बाद पुनः जमीन और तलाब की जांच हुई तो वही विकास कुशवाहा लेखपाल और कानून गो संजय राय ने उस जमीन और तलाब को ग्रामसभा का होने का रिपोर्ट दिया। जिस पर तहसीलदार ने पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचकर दबंगों द्वारा कब्जा करके खड़ी की गयी दिवार को बुलडोजर से गिरा दिया तथा तलाब पर सरकारी बोर्ड लगा दिया उसके बाद तलाब के किनारें बृक्षारोपण भी सरकारी मुलाजिमों ने किया।