गाँव-देश में मित्रों... हमने कभी देखा ही नहीं
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परिवार ही में...
गाँव-देश में मित्रों...
हमने कभी देखा ही नहीं,
किसी पिता को... लोगों के सामने...
अपने बच्चों की... करते हुए तारीफ़..!
पर... अब तो तेजी से बदला है...
तारीफ़ करने का चलन...
घरों में तो... रोज़ ही होता है...
"तारीफ़" करने की...!
बात को ही लेकर झगड़ा...
बच्चों को तो छोड़ो...
पत्नी भी... युद्ध लड़ती है तगड़ा...
सामने आकर... कहती है बार-बार...!
बुराई भी क्या है इसमें...?
दुनिया करती है,
अपने बच्चों की तारीफ...
बस आप ही... सब कुछ छुपाते हो...
पता नहीं क्यों...?
कुछ ज़्यादा ही शर्माते हो...
दुनिया भर के अनुभव के बाद भी...!
झिझक अपनी... छोड़ नहीं पाते हो...
उलाहने पर उलाहने देती हुई
यह कहा करती है कि...!
लोग तो... नमक मिर्च भी लगाकर...
अपने बच्चों का बखान करते हैं...
फिर आप क्यों काँट-छाँट करते हैं...?
और फिर... यह भी तो बताओ...
आपसे... चापलूसी को कौन कहता है
बस... लोगों के सामने... मुस्कुराकर...
कम से कम... काम भर का...!
बखान तो किया करो...
इसी बहाने... लोगों के मन में...
कुछ भरम तो... भरा करो...
कारण भी समझो इसका आप...!
इससे बच्चों के मन में,
हीन भावना नहीं आएगी...
और फिर यदि आज वे...
इस मानसिकता में आ गए तो...!
मैं जानती हूँ... इस हीन भावना से...
कभी उभर भी नहीं पायेंगे...
आज तो हमसे-आपसे...!
अपनी बात रख लेते हैं,
बड़े होने पर किसी से भी,
कुछ कह नहीं पायेंगे...
इसलिए... आज के चलन को...!
आप करीब से समझो...
लोगों के सामने... भूलकर भी...
अपने बच्चों पर... कभी मत बरसो...
तारीफ... आज की आज ही कर लो...
नहीं तो... सच में...!
बाद में पछताओगे आप बरसों...
मित्रों सच क्या है...
अन्दाज़ आप जो भी लगाइये,
पर नए चलन को... देखिए करीब से..
और महफिलों में.... ताऱीफ झोंक कर
परिवार ही में अपने...!
प्रेम का अवसर तलाशिये...
परिवार ही में अपने...!
प्रेम का अवसर तलाशिये...
रचनाकार—— जितेन्द्र दुबे
अपर पुलिस उपायुक्त, लखनऊ