क्यों होते हैं भगवान जगन्नाथ अस्वस्थ
एक बार भगवान जगन्नाथ अपने प्रिय भक्त माधव दास की अनन्य सेवा से प्रमुदित हो गई, कुछ ही दिनों बाद माधव दास अत्यंत अस्वस्थ हो गए भगवान ने उनकी खूब सेवा करें और जैसे ही वह होश में आए उन्होंने भगवान से निवेदन किया कि प्रभु आप तो जगदीश्वर हो इसलिए नाथ इस सेवा के बदले आप मेरे कष्ट की निवृत्ति ही कर देते हो अच्छा होता प्रभु श्री जगन्नाथ जी ने अपने प्रिय भक्त माधव दास से कहा की प्रारब्ध का भोग आवश्यक है इससे तुम्हारे कष्ट कि मैंने निवृत्ति की यदि तुम्हारी ऐसी ही इच्छा है तो तुम्हारे बच्चे हुए शेष 15 दिन मैं ग्रहण कर लेता हूं और भगवान उसी कारण से भक्तों के प्रारब्ध को अपने ऊपर ले कर 15 दिनों तक अस्वस्थ रहे।
इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए श्री जगन्नाथ रथ यात्रा महोत्सव समिति रासमंडल मंदिर प्रांगण में भगवान को ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन गर्मी से हो रहे तपन को शांत करने लिए 108 घड़े से भक्तों ने स्नान कराया तत्पश्चात भगवान आषाढ़ कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से अमावस्या तक ज्वर पीड़ा से पीड़ित हो अस्वस्थ हो गए आज आषाढ़ अमावस्या के दिन पौराणिक परंपरा के अनुसार जनपद के प्रसिद्ध वैद्य एवं चिकित्सकों के दल ने भगवान का स्वास्थ परिक्षण किया जिसमें प्रमुख रूप से वैद्य राम प्रसाद सिंह, डॉ अरुण कुमार मिश्रा, डॉ रजनीश श्रीवास्तव, डॉ स्मिता श्रीवास्तव, डॉक्टर एस के सिंह, डॉ अजीत कपूर एवं डॉ विकास रस्तोगी रहे।।
भगवान के यह स्वास्थ्य परीक्षण की प्रथा पूर्व काल से ही चली आ रही है ।
जो लोग स्वास्थ्य परीक्षण को लेकर नाना प्रकार की टिप्पणियां करते हैं वह शायद भक्त और भगवान के भाव वह करुणा को नहीं समझ सकते ठीक उसी प्रकार जैसे विद्युत का करंट अपनी उपयोगिता के साथ कार्य तो सभी करता है ,दिखाई नहीं देता अनुभव वही कर पाता है जिसने करंट का स्पर्श किया हुआ हो।।
*भक्त के बस में है भगवान
मूर्ति में है प्राण*।
भाव के बस में है भगवान
मूर्ति में है प्राण।।
चिकित्सकों के परामर्श के अनुसार कल भगवान को परवल के जूस का भोग लगाया जाएगा तथा भगवान दिनांक 07 जुलाई को रथ पर आरूढ़ होकर जनता को दर्शन देंगे एवं नगर भ्रमण करेंगे।
नित्य भगवान की सेवा भोग प्रसाद आदि के कार्यों में अध्यक्ष शशांक सिंह,शिवशंकर साहू, संजय गुप्ता सीए आशीष यादव, मंदिर के महंत पंडित दिनेश चंद्र दिवेदी जी, राजेश तिवारी,निशा कांत द्विवेदी संतोष गुप्ता,राजेश गुप्ता आदि मंदिर से जुड़े अनेक भक्तों एवं माताओं की उपस्थिति निरंतर रहती है
।। सादर आभार।।
डॉ.रजनीकांत द्विवेदी