नए कानून में 'सामुदायिक सेवा' दंड का हुआ प्रावधान

 

छोटे आपराधिक मामलों में कारावास की बजाय अब समाज की सेवा का मिल सकेगा दंड

अमेरिका,कनाडा,यूनाइटेड किंगडम,ऑस्ट्रेलिया में प्रचलित यह दंड अब भारत में भी लागू


हिमांशु श्रीवास्तव एडवोकेट 

जौनपुर- अब तक 1860 की भारतीय दंड संहिता में मृत्युदंड, आजीवन कारावास, कारावास, जुर्माना, संपत्ति की जब्ती इत्यादि के संबंध में दंड का प्रावधान था। नए कानून भारतीय न्याय संहिता 2023 में दंड की एक नई विधा 'सामुदायिक सेवा' धारा 4 के उपखंड एफ में प्रावधानित किया गया है। इसके अलावा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 23 में यह प्रावधान किया गया है कि प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट का न्यायालय 3 वर्ष कारावास या 10,000 रुपए तक जुर्माना या दोनों या सामुदायिक सेवा का दंडादेश दे सकेगा।इसके अलावा द्वितीय वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट का न्यायालय 1 वर्ष तक कारावास या 10,000 रुपए तक जुर्माना या दोनों या सामुदायिक सेवा का दंडादेश दे सकेगा। सेशन कोर्ट व सीजेएम न्यायालय द्वारा दिए जाने वाले दंडादेश में सामुदायिक सेवा के दंड का प्रावधान नहीं है। स्पष्ट है कि यह सजा छोटे-मोटे अपराध करने वाले व्यक्तियों को मिलेगी। 


सामुदायिक सेवा दंड एक प्रकार की सजा है जिसमें छोटे-मोटे अपराध या गलत काम करने वाले व्यक्तियों को जेल की सजा काटने की बजाय समुदाय के लिए अवैतनिक कार्य करना होता है। सजा का उद्देश्य अपराधियों का पुनर्वास करना, सामाजिक जिम्मेदारी को प्रोत्साहित करना और समाज में योगदान देना है। अधिवक्ता पंकज कुमार श्रीवास्तव व अधिवक्ता अवधेश तिवारी ने बताया कि इस दंड से समुदाय को लाभ होता है। यह एक लाभकारी प्रावधान है और आपराधिक न्याय के दृष्टिकोण से इसका शुरू होना एक स्वागत योग्य कदम है।सामुदायिक सेवा जमानत की शर्त के रूप में नहीं है। सामुदायिक सेवा में सार्वजनिक स्थानों की सफाई करना, धर्मार्थ संगठनों की सहायता करना,किसी गैर-लाभकारी संगठन को सेवाएं प्रदान करना या सरकारी संगठन के साथ सामुदायिक कार्य करना शामिल है। जिन आरोपितों  का अपराध इतना गंभीर नहीं होता कि उन्हें जेल में डाला जाए उन्हें सामुदायिक सेवा करने का आदेश दिया जाता है। आरोपित बिना भुगतान के सामुदायिक सेवा का कार्य करेगा। सजा का यह रूप जिम्मेदारी पैदा करने, जवाब देही की भावना को बढ़ावा देने और अपराधियों को समाज में सकारात्मक योगदान करते हुए अपने कार्यों में परिवर्तन लाने का प्रयास करता है।दुनिया भर में सामुदायिक सेवा दंड कई देशों में प्रचलित है जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया शामिल है। सामुदायिक सेवा अपराध की रोकथाम के लिए एक रचनात्मक दृष्टिकोण है क्योंकि यह जवाबदेही,नुकसान की मरम्मत, अपराधियों को समाज में फिर से शामिल करने, अपराध की पुनरावृत्ति न करने और सामुदायिक जुड़ाव को प्रोत्साहित करने पर जोर देती है। सामुदायिक सेवा की अवधारणा भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली के भीतर एक आशाजनक विकल्प के रूप में उभरती है जो भीड़भाड़ वाली जेलों और धीमी न्याय व्यवस्था द्वारा उत्पन्न असंख्य चुनौतियों का समाधान करने का एक साधन प्रदान करती है।

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