भारत और भारतीयता के लिए समर्पित था श्यामा प्रसाद मुखर्जी का पूरा जीवन

जौनपुर: भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जयंती की पूर्व संध्या काल पर जिला अध्यक्ष पुष्पराज सिंह की अध्यक्षता में एक संगोष्ठी आयोजित की गई।

इस अवसर पर जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह ने कहा कि भारत की एकात्मता और अखंडता के लिए उनके द्वारा किए गए बलिदान को यह देश सदैव स्मरण करेगा। डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जीवन भारत और भारतीयता के लिए समर्पित था। भारत की एकात्मता और अखंडता के लिए उनके द्वारा किए गए बलिदान को यह देश सदैव स्मरण करेगा। उन्होंने कहा कि वह भारत के उद्योग और खाद्य नीति के मार्गदर्शक थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी  के विचार को आगे बढ़ाया जा रहा है। स्वतंत्र भारत की पहली सरकार ने तुष्टिकरण की नीति पर चलना शुरू किया तो उन्होंने कैबिनेट से इस्तीफा देकर भारतीय जनसंघ की स्थापना की। डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का सरकार से मतभेद उस समय भी देखने को मिला था, जब तत्कालीन नेहरू सरकार ने भारत के संविधान में जबरन अनुच्छेद 370 जोड़कर देश की संप्रभुता और सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने का प्रयास किया था। उसका श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जमकर विरोध किया था। उस समय उन्होंने नारा दिया था एक देश के दो प्रधान, दो विधान और दो निशान नहीं चलेंगे।


बेचन पाण्डेय ने कहा कि डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी महान देशभक्त, प्रखर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और प्रख्यात शिक्षाविद थे। आजादी के आंदोलन में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मात्र 35 वर्ष की आयु में कोलकाता विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में शिक्षा क्षेत्र अनेक उल्लेखनीय कार्य किए। आजादी के पूर्व बंगला में आई अकाल की त्रासदी के समय उन्होंने मानवता की सेवा का उदाहरण प्रस्तुत किया।


कार्यक्रम का संचालन सुनील तिवारी ने की। उक्त अवसर पर अमित श्रीवास्तव संतोष सिंह सुरेंद्र सिंघानिया जीतेन्द्र सिंह नरेन्द्र उपाध्याय अनिल गुप्ता रोहन सिंह अवनीश यादव राखी सिंह एव मंडल अध्यक्ष गण उपस्तिथ रहे।

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