आपदा प्रबन्धन ने डूबने एवं बज्रपात से बचाव के लिये जारी की सुरक्षा की एडवाइजरी
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जौनपुर। डूबने से बचाव हेतु सुरक्षा के उपाय क्या करें? उफनाई हुई नदी, नहर, नाले तालाब आदि के किनारे न जाएं एवं अपने स्वजनी को भी जाने से रोकें। बच्चों को पुलिया उंचे टीलों से पानी में कूदकर स्नान करने से रोके। अति आवश्यक हो तो ही पानी में उत्तरें व गहराई का ध्यान रखें। कोशिश करें कि किसी नदी या जल निकाय में सामूहिक रूप से स्नान करने जाते समय साथ में 10-15 मीटर लम्बी रस्सी या धोती/साड़ी अवश्य रखें।क्या न करें:— नदियों, नहरों, जलाशयों या अन्य जल निकायों के पास लिखी हुई चेतावनी की अवहेलना न करें। छोटे बच्चों को घाटों, जल निकायों के समीप न जाने दें। किसी के उकसावे में आकर पानी में छलांग न लगाये। नदियों या अन्य जल निकायों के घाटों पर रीति-रिवाजों, संस्कारों का निर्वहन करते समय असावधानी न बरतें। तैरते या पानी में स्नान करते समय स्टन्ट न करें या सेल्फी आदि न लें, ऐसा करना जान लेवा हो सकता है।
बज्रपात (आकाशीय विद्युत) से बचाव हेतु सुरक्षा के उपाय क्या करें:— पक्की छत के नीचे शरण लें। यात्रा के दौरान वाहन में ही रहे। खिड़कियों, दरवाजे एवं बरामदों से दूर रहे। बिजली के उपकरणों या तार के सम्पर्क में आने से बचे। तालाब और जलाशयों से दूर रहें। यदि आप खेत-खलिहान में हैं तो पैरों के नीचे लकड़ी, प्लास्टिक, बोरा या सूखे पत्ते रख लें। क्या न करें:— पेड़ के नीचे न खड़े हों। दीवाल के सहारे टेक न लगाये। बिजली एवं टेलीफोन के खम्भों के नीचे शरण न लें। नल, फ्रीज व टेलीफोन आदि को न छूयें। धातु से बनी वस्तुओं का उपयोग न करें।