मां तू कैसे हो गयी पत्थर दिल...?

 मां की ममता पर समाज की लोक—लज्जा पड़ रही है भारी


अमित जायसवाल
चन्दवक, जौनपुर। मां मेरी क्या गलती थी। आखिर मैं आपके कलेजे का टुकड़ा क्यों न बन सकी? मुझे भी आपके वात्सल्य की छांव का इंतजार था। इतने दिन आपने मुझे गर्भ में रखा, जब आपकी गोद में किलकारियों का वक्त आया तो तालाब के किनारे फेंक दिया आपका तनिक भी कलेजा न कलपा? पापा ने भी आपको नहीं रोका। मेरी जान निकल रही थी, मगर आप में से कोई बचाने न आया। आखिर तू कैसे पत्थर दिल हो गई मां?
यह दर्द उस नवजात शिशु की है जिसको उसकी मां ने जन्म देकर मंगलवार को बरामनपुर गांव में स्थित पोखरे के किनारे झोले में भरकर छोड़ दिया था। नवजात को इस अवस्था में देख हर कोई इनके माता-पिता को कोस रहा था। लोगों का कहना था कि आज के दौर में बेटियां देश की शान बढ़ा रही हैं। वहीं कुछ लोगों की ऐसी कारगुजारियां समूचे समाज के लिए अभिशाप बन रहा हैं।

मिली जानकारी के अनुसार ग्रामीण सुबह जब शौच के लिए पोखरे के किनारे पहुंचे तो नवजात शिशु के रोने की आवाज सुन अवाक रह गए। इधर—उधर देखा तो पोखरे के किनारे झोला पड़ा दिखा। पास जाकर देखा तो एक नवजात को कपड़े में लपेट कर झोले में रखा गया है। उसका नार भी नहीं काटा गया। नवजात शिशु को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है। उसका जन्म आज रात को ही हुआ है। देखते ही देखते खबर आग की तरह फ़ैल गई लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई। भीड़ इकट्ठा देख पुलिस भी मौके पर पहुंच नवजात को कब्जे में लेकर उपचार हेतु सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बीरीबारी ले जाया गया।

इस घटना से जहां शासन की मंशा बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान को ठेंगा दिखाया तो वहीं पूरी मानवता को शर्मसार करती घटना पूरे दिन क्षेत्र में चर्चा होती रही। आखिर नौ महीने जिस मां ने अपने शिशु को गर्भ में पालती है, उस मां की ऐसी क्या मजबूरी हो जाती है कि अपने ही शिशु को जन्म देने के बाद उसे झाड़ियों व सड़को के किनारे फेंकने को मजबूर हो जाती है। क्या मां की ममता पर समाज की लोक लज्जा भारी पड़ रही है? जो सर्व समाज के लिए बेहद ही निंदनीय व शर्मसार कर रही है।


पुलिस के मानवता की मिशाल क्षेत्र में बना चर्चा का विषय

बरामनपुर पुलिस चौकी से महज 5 सौ मीटर दूर पोखरे के किनारे नवजात शिशु के झोले में मिलने की खबर सुन पोखरे पर लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई। उसी समय रोड पर दीवान बाबू लाल व सिपाही सुरेंद्र मॉर्निंग वॉक कर रहे थे। उनकी निगाह पोखरे पर इकठ्ठा भीड़ पर पड़ते ही आनन—फानन में मौके पर पहुंच देखा गया तो झोले में कपड़े से लिपटी नवजात शिशु जीवित अवस्था में थी। चौकी प्रभारी संजय सिंह को घटना से अवगत कराते हुए बिना समय गवाए दोनों लोगों ने अपनी बाइक से नवजात को गोंद में लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोइलारी लाया गया जहां चिकित्सकों ने नवजात को देख आक्सीजन की कमी होने की बात कही। इसके बाद एंबुलेंस बुलाकर बीरीबारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया जहां नवजात के बेहतर उपचार के लिए चिकित्सकों ने जिला अस्पताल रिफर कर दिया।दीवान बाबू लाल व सिपाही सुरेंद्र की इस तत्परता को देख हर कोई पुलिस के मानवता की मिशाल देते हुए प्रसन्नता जाहिर कर रहे हैं।

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