........ कितने दिन तक जुल्म सहे अब जागो अब जागो
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जागो अब जागो
वक्त हमसे ये कहे अब जागो अब जागो।
कितने दिन तक जुल्म सहे अब जागो अब जागो।।
कब तक होगा मुंह को सीना,
क्यूं हर बार घुट घुट कर जीना,
बेड़ी अपनी अब तो काटे, जागो अब जागो।।
न तो हम शावक प्यारे,
न इरादों से हम है हारे,
क्यूं न नदी विपरीत बहे ,अब जागो अब जागो।।
चट्टानों से फौलाद इरादे,
मत करना अब झूठे वादे,
इंकलाब आकाश लिखे,अब जागो अब जागो।।
सागर की लहरों संग खेले,
तूफानों के रुख को झेले
नित नया इतिहास लिखे,अब जागो अब जागो।।
कब तलक बैरी रोकेगा ,
कांटे राहों में बोएगा
जलती एक मशाल बने, अब जागो अब जागो।।
सुमति श्रीवास्तव
जौनपुर उत्तर प्रदेश