अब सीएम योगी की नज़र नौकर शाही के भ्रष्टाचारियों पर गड़ी
-सात साल से माननीय व पार्टियों के कार्यकर्ता तक डीएम- एसपी की नज़र में थे महत्वहीन,मीडिया भी उनके लिए बन गए थे ब्रोकर, थानों से लेकर कलेक्ट्रेट, विकास भवन तक आमजन को हर कार्य के लिए देना पड़ता था सुविधा शुल्क, यह बन्द नहीं हुआ तो आरोपी अफ़सर भी खाएंगे जेल की हवा l दबाव और दलाली से अलग होगी काम की संस्कृतिl
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कैलाश सिंह/ अशोक सिंह
लखनऊ/वाराणसी (तहलका टीम) l जब मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से सांसद हुआ करते थे तब से लेकर अब तक दो दशक पूर्व से वह जनता की समस्या सुनते आ रहे हैं l आमजन को सम्मान देने के नजरिए से ही वह कुर्सी पर बैठे लोगों से चलकर मिलते आ रहे हैं, ताकि अफ़सर भी जन सुनवाई में आम जनता को वैसा ही सम्मान और उनके कार्य निस्तारण में तत्परता बरतें, लेकिन उनके मुख्य मंत्री वाले कार्यकाल में अब तक के सात साल में मुख्य सचिव और डीजीपी जैसे अफ़सर राजधानी से लेकर गांवों तक तैनात अफसरों की ही कार्यशैली को बेहतर बताकर उनका भरोसा जीते रखा l यही कारण है कि उनके सामने पार्टी कार्यकर्ता, पदाधिकारी तो दूर माननीय भी नतमस्तक नज़र आए l अधिकारी कानून व्यवस्था के नाम पर 2017 से पूर्व वाली गैर भाजपाई सरकारों के दौरान की लूट खसोट वाली संस्कृति नहीं छोड़ पाए l यानी पहले की अपेक्षा सुविधा शुल्क दो गुना से अधिक हो गया l
प्रदेश के पुलिस- प्रशासन में गले तक पहुंचे भ्रष्टाचार के प्रमाण हर जिले के दफ्तरों के भीतर और बाहर आसानी से मिल जाएंगे l अफ़सरों में ईमानदारी और कर्तव्य निष्ठा सपने सरीखी हो गई है l मीडिया के लोगों को दलाल बनाने में नौकरशाही का ही हाथ है l नौकरशाही की इस संस्कृति की पोल लोक सभा चुनाव में भाजपा को मिली करारी शिकस्त के बाद खुलनी तब शुरू हुई जब मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने हार के तमाम कारणों को जानने की इच्छा पर काम शुरू कियाl पहली बैठक के बाद जब उनके संपर्क में पूर्व परिचित आने लगे तब उन्होंने नौकरशाही का भी कच्चा चिठ्ठा खोलना शुरू कर दिया l
दूसरी ओर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सूत्र बताते हैं कि शपथ ग्रहण से पूर्व आरएसएस के दो बड़े पदाधिकारियों के साथ कार्यवाहक पीएम नरेंद्र मोदी की हुई बैठक में दो बातें तय हुईं l एक योगी आदित्यनाथ के हाथ में यूपी की कमान बनी रहेगी, वह अब खुलकर कानून व्यवस्था और प्रदेश के विकास पर काम करेंगे और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम भी उसी दिन तय हो गयाl जिसके नाम पर सहमति बनी है वह संघनिष्ठ और मुद्रा दोष से रहित होंगे! यही कारण है कि योगी आदित्यनाथ अब अपने सख्त तेवर में फ़िर दिखने लगे हैं l जल्द ही कल्याण सरकार की झलक नए अंदाज़ में मिलेगीl
उन्होंने केंद्र में एनडीए की तीसरी बार सरकार बनने के बाद चुनाव में विपक्ष द्वारा उछाले गए सभी मुद्दों को जड़ से खत्म करने एव्ं गाँव और किसानों के साथ आमजन को होने वाली परेशानियों पर भी नज़र डालनी शुरू कीl इसमें माननीयों, पार्टी पदाधिकारियों के अलावा अपने निजी संपर्कों को भी उन्होंने सक्रिय किया तो ब्यूरोक्रेसी की कार्य शैली भी तमाम कारणों में अहम रही l उसके बाद उन्होंने क्रास चेक करने को एक गोपनीय टीम को लगा दिया है l
जौनपुर जिले के पुलिस- प्रशासन की कार्यशैली की कुछ बानगी देखिए तो कमोबेस यही स्थिति उत्तर प्रदेश के हर जिले में मिल जाएगी- बीते मार्च के महीने में जौनपुर के एसपी डॉ अजय पाल शर्मा से खेतासराय थाना क्षेत्र के एक परिवार के लोग जन सुनवाई में मिले l उन्होंने एक विवाहिता की ससुराल और मायके के लोगों को त्रस्त करने वाले युवक की शिकायत की, इसपर एसपी ने खेतासराय पुलिस को एफ आई आर लिखके कारवाई का निर्देश दिया लेकिन सम्बन्धित थाने ने अपनी नज़र से पीड़ित पक्ष की ज़ेब टटोल कर मामले को लटका दिया l इसी तरह अभी हफ़्ते भर पूर्व सरपतहा थाने का इंचार्ज त्रिवेणी सिंह नाम है उसका l एक सजातीय युवक ने गांजा बेचने वालों का वीडियो इसलिए बनाया क्योंकि उसके गाँव के युवकों में इस नशे की लत बढ़ती जा रही हैl उसने थानेदार को वीडियो दिया तो उल्टे युवक को ही एनकाउंटर करने, गांजा आदि में फांसने की धमकी दे डाली l उसकी अपाची उठा ली और मां भाभी को गाली भी दी l युवक भी समझदार निकला सबकुछ रिकॉर्ड कर मीडिया को दे दिया l जब मीडिया में उसके आडियो- वीडियो फैलने लगे तो थानेदार ने मीडिया को भी धमकाना शुरू कर दिया l क्षेत्राधिकारी भी थानेदार के साथ जुगलबन्दी करने लगे l यह थानेदार जब जिले के नेवढिया और चंदवक थानों पर दारोगा था तो चौकियों पर भी गदर काटता रहा और कहता भी है कि ऊपर के अफ़सरों को खुश रखना भी एक कला हैl बख्शा थाने में तैनाती के दौरान तो यह तत्कालीन सांसद श्याम सिंह यादव से ऐसे लड़ा मानो अपने किसी सिपाही को डपट रहा हो l जिले के एसपी जब से यहाँ तैनात हैं तब से फुल और हाफ एनकाउंटर (प्रायोजित) कराने में ही मस्त हैंl यह भी अपना नम्बर बढाए रखने को उपर की चेन पकड़े हैं l प्रशासन का हाल तो इससे भी बदतर है l उसकी बानगी अगली कड़ी में दी जाएगी l