बदलती दिनचर्या से स्वास्थ्य खतरे में: डा. शारदा

 जीवन जीने की कला है योग: कुलपति

योग सप्ताह के क्रम में हुई आनलाइन संगोष्ठी

सरायख्वाजा, जौनपुर। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर विश्वविद्यालय परिसर में योग सप्ताह मनाए जाने के क्रम में व्यावहारिक मनोविज्ञान विभाग, अधिष्ठाता छात्र कल्याण कार्यालय एवं मेडिकल कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में आधुनिक जीवनशैली जनित रोगों के लक्षण एवं इसके बचाव के यौगिक समाधान विषयक एक दिवसीय सेमिनार में मुख्य वक्ता, वरिष्ठ योग प्रशिक्षिका आर्ट ऑफ लिविंग, बंगलूर कर्नाटका से डॉ. शारदा द्विवेदी ने योग के महत्व को विस्तार से बताया। उन्होंने शरीर को मन और आत्मा से जोड़ते हुए योग के महत्व पर प्रकाश डाला। वर्तमान जीवनशैली और प्रकृति को एक साथ जोड़ते हुए जीवनशैली का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव कैसे पड़ता है, इसके बारे में विस्तृत रूप से चर्चा की। वर्तमान में बदलती हुई दिनचर्या बिगड़ते हुए स्वास्थ्य का कारण है। उन्होंने अपने व्याख्यान में जीवन को एक उत्सव के रूप में जीने की कला को बताया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. वंदना सिंह ने कहा कि योग करने से कार्य कुशलता आती है, योग शारीरिक स्वास्थ के साथ ही साथ मानसिक स्वास्थ्य को उत्तम बनाने और प्रसन्न रखने का निशुल्क साधन है। जीवन जीने की कला को ही योग कहा जाता है। आने वाली पीढ़ी कैसी होगी और आने वाला भारत कैसा होगा, यह वर्तमान भारत को निर्धारित करना होगा। 21 जून को मनाया जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस में सभी लोग अधिक से अधिक प्रतिभागी करें।
कार्यक्रम में प्रो. बी.बी. तिवारी, प्रो. मनोज मिश्रा, प्रो. प्रमोद यादव, प्रो. गिरधर मिश्रा, डॉ. नीतिश जायसवाल सहित तमाम लोग उपस्थित रहे। संचालन अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के समन्वयक एवं सेमिनार के संयोजक डॉ. मनोज पाण्डेय और धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव डॉ. दिव्येंदु मिश्रा ने किया।

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