भारतीय न्याय व्यवस्था की नीव और आरम्भ
भारतीय न्याय व्यवस्था की नीव और आरम्भ 1600 में डली थी| जब ईस्ट ऑफ़ इंडिया कंपनी को एक्सक्लूसिव ट्रेडिंग राइट मिले थे। यह कंपनी कोर्ट डायरेक्टर एंड गवर्नर को मिलकर बनी थी। 1661 में गवर्नर एंड कौंसिल को जस्टिस देने का राइट मिल गया था। कंपनी फाइनेंस सेटलमेंट के लिए इंग्लिश लॉ को फॉलो किया करती थी ।
उस समय 3 प्रेसीडेन्सी थी- मद्रास, बॉम्बे, कलकत्ता
शुरुआत मद्रास से हुई थी। उस समय उसे मछलीपट्नम बोल| जाता था। वह| के आम नागरिक अपनी छोटी छोटी Problem ( प्रॉब्लम ) राजा तक नहीं पोहचा पाते थे। तो उन्होंने अंग्रेजो को अपनी समस्या सुनाना शुरू कर दिया। इस तरह अंग्रेज, जो की सिर्फ व्यापर करने आए थे वो trading के साथ साथ सिविल कोर्ट बनाकर न्याय पालिका का हिस्सा बन गए। वहां पर अंग्रेजो ने ब्लैक टाउन and वाइट टाउन बनाया।
1686 में पहला अपील (corporation )डाला गया | इसमें 1 मेयर (mayor ) , 12 एल्डरमैन (alderman) and 60 to 120 बुरगेस्से (Burgesse) थे। कोर्ट का नाम मेयर कोर्ट( Mayor’s court) था। अपील (Appeal) हमेशा गवर्नर एंड कौंसिल (Governor and council) को जाती थी। छोटे ओफ्फेंस( offence) के लिए पनिशमेंट (punishment) ज्यादा थी। थेफ़्ट एंड फोर्जरी ओफ्फेंसेस (theft and forgery offences) के लिए थेफ़्ट एंड फोर्जरी ओफ्फेंसेस (capital punishment) जैसी सजा थी।
कलकत्ता (Calcutta) में अंग्रेजो को जमींदारी दी गई थी 3 गाओ में एडमिनिस्ट्रेशन पावर (Administration Power) इस्तेमाल कर सकें। उसी बीच बैटल ऑफ़ प्लासी (Battle of Plassey) (1757) एंड and बैटल ऑफ़ बक्सर (1764) ( Battle of Buxar (1764)) ने पूरा इतिहास बदल कर रख दिया।
युद्ध के बाद वारेन हास्टिंग प्लान (Warren Hasting Plan) 1772 आया-
• . कलेक्टर का ऑफिस बनाया गया। जिसका काम था रेवेनुए कलेक्ट (revenue collect) करे और कोई डिस्प्यूट (dispute) होता है तो उसे solve करे।
• . मुफस्सिल दीवानी अदालत (Mufassil Diwani Adalat) बनाई गई जहा कलेक्टर जज (collector judge) की तरह पेश आएगा और उसे डिस्ट्रिक्ट सिविल कोर्ट (District civil court ) का दर्जा मिलेगा|
• . एक स्माल कॉज कोर्ट (small cause court) बनाई गई जिसमे Maximum 10 Rs. तक की सुनवाई होगी। उसका प्रमुख जमींदार होगा।
• . क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (Criminal Justice System) बनाया गया जो पहले नहीं था अंग्रेजो के हाथो में। वह नवाबो के हाथो में दिया गया।
• . मुफस्सिल फौजदारी अदालत (Muffassil Fauzdari Adalat) बनाई गई और उसका Head काजी और मुफ़्ती को बनाया गया।
हास्टिंग (Hasting) ने रेवेनुए एंड जुडिशरी (Revenue and Judiciary) के लिए अलग अलग कोर्ट बनाई| कॉर्नवॉलिस (Cornwallis) ने बाद में काफी चंगेस (changes) किये इंडियन जुडिशरी सिस्टम (Indian Judiciary System) में|
सारी पावर कलेक्टर (Power Collector) को दे दी। कलेक्टर (Collector) , चीफ एडमिनिस्ट्रेटर (Chief Administrator ) बन गया रेवेनुए कलेक्शन एंड डिस्प्यूट (Revenue collection and dispute) के लिए। कलेक्टर जज (Collector Judge) बना मुफस्सिल अदालत (Mufassil Adalat) में और मजिस्ट्रेट (Magistrate) का दर्जा दिया गया |
मुफस्सिल अदालत (Mufassil Court) के लिए जज (Judge) को 1000Rs तक की सुनवाई तथा उसके ऊपर 5000 Rs. तक की सुनवाई सदर दीवानी अदालत (Sadar Diwani Adalat) तथा उसके ऊपर Appeal King in Council that is Privy Council था।
1861 में सारी Court को unified किया गया Indian High Court के अंदर , बाद में इसे Supreme Court के अंदर Unified किया गया|
Advocate kirti Arya
Internal Audit in ABG, Master in finance from BHU, b.com & LLB from Delhi University