यूपी में हार का ठीकरा योगी पर नहीं फोड़ सकती है भाजपा

-कैलाश सिंह- तहलका ग्रुप

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-टिकट वितरण ही एनडीए की पराजय और इंडिया की जीत का प्रमुख फैक्टर बना, बसपा का कमजोर होना और संविधान बचाओ, बेरोजगारी का मुद्दा दोयम दर्जे पर रहा ।

-सपा ने यादव की बजाय अदर बैकवर्ड को गैर भाजपाई प्रत्याशियों के सामने उतार कर लड़ाई में नहले पर दहले वाला कार्ड खेला l ऐसी हर सीट पर  भाजपा अन्दरूनी कलह से जूझ रही है।



लखनऊl विधान सभा चुनाव 2022 में जीत दर्ज करने के बाद मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि हम लोक सभा चुनाव में यूपी की सभी 80 सीटों को विकास के बल पर हासिल करेंगे l तब प्रधान मन्त्री नरेंद्र मोदी का हाथ उनके कन्धे पर था और विकास की रेल वाकई दौड़नी शुरू हुई, लेकिन मोदी- योगी के नाम के नारे और एक साथ दोनों नेताओं की फोटो से यह संदेश जाने लगा कि मोदी के बाद योगी ही उत्तराधिकारी होंगेl बस यहीं से अमित शाह और योगी के बीच टकराव जगजाहिर होने लगे l इस आग में घी डालने का काम दोनों तरफ़ के कुछ चमचे करने लगे l लोक सभा चुनाव नजदीक आने तक गृह मंत्री अमित शाह ने प्रदेश सरकार पर परोक्ष रूप से और पार्टी संगठन पर स्पष्ट तौर पर कमान अपने हाथ में ले ली और प्रेशर पॉलिटिक्स शुरू कर दी l यहीं से यूपी में हार की नींव पड़ी l

टिकट वितरण की बेला में इन हाई कमान श्री शाह के फैसले से जिलों से लेकर ब्लॉकों व गाँवों तक फैले पदाधिकारियों, पन्ना प्रमुखों तक की चेन टूटने लगी जबकि यह चेन उन्होंने ही खुद 2012-13 में बनाई थी l यह चेन तब खंडित होने लगी जब भाजपा से हाई कमान द्वारा गैर भाजपाई प्रत्याशी उतारे जाने लगे l इनपर मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ की कतई सहमति नहीं थी तो वह तटस्थ भूमिका में दिखने लगे l यही वह समय था जब  राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) अपना हाथ खींच चुका था l पार्टी को गुमान हो गया था कि वह संघ के बिना चुनाव जीत लेगी l इसका खुलासा खुद जे पी नड्डा ने अपने बयान में किया l जबकि हर जिले में औसतन 10 से 15 हजार स्वयं सेवक साइलेंट भूमिका में होते हैं जो बिना खुद को जाहिर किए घर घर के वोटरों को जागृत कर बूथों तक पहुंचाते हैं l 

स्वयं सेवकों, गैर भाजपाई प्रत्याशी के चलते पार्टी में कलह और अदर  बैकवर्ड वोटबैंक के खिसकने के सभी उदाहरण लोकसभा सीट 73 जौनपुर और 74 मछलीशहर को बानगी के तौर पर लिया गया है l इसमें उन प्रत्याशियों का संगठन और वोटरों के प्रति व्यवहार भी शामिल है l इसके अलावा रही- सही कसर सहयोगी दलों के नेताओं अनुप्रिया पटेल और ओ पी राजभर की फिसलती ज़ुबान ने खासकर पूर्वांचल में पूरी कर दी l केशव मौर्य जौनपुर में जातिगत वोटरों के पाला बदलने से नहीं रोक पाए lदूसरी ओर पार्टी हाई कमान मोदी लहर की खोज, संविधान बचाओ, आरक्षण बचाओ के इंडिया गठबंधन के इस पलटवार से पार्टी का वोटबैंक खिसकने लगाl ध्यान रहे राम मन्दिर का मुद्दा न बनने के दौरान संविधान हटाने की बात अयोध्या के भाजपा प्रत्याशी ने कही तो विपक्ष के राहुल गाँधी ने लपक लिया और उसे अपना मुद्दा बनाकर आरक्षण के साथ चुनावी समर में अचूक अस्त्र बनाते हुए आदिवासी, पिछड़ों, दलितों तक ऐसा पहुंचाया की उसने गेम पलट दिया और कांग्रेस छह सीट पा गई l

इसी कार्ड को ध्यान में रखते हुए सपा के अखिलेश यादव ने परिवार के पांच यादव के अलावा बाकी सीटों पर कुछ मुस्लिम और अधिकतर अदर बैकवर्ड प्रत्याशी उतारने में मायावती के एक दशक पुराने फार्मूले को भी अपनाया l किया यह कि यादव तो अपने ही हैं और कांग्रेस से समझौते के चलते मुस्लिम के कहीं और जाने के विकल्प नहीं हैं, बाकी काम प्रत्याशी अदर बैकवर्ड व दलित और भाजपा से नाराज़ लोगों को अपनी तरफ़ करके गेम जीत में तब्दील कर लेंगे, हुआ भी वही तभी तो सपा ने भाजपा से चार सीट ज्यादा लेकर 37 सीट हासिल करके सबसे बड़ी पार्टी बन गई l

चुनाव के दौरान योगी को हटाने की हवा को विपक्षी गठबंधन ने पकड़कर कबूतर की तरह उड़ाया तो खुद योगी को पार्टी के प्रति निष्ठा के जरिये सफाई देनी पड़ी l यह चुनाव हर फेज़ में गुजरता रहा और भाजपा के मुद्दे खासकर यूपी में पिटते रहे l योगी आदित्यनाथ अपने हिंदुत्व, विकास, अपराध के खात्मे के मुद्दे पर डटे रहे l उनको सबसे पहले 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान् राम के विग्रह की प्रण प्रतिष्ठा के दौरान पीएम के सुरक्षा कर्मी ने परे किया तो देश के हिंदुओं को नागवार लगा, पश्चिमी यूपी की एक चुनावी सभा में खुद मोदी ने मंच पर योगी को नज़रंदाज़ किया वह भी लोगों को अख़रा और उस अफ़वाह को भी बल मिला जिसमें कहा जाता रहा कि चुनाव बाद योगी हटा दिए जाएंगे, लेकिन अब भाजपा न तो उनपर हार का ठीकरा फोड़ पाएगी और न ही इस बहाने उन्हें हटा पाएगी l यदि ऐसा कुछ करने की कोशिश हुई तो विधानसभा की आने वाली तस्वीर बदल जाएगी तो हैरत की बात नहीं होगी ।

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  1. योगी को छेड़ने पर यूपी से भाजपा का राम नाम सत्य हो जाएगा हार के लिए शाह जिम्मेदार हैं इनको संगठन से दूर करने में ही भाजपा की भलाई है

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  2. बिल्कुल सही बात,,, अमित शाह का हठ और कार्यकर्ताओ की उपेक्षा
    हार का मुख्य कारण बना

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