ट्विन टॉवर सरीखे प्रदेश के हर जिले में हैं हजारों अवैध भवन

-उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में होटल इंडस्ट्री को बढ़ावा देने को जहाँ सरकार नियमों में ढील और सुविधाओं में सहयोग को तत्पर है वहीं तमाम सार्वजनिक किंतु निजी भवन जैसे होटल, नर्सिंग होम, स्कूल- कॉलेज, बहु मन्जिले  आवासीय फ्लैट आदि में अग्नि शमन की व्यवस्था और मानक दर किनार हैl

-जौनपुर के शहरी इलाके में अधिसंख्य भवन तो बिना मानक व नक्शे के बनते जा रहे, यहां हर कदम पर इसकी बानगी मौजूद हैl दिलचस्प तो ये है कि यहां के तमाम होटल व व्यावसायिक इमारतें आग और बाढ़ दोनों को समेटे हुए हैंl यहां फ़ायर की एनओसी और फर्जी नक्शे मोटी रकम के बल पर मिल जाते हैंl

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कैलाश सिंह/अशोक सिंह

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लखनऊ/वाराणसी (तहलका टीम)l नोएडा का ट्विन टॉवर तो यूपी के हर जिलों के बाशिंदों को याद होगा जिसे मानक के विपरीत पाए जाने पर सरकार ने फ्लैट और आसपास के भवनों को खाली कराकर गिरवा दिया थाl उसमें मानक के विपरीत तमाम कमियों के अलावा फ़ायर की एनओसी को दरकिनार कर ईमारत के चारों तरफ़ छूटी नौ मीटर जमीन पर दूसरा टॉवर खड़ा कर दिया गया थाl सभी सार्वजनिक भवनों के लिए एक नियम है की शार्ट सर्किट या अन्य कारणों से लगी आग बुझाने के लिए अग्नि शमन दस्ता और वाहन घूमने के लिए स्थान खाली हो और ( हाइडेंट) यानी पानी की उपलब्धिता वाली पाइप लाइन व स्प्रिंकलर लगा होना चाहिए लेकिन इसे प्रदेश के हर जनपद के शहरी इलाकों में अरसे से नज़रंदाज़ किया जाता रहा हैl इस अवैध कार्य में निर्माण अथारिटी और फ़ायर सर्विस से जुड़ी नौकरशाही ही प्रश्रय देती आ रही है l हर कार्य के लिए बंधी रकम ही राह आसान करती है l ऐसे अवैध कार्य के लिए यदि लिम्का या गिनीज बुक जैसी संस्थाओं को लिस्टिंग करनी हो तो जौनपुर जनपद यूपी में अव्वल स्थान पर आएगाl

जौनपुर में ऐसी ही कुछ बानगी देखिए- पुलिस लाइन डाक बंगला से सटी कालोनी में एक बहु मन्जिली इमारत में किराए पर तमाम परिवार रहते हैंl पिछले साल इन्हीं दिनों शार्ट सर्किट से दूसरे फ्लोर पर आग लगी तो ऊपर- नीचे के लोग सीढ़ियों से भागे तब तक पूरी इमारत धुंए से भर गई l किसी ने फ़ायर ब्रिगेड को फोन किया तो वह दस्ता इमारत से आठ सौ मीटर दूर खड़ा रह गया क्योंकि उस भवन तक फ़ायर गाड़ी नहीं जा पाई, गली की सड़क जलेबी सरीखी है जहां लोगों की कार मुश्किल से जा पाती हैl खैर आग किसी तरह बुझ गई लेकिन फ़ायर सर्विस विभाग इमारत के मालिक को कई दिन तक ढूंढता रहाl दूसरी बानगी में दर्जनों निजी अस्पताल, होटल, व्यावसायिक भवनों को मिलाकर देखें तो इनकी संख्या सैकड़ों में हैl लाइन बाज़ार से लेकर नईगंज क्षेत्र हो या पुराने शहर में तमाम नर्सिंग होम आवासीय कालोनी में संचालित हैं l इनमें नईगंज में एक चिकित्सक के अस्पताल में कई बार शार्ट सर्किट हुई लेकिन पूर्ववर्ती सपा सरकार का नेता बताकर वह हमेशा बचता रहा और कई अन्य को भी संरक्षण देता हैl उसके यहां का मेडिकल वेस्ट भी दुर्गंध से लोगों का जीना हराम किए है l 

जौनपुर शहर के तमाम अस्पताल,होटल गोमती नदी में बारिश के पानी निकालकर जलजला यानी बाढ़ से बचाने वाला नाला मर गया है, लोगों ने उसे पाटकर नाली बनाई और बाकी जमीन पर बहु मन्जिली इमारत खड़ी कर दी l सपा के एक माननीय थे वह झील के नाले पर अपनी निधि से रैन बसेरा का भवन बनवाए, बाद में उसे खुद के आवास में तब्दील कर दिए l वह गुजर गए तो उनका पुत्र भी माननीय बना और रैन बसेरा को खुद का बसेरा बना लिया l इस बसेरा से रोडवेज की दूरी 200 मीटर है l यहाँ अग्नि शमन के लिए केवल सामने से चौड़ी किंतु व्यस्त सड़क हैl हाइडेंट आदि व्यवस्था नहीं है, नाला बन्द है अन्यथा पानी की कमी नहीं होतीl

यदि पांच घण्टे लगातार बारिश होगी तो यहां पानी में आग लगनी हैरतअंगेज नहीं होगी, क्योंकि निरंतर पांच घण्टे तेज़ बारिश में जलमग्न इस शहर में चार दशक पूर्व नाव चल चुकी हैl तब गोमती नदी में पानी के बहाव को वाजिदपुर की झील थाम लेती थी, अतिरिक्त पानी गोमती नदी में निकल जाता था l अब शहर जल्दी इसलिए डूबेगा क्योंकि झील को समेटकर छोटा तालाब बनाकर भू माफ़िया होटल, व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स और नर्सिंग होम खोल लिए, बाकी खाली जमीन पर भी 'सोने' की फसल उगाई जा रही हैl यदि बाढ़ का पानी भरा होगा और शार्ट सर्किट से आग लगेगी तो उस दशा को यही तो कहा जाएगा की पानी में आग लगी है l कमोबेस थोड़ी अलग किंतु ऐसी ही स्थिति प्रदेश भर में मिलेगी l

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