सिरकोनी ब्लाक में नहीं है एक भी पशु चिकित्सालय
https://www.shirazehind.com/2024/06/blog-post_247.html
3 साल में 7 पशु सेवा केन्द्रों में 4 को ही बना पायी यूपी सीएलडीएफ संस्था
अधिकारी ने संस्था पर लगाया लापरवाही का आरोप, बोले— कार्य में लापरवाही की सूचना देने के बावजूद भी दोबारा उसी संस्था को दिया कामजफराबाद, जौनपुर। वर्ष 2021 में यूपी सीएलडीएफ कार्यदायी संस्था को ज़िलें में 7 पशु सेवा केंद्र बनाने का कार्य दिया गया था लेकिन संस्था की इतनी बड़ी लापरवाही सामने आई 2024 तक पूरा कार्य नहीं किया। 7 में से सिर्फ 4 पशु सेवा केंद्रों का ही निर्माण कराया गया। अधिकारी ने संस्था पर आरोप लगाते हुए कहा कि शासन को लिखित पत्र दिया गया कि संस्था द्वारा समय से कार्य नही कराया जा रहा है। दोबारा इस संस्था को काम न दिया जाय लेकिन उसके बाउजूद भी उस संस्था काम दिया गया। जहां उत्तर प्रदेश सरकार किसानों की आमदनी दोगनी करने के लिए पशुपालन को बढ़ावा दे रही है, वहीं बीमार पशुओं के लिए चिकित्सा व्यवस्था बद से बदतर स्थिति में चली गयी है। पशुओं के लिये एक भी ब्लॉक में पशु चिकित्सालय नहीं है। अगर पशु बीमार हो तो कहा जाय। किसान पशुओं को सिर्फ भगवान के भरोसे पाल रहे हैं।
ग्रामीणों की बात माने तो...
सिरकोनी विकास खण्ड की तो इस विकास खण्ड में 6 पशु सेवा केंद्र हैं। ब्लॉक में एक भी पशु चिकित्सालय नहीं है। ग्रामीणों से जानकारी लेने पर पता चला कि पशुपालक गाय, बैल, बकरी, भैंस, कुत्ता के बीमार होने पर शहर के अस्पताल की दौड़ लगाते हैं। कृत्रिम गर्भाधान के अलावा टीकाकरण की ही पशु सेवा केंद्र पर पशुओं की इलाज की व्यवस्था है परंतु चिकित्सक व कर्मियों के अभाव में ये योजनाएं सुचारू ढंग से नहीं चल पा रही है। समय पर टीकाकरण सहित अन्य इलाज न हो पाने से मूक पशु असमय ही काल-कलवित हो जाते हैं। परेशान पशुपालक प्राइवेट चिकित्सक या बिना डिग्री वाले डॉक्टर के भरोसे रहने को मजबूर हैं।
2021 से 2024 तक के पशु सेवा केन्द्रों का क्या है मामला
जिले में 7 पशु सेवा केंद्रों का निर्माण के लिए शासन द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण एवं श्रम विकास शहरी संघ लिमिटेड प्रखंड वाराणसी को नामित किया गया था। 2021 में यूपीसीएलडीएफ कार्यदायी संस्था को इसका कार्य कराने के लिए टेंडर दे दिया गया। नियम यह है कि एक वर्ष के अंदर पूरा कार्य करके देना होता है लेकिन कार्यदायी संस्था द्वारा 2021 से लेकर 2024 तक 7 पशु सेवा केंद्रों में सिर्फ 4 केंद्रों काम करवा सकी है। 3 केंद्रों अभी तक अधूरा पड़ा है। जब मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा इस संस्था की शिकायत शासन को किया गया कि यह लापरवाही से कार्य कर रही है। इसको दोबारा टेंडर न दिया जाय लेकिन उसके बाउजूद फिर दोबारा उसी संस्था को टेंडर दे दिया गया। अब सवाल ये उठता है कि आखिरकार लापरवाही बरतने वाले संस्था को दोबारा कैसे टेंडर हो गया।
क्या बोले मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ ओम प्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि 2021 में शासन द्वारा यूपीसीएलडीएफ कार्यदायी संस्था को 7 पशु सेवा केन्द्रों के निर्माण के लिए नामित किया था। संस्था द्वारा 4 पशु केन्द्रों को बनाकर सिर्फ दिया गया। बाकी 3 का निर्माण अभी नहीं किया। उस पर अभी विभागीय अधिकारियों द्वारा जांच करायी जा रही है। उसके बाद रिपोर्ट जांच कमेटी के पास जाएगी। टेंडर होने के एक साल के अन्दर कार्य पूर्ण हो जाना चाहिए था लेकिन अभी तक नहीं हुआ। शासन को पत्राचार के माध्यम से अवगत कराया गया है। ऐसे लापरवाही वाली संस्था को दोबारा कार्य न दिया जाय लेकिन फिर भी दोबारा कार्य दे दिया गया है। यह निर्माण कार्य शासन स्तर से दिया जाता है। सिरकोनी में पशु चिकित्सालय का पद ही सृजित नहीं है। इसके लिए शासन को पत्र लिखकर भेजा गया है लेकिन जो हमारी पशु सेवा केंद्र की संस्थाएं हैं, उस संस्था से ही हमारे विभागीय कार्य लिए जा रहे हैं। सिरकोनी, राजेपुर पशु सेवा केंद्र के निर्माण का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। बजट आते ही यहां भी निर्माण प्रक्रिया शुरू कराया जायेगा।
ग्रामीणों की बात माने तो...
सिरकोनी विकास खण्ड की तो इस विकास खण्ड में 6 पशु सेवा केंद्र हैं। ब्लॉक में एक भी पशु चिकित्सालय नहीं है। ग्रामीणों से जानकारी लेने पर पता चला कि पशुपालक गाय, बैल, बकरी, भैंस, कुत्ता के बीमार होने पर शहर के अस्पताल की दौड़ लगाते हैं। कृत्रिम गर्भाधान के अलावा टीकाकरण की ही पशु सेवा केंद्र पर पशुओं की इलाज की व्यवस्था है परंतु चिकित्सक व कर्मियों के अभाव में ये योजनाएं सुचारू ढंग से नहीं चल पा रही है। समय पर टीकाकरण सहित अन्य इलाज न हो पाने से मूक पशु असमय ही काल-कलवित हो जाते हैं। परेशान पशुपालक प्राइवेट चिकित्सक या बिना डिग्री वाले डॉक्टर के भरोसे रहने को मजबूर हैं।
2021 से 2024 तक के पशु सेवा केन्द्रों का क्या है मामला
जिले में 7 पशु सेवा केंद्रों का निर्माण के लिए शासन द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण एवं श्रम विकास शहरी संघ लिमिटेड प्रखंड वाराणसी को नामित किया गया था। 2021 में यूपीसीएलडीएफ कार्यदायी संस्था को इसका कार्य कराने के लिए टेंडर दे दिया गया। नियम यह है कि एक वर्ष के अंदर पूरा कार्य करके देना होता है लेकिन कार्यदायी संस्था द्वारा 2021 से लेकर 2024 तक 7 पशु सेवा केंद्रों में सिर्फ 4 केंद्रों काम करवा सकी है। 3 केंद्रों अभी तक अधूरा पड़ा है। जब मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा इस संस्था की शिकायत शासन को किया गया कि यह लापरवाही से कार्य कर रही है। इसको दोबारा टेंडर न दिया जाय लेकिन उसके बाउजूद फिर दोबारा उसी संस्था को टेंडर दे दिया गया। अब सवाल ये उठता है कि आखिरकार लापरवाही बरतने वाले संस्था को दोबारा कैसे टेंडर हो गया।
क्या बोले मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ ओम प्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि 2021 में शासन द्वारा यूपीसीएलडीएफ कार्यदायी संस्था को 7 पशु सेवा केन्द्रों के निर्माण के लिए नामित किया था। संस्था द्वारा 4 पशु केन्द्रों को बनाकर सिर्फ दिया गया। बाकी 3 का निर्माण अभी नहीं किया। उस पर अभी विभागीय अधिकारियों द्वारा जांच करायी जा रही है। उसके बाद रिपोर्ट जांच कमेटी के पास जाएगी। टेंडर होने के एक साल के अन्दर कार्य पूर्ण हो जाना चाहिए था लेकिन अभी तक नहीं हुआ। शासन को पत्राचार के माध्यम से अवगत कराया गया है। ऐसे लापरवाही वाली संस्था को दोबारा कार्य न दिया जाय लेकिन फिर भी दोबारा कार्य दे दिया गया है। यह निर्माण कार्य शासन स्तर से दिया जाता है। सिरकोनी में पशु चिकित्सालय का पद ही सृजित नहीं है। इसके लिए शासन को पत्र लिखकर भेजा गया है लेकिन जो हमारी पशु सेवा केंद्र की संस्थाएं हैं, उस संस्था से ही हमारे विभागीय कार्य लिए जा रहे हैं। सिरकोनी, राजेपुर पशु सेवा केंद्र के निर्माण का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। बजट आते ही यहां भी निर्माण प्रक्रिया शुरू कराया जायेगा।